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उत्तर प्रदेश : सवर्णों को मिलीं अहम जिम्मेदारियां

दूसरी बार सत्ता में आयी भाजपा ने सवर्णों को अहम जिम्मेदारियां दी हैं। इनमें गृह, वित्त, ऊर्जा, कृषि, स्वास्थ्य, लोक निर्माण, नियुक्ति, नगर विकास, न्याय, उच्च शिक्षा, विज्ञान प्रौधोगिकी, परिवहन, खाद्य एवं रसद, राज्य कर, प्रशासन, निर्वाचन, नागरिक उड्डयन, चिकित्सा शिक्षा, परिवार कल्याण, कृषि शिक्षा, गरीबी उन्मूलन, सैन्य कल्याण शामिल हैं। सैयद जैगम मुर्तजा की खबर

उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में दोबारा बनी भारतीय जनता पार्टी की सरकार में कुल 52 मंत्री शामिल किए गए हैं। इनमें 20 ओबीसी और 9 दलित वर्ग से हैं। दावा किया जा रहा है कि 2024 लोक सभा चुनाव के मद्देनज़र सोशल इंजीनियरिंग का क़ायदे से ध्यान रखा गया है। परंतु इसकी कई तहें हैं जिनकी बुनियाद में जातिगत भेदभाव भी स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। 

भाजपा के तमाम रणनीतिकार कह रहे हैं कि योगी मंत्रिमंडल में दलित और पिछड़ों को अहम ज़िम्मेदारियां देकर भाजपा ने राज्य की राजनीति ही बदल दी है। भाजपा नेताओं के सुर में सुर मिलाते हुए मीडिया में भी कुछ इसी तरह की गीतमाला सुनाई जा रही है। टीवी और अख़बार दावा कर रहे हैं कि भाजपा के इस दांव से राज्य में जाति आधारित राजनीति करने वाली बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय लोक दल, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी और अपना दल (कमेरावादी) मुश्किल में आ जाएंगे। 

अगर मीडिया कह रही है कि इस सोशल इंजीनियरिंग के सहारे बीजेपी ने सिर्फ 2024 का लोकसभा बल्कि 2027 का विधान सभा चुनाव भी फिर से जीत जाएगी, तो राज्य मंत्रिमंडल का विश्लेषण बेहद ज़रूरी है। इसकी एख वजह यह भी है कि राज्य में हाल ही में हुए चुनाव में ओबीसी और पिछड़ों के वोटों को लेकर तमाम तरह की दावेदारियां सामने आ रही हैं। तमाम चुनाव विश्लेषकों और कई नेताओं ने दावा किया कि भाजपा को बड़ी तादाद में दलित और पिछड़ों का वोट मिला है। हालांकि भाजपा को दलित, ओबीसी वोट मिलने का श्रेय सोशल इंजीनियरिंग के साथ-साथ मुफ्त राशन वितरण और दूसरी सामाजिक योजनाओं को भी दिया गया।

सदन के अंदर की एक तस्वीर : योगी आदित्यनाथ और ब्रजेश ठाकुर तथा उनके बगल में केशव प्रसाद मौर्य व जयवीर सिंह सहित अन्य (तस्वीर साभार : समीरात्मज मिश्र)

इस सबके बाद सबकी नज़र उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार में शामिल होने वाले मंत्रियों पर थी। राज्य में योगी-2.0 सरकार में कुल 52 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई है। इनमें 18 मंत्री कैबिनेट स्तर के, 14 राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और 20 राज्यमंत्री हैं। जहां चुनाव हारने के बावजूद केशव प्रसाद मौर्य एक बार फिर डिप्टी सीएम बनाए गए हैं, वहीं दूसरे डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा बदल दिए गए हैं। जातिगत आधार पर देखा जाए तो योगी मंत्रिमंडल में जिन 52 मंत्रियों को शामिल किया गया है उनमें 21 सवर्ण, 20 ओबीसी और 9 दलित हैं। मंत्रिमंडल में एक मुस्लिम ओबीसी और एक सिख को भी शामिल किया गया है।  

सोशल इंजीनियरिंग के तमाम दावों के बावजूद योगी मंत्रिमंडल में सवर्णों का बर्चस्व साफ नज़र आता है। 52 में से 21 मंत्री सवर्ण समुदायों से हैं। इनमें 7 ब्राह्मण, 3 वैश्य, 2 भूमिहार और एक कायस्थ को शामिल किया गया है। ठाकुर जाति के कुल 8 लोग मंत्री बने हैं, जिनमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी शामिल हैं। कैबिनेट स्तर के 3 मंत्री ब्राह्मण हैं, मुख्यमंत्री समेत 2 ठाकुर, 2 भूमिहार और एक वैश्य है। ओबीसी वर्ग के कुल आठ लोग कैबिनेट मंत्री बनाए गए हैं, जबकि दलित वर्ग की नुमाइंदगी के नाम पर एक ही कैबिनेट मंत्री है।

ओबीसी समुदायों से जिन 8 लोगों को मंत्री बनाया गया है, उनमें स्वतंत्र देव सिंह, राकेश सचान और अपना दल कोटा से आशीष पटेल कुर्मी हैं। लक्ष्मी नारायण चौधरी और भूपेंद्र सिंह चौधरी जाट वर्ग से आते हैं। इनके अलावा निषाद समुदाय से डॉ. संजय निषाद, लोध समुदाय से धर्मपाल सिंह, राजभर समाज से अनिल राजभर को कैबिनेट में जगह मिली है। दानिश आज़ाद अंसारी मुस्लिम ओबीसी (जुलाहा) समुदाय से हैं। पिछली सरकार में मंत्री रहे मोहसिन रज़ा की इस बार छुट्टी हो गई है।

उत्तराखंड की गवर्नर रहीं बेबी रानी मौर्य मंत्रीमंडल में दलित वर्ग की अकेली कैबिनेट मंत्री हैं। ओबीसी वर्ग से गुर्जर समुदाय का कोई नेता इस बार मंत्रिमंडल में नहीं है। दलित वर्ग की नुमाइंदगी के नाम पर योगी मंत्रीमंडल में जाटव समाज के पूर्व आईपीएस असीम अरुण और गुलाब देवी स्वतंत्र प्रभार के राज्यमंत्री बने हैं। दिनेश खटीक, संजीव गौड़, सुरेश राही, विजय लक्ष्मी गौतम, अनूप प्रधान (बाल्मीकि), और मनोहर लाल मन्नू (कोरी) राज्यमंत्री बनाए गए हैं। 

वर्गमंत्रिमंडल में जिम्मेदारियां (कैबिनेट व स्वतंत्र प्रभार)
सवर्णगृह, वित्त, ऊर्जा, कृषि, स्वास्थ्य, लोक निर्माण, नियुक्ति, नगर विकास, न्याय, उच्च शिक्षा, विज्ञान प्रौधोगिकी, परिवहन, खाद्य एवं रसद, राज्य कर, प्रशासन, निर्वाचन, नागरिक उड्डयन, चिकित्सा शिक्षा, कृषि शिक्षा, गरीबी उन्मूलन, सैन्य कल्याण 
ओबीसीग्राम विकास, श्रम, पंचायती राज, सिंचाई, जल शक्ति, गन्ना एवं चीनी मिल, पशुधन एवं दुग्ध, अल्पसंख्यक कल्याण, औधोगिक विकास, सूक्ष्म लघु मध्यम उधोग, खादी ग्रामोद्योग, वस्त्र उद्योग, प्राविधिक शिक्षा, बांट माप, मत्स्य 
दलितमहिला कल्याण, बाल विकास 

कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि सोशल इंजीनियरिंग के नाम पर जिन दलित और पिछड़े वर्ग के मंत्रियों को शामिल किया गया है उनमें अधिकतर किसी सवर्ण की ताबेदारी में लगा दिए गए हैं। इसकी झलक मंत्रिमंडल के काम के बंटवारे में भी नज़र आती है। गृह, सतर्कता, आवास एवं शहरी नियोजन, राजस्व, खाद्य एवं रसद, नागरिक आपूर्ति, खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन, नियुक्ति, कार्मिक, भूतत्व एवं खनिकर्म, अर्थ एवं संख्या, राज्य कर एवं निबंधन, सामान्य प्रशासन, सचिवालय प्रशासन, गोपन, सूचना, निर्वाचन, संस्थागत वित्त, नियोजन, राज्य संपत्ति, प्रशासनिक सुधार, कार्यक्रम कार्यान्वयन, अवस्थापना, नागरिक उड्डयन, न्याय, सैनिक कल्याण समेत क़रीब 34 बड़े मंत्रालय मुख्यमंत्री ने अपने पास रखे हैं। 

वहीं उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के पास फिल्हाल ग्राम्य विकास एवं समग्र ग्राम विकास, ग्रामीण अभियंत्रण, खाद्य प्रसंस्करण, मनोरंजन कर, सार्वजनिक उद्यम, राष्ट्रीय एकीकरण मंत्रालय का काम रहेगा। स्वतंत्र देव सिंह को जल शक्ति, नमामि गंगे तथा ग्रामीण जलापूर्ति, सिंचाई एवं जल संसाधन, सिंचाई (यांत्रिकी), लघु सिंचाई, परती भूमि विकास, बाढ़ नियंत्रण मंत्रालयों का कार्यभार मिला है। बेबी रानी मौर्य के पास महिला कल्याण, बाल विकास एवं पुष्टाहार मंत्रालय की ज़िम्मेदारी है। लक्ष्मी नारायण चौधरी को गन्ना विकास, और चीनी मिल; भूपेंद्र चौधरी को पंचायती राज; अनिल राजभर को श्रम, सेवायोजन, समन्वय; आशीष पटेल को प्राविधिक शिक्षा, उपभोक्ता संरक्षण एवं मापतौल विभाग; और संजय निषाद को मत्स्य विभाग मिला है।

स्वतंत्र प्रभार के राज्य मंत्रियों में संदीप सिंह बेसिक शिक्षा, गुलाब देवी माध्यमिक शिक्षा, गिरीश चंद्र यादव खेल एवं युवा कल्याण, धर्मवीर भारती कारागार एवं होमगार्ड, और असीम अरुण समाज कल्याण, एससी-एसटी मामलों के मंत्री बनाए गए हैं। नरेंद्र कश्यप पिछड़ा वर्ग कल्याण, दिव्यांगजन सशक्तिकरण, और रवींद्र जायसवाल स्टाम्प तथा न्यायालय शुल्क, पंजीयन मामलों के मंत्री बनाए गए हैं।

राज्यमंत्रियों में दिनेश खटीक को जलशक्ति; संजीव गोंड को समाज कल्याण एवं एससी-एसटी; जसवंत सैनी को संसदीय कार्य, औद्योगिक विकास; मनोहर लाल मन्नू को श्रम विभाग; के.पी. मलिक को वन, पर्यावरण, जंतु उद्यान, जलवायु परिवर्तन; दानिश आज़ाद को अल्पसंख्यक कल्याण, मुस्लिम वक्फ एवं हज; और विजय लक्ष्मी गौतम को ग्राम्य विकास एवं समग्र ग्राम विकास, ग्रामीण अभियंत्रण मंत्रालय से संबद्ध किया गया है। अनूप प्रधान मुख्यमंत्री कार्यालय से संबद्ध रहेंगे।

अब सवाल यह है कि इनमें कितने मंत्री स्वतंत्र निर्णय ले पाने में सक्षम होंगे और कितने अपने से वरिष्ठ मंत्री के सामने अपने समाज की बेहतरी की बात रख पाएंगे? 

(संपादन : नवल/अनिल)


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लेखक के बारे में

सैयद ज़ैग़म मुर्तज़ा

उत्तर प्रदेश के अमरोहा ज़िले में जन्मे सैयद ज़ैग़़म मुर्तज़ा ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से लोक प्रशासन और मॉस कम्यूनिकेशन में परास्नातक किया है। वे फिल्हाल दिल्ली में बतौर स्वतंत्र पत्रकार कार्य कर रहे हैं। उनके लेख विभिन्न समाचार पत्र, पत्रिका और न्यूज़ पोर्टलों पर प्रकाशित होते रहे हैं।

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