h n

द्रौपदी मुर्मू के बहाने बहुजन विमर्श

द्रौपदी मुर्मू की उम्मीदवारी देश की बड़ी घटना है। अगर आप यह सवाल करते हैं कि उन्होंने पेसा को लेकर क्या किया और राष्ट्रपति बनकर वे क्या कर लेंगी, तो इस सवाल का जवाब तलाशना भी आपकी ही जिम्मेवारी है कि आजादी के 74 साल बाद भी देश को कोई आदिवासी राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री क्यों नहीं मिला? बता रहे हैं रवि प्रकाश

आप चाहें तो इस पर खुश हो लें कि दिल्ली के रायसीना हिल्स की पहाड़ियों पर बसे खूबसूरत और भव्य राष्ट्रपति भवन में अब एक आदिवासी नेता की एंट्री करीब-करीब तय हो गई है। या फिर आप इसका गम मना लें कि समानता की बात करने वाले गांधी और आंबेडकर के देश भारत में इस पद के लिए किसी आदिवासी को मन से आगे करने में सियासत के सूरमाओं को 74 साल क्यों लग गए। आप अगर सोशल मीडिया पर ज्यादा सक्रिय हैं, तो आप यह सवाल भी खड़ा कर सकते है कि कोई आदिवासी राष्ट्रपति बन ही जाए, तो वो आदिवासियों के हितों की कितनी बात कर पाएगा, क्योंकि भारतीय संवैधानिक व्यवस्था में राष्ट्रपति के पद की व्याख्या रबर स्टांप के तौर पर की जाती है।

पूरा आर्टिकल यहां पढें : द्रौपदी मुर्मू के बहाने बहुजन विमर्श

लेखक के बारे में

रवि प्रकाश

लेखक वरिष्ठ स्वतंत्र पत्रकार हैं तथा दैनिक जागरण, प्रभात खबर व आई-नेक्स्ट के संपादक रहे हैं

संबंधित आलेख

मनुस्मृति पढ़ाना ही है तो ‘गुलामगिरी’ और ‘जाति का विनाश’ भी पढ़ाइए : लक्ष्मण यादव
अभी यह स्थिति हो गई है कि भाजपा आज भले चुनाव हार जाए, लेकिन आरएसएस ने जिस तरह से विश्वविद्यालयों को अपने कैडर से...
आखिर ‘चंद्रगुप्त’ नाटक के पन्नों में क्यों गायब है आजीवक प्रसंग?
नाटक के मूल संस्करण से हटाए गए तीन दृश्य वे हैं, जिनमें आजीवक नामक पात्र आता है। आजीवक प्राक्वैदिक भारत की श्रमण परंपरा के...
कौशांबी कांड : सियासी हस्तक्षेप के बाद खुलकर सामने आई ‘जाति’
बीते 27 मई को उत्तर प्रदेश के कौशांबी में एक आठ साल की मासूम बच्ची के साथ यौन हिंसा का मामला अब जातिवादी बनता...
अपने जन्मदिन पर क्या सचमुच लालू ने किया बाबा साहब का अपमान?
संघ और भाजपा जहां मजबूत हैं, वहां उसके नेता बाबा साहब के विचारों और योगदानों को मिटाने में जुटे हैं। लेकिन जहां वे कमजोर...
कॉमरेड ए.के. राय कहते थे, थोपा गया विकास नहीं चाहते आदिवासी
कामरेड राय की स्पष्ट धारणा थी कि झारखंडी नेतृत्व के अंदर समाजवादी एवं वामपंथी विचारधारा उनके अस्तित्व रक्षा के लिए नितांत जरूरी है। लेकिन...