उड़ीसा के मयूरभंज जिले के संथाल परिवार में जन्मीं द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद के लिए गत 21 जुलाई, 2022 को निर्वाचित घोषित किया गया। राज्यसभा के महासचिव पीसी मोदी ने इसकी घोषणा करते हुए बताया कि राष्ट्रपति पद के लिए बीते 18 जुलाई को हुए मतदान में कुल 4754 मत पड़े। संसद परिसर में हुई मतगणना के दौरान कुल 4701 मत वैध और 55 मत अवैध पाए गए। द्रौपदी मुर्मू को 2824 प्रथम वरीयता का मत हासिल हुआ, जिनका कुल मान 6,76,803 है। जबकि यूपीए के उम्मीदवार पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा को मिले मतों का कुल मान 3,80,177 रहा।
इस प्रकार द्रौपदी मुर्मू अब देश की पंद्रहवीं और पहली आदिवासी तथा दूसरी महिला राष्ट्रपति बनेंगीं। उनके पहले प्रतिभा देवी सिंह पाटिल इस पद काे सुशोभित कर चुकी हैं। अबतक के राष्ट्रपतियों की सूची को जातिगत आधार पर देखें तो दलित बहुजनों में ज्ञानी जैल सिंह (ओबीसी), के. आर. नारायणन, रामनाथ कोविंद (दोनों दलित) के बाद अब इस सूची में द्रौपदी मुर्मू (आदिवासी) शामिल हो चुकी हैं।

बताते चलें कि द्रौपदी मुर्मू इससे पहले झारखंड की राज्यपाल भी रह चुकी हैं। राजनीति में आने से पहले वह एक सरकारी विभाग में लिपिक के रूप में कार्यरत थीं। बाद में उन्होंने अपने राज्य उड़ीसा में विधायकी का चुनाव लड़ा और राज्य में मंत्री भी बनायी गयीं। उनके राष्ट्रपति चुने जाने पर वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ काेविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी, राष्ट्रपति पद के लिए यूपीए के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा सहित अनेक नेताओं ने उन्हें बधाई दी है।
दिलीप मंडल पर सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का मुकदमा चलाने से अर्टानी जनरल ने किया इंकार
देश के अर्टानी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का मुकदमा चलाने से इंकार किया है। गत 19 जुलाई, 2022 को वेणुगोपाल ने अपने सौरव तिवारी नामक एक अधिवक्ता को दिये अपने जवाब में कहा है कि दिलीप मंडल ने जो कमेंट किया है, उससे सुप्रीम कोर्ट की अवमानना नहीं होती है। दरअसल, गत 16 जुलाई, 2022 को दिलीप मंडल ने मुख्य न्यायाधीश एन. वी. रमण के भाषण पर अपने ट्वीट में लिखा था– “ये तो चंद्रचूड़ से भी बढ़िया प्रवचन देता है। बात करवा लो इन निकम्मों से। इनकी अपनी अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट में 72 हजार से ज्यादा केस पेंडिंग हैं। कई केस में तो पिटीशनर मर भी गए। यहां जज दो दो साल की डेट देते हैं। #EWS में तो तीन सालों में बेंच तक नहीं बनी।”
गौरतलब है कि आर्थिक आधार पर कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के लिए केंद्र सरकार द्वारा दिये गये 10 फीसदी आरक्षण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं लंबित हैं।
सरकार की स्वीकारोक्ति, केंद्रीय मंत्रालयों में कुल 9 लाख 79 हजार 327 पद रिक्त
भारत सरकार ने भर्तियों पर रोक लगा रखा है। आलम यह है कि केंद्रीय मंत्रालयों में ही कुल 9 लाख 79 हजार 327 पद रिक्त पड़े हैं। यह स्वीकारोक्ति राज्यसभा सांसद पी. विल्सन द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में केंद्र सरकार ने लिखित जवाब में की। जवाब में कहा गया है कि 1 मार्च, 2021 तक केंद्रीय मंत्रालयों में कुल 9,79,327 पद रिक्त हैं। इनमें केंद्रीय लोक उपक्रमों और केंद्रीय विश्वविद्यालयों के आंकड़े शामिल नहीं हैं। साथ यही भी बताया गया कि ग्रुप ए में 23,854 पद, ग्रुप बी में 1,18,807 पद और ग्रुप सी में 8,36,936 पद रिक्त पड़े हैं।
महाराष्ट्र : पंचायत व स्थानीय निकायों में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण, सुप्रीम कोर्ट ने दी मंजूरी
महाराष्ट्र में पंचायत व स्थानीय निकायों में पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने दे दिया है। बीते 20 जुलाई, 2022 को इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश ए.एम. खानविलकर ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा गठित जयंत बंथिया आयोग की रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया। करीब 781 पन्नों की इस रिपोर्ट में मात्रात्मक आंकड़ों की जानकारी दी गई है। इस आयोग का गठन इसी साल मार्च महीने में पूर्ववर्ती उद्धव ठाकरे सरकार ने किया था। बताते चलें कि 6 दिसंबर, 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने पंचायत व निकाय चुनावों में ओबीसी के आरक्षण पर रोक लगा दी थी और राज्य सरकार को कहा था कि वह आंकड़े प्रस्तुत करे।
(संपादन : अनिल)
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