देश भर के अलग-अलग हिस्सों के आदिवासी समुदाय के लोगों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पर आदिवासियों की उपेक्षा का आरोप लगाया है। आदिवासी समुदाय के लोगों की नाराजगी की वजह गत 9 अगस्त, 2022 को विश्व आदिवासी दिवस के मौके राष्ट्रपति द्वारा कोई संदेश जारी नहीं किये जाने को लेकर है। उनका कहना है कि 9 अगस्त को पूरे विश्व में मूलनिवासी दिवस के रूप में मनाया जाता है और आदिवासी समुदाय से आने के बावजूद राष्ट्रपति ने इस दिन की अनदेखी की।
झारखंड के युवा आदिवासी सामाजिक कार्यकर्ता व लेखक ग्लैंडसन डुंगडुंग ने सोशल मीडिया पर इस बाबत अपने पोस्ट में लिखा कि “संघी चाहते हैं कि देश के 12 करोड़ आदिवासी इनके साथ जुड़ें और 2024 में इनकी डूबती नाव को नदी पार करा दें। लेकिन ‘विश्व आदिवासी दिवस’ के अवसर पर जब देश के आदिवासी नाचते, गाते और झूमते हुए अपने अधिकारों को लेकर चर्चा कर रहे थे और बेसब्री से इंतजार कर रहे थे कि देश की महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इनको बधाई एवं शुभकामनाएं देंगे, लेकिन दोनों ने देश के प्रथम निवासियों को नजरांदाज किया। काॅमनवेल्थ गेम में मेडल जीतने वाले प्रत्येक खिलाड़ियों को बधाई देने के लिए इनके पास समय है, लेकिन देश के 12 करोड़ आदिवासियों को बधाई और शुभकामना देने के लिए वक्त नहीं मिला। यह देश के 12 करोड़ आदिवासियों का घोर अपमान है। जो लोग आदिवासियों के सबसे बड़े त्योहार में बधाई एवं शुभकामनाएं नहीं दे सकते हैं, वे उनके संवैधानिक, कानूनी एवं पारंपरिक अधिकारों की सुरक्षा एवं संरक्षण कैसे करेंगे?”
भागलपुर में उल्लासपूर्ण माहौल में मनाया गया विश्व आदिवासी दिवस समारोह
गत 9 अगस्त, 2022 को विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर एक समारोह बिहार के भागलपुर जिले में उल्लासपूर्ण माहौल में मनाया गया। जिले के तिलकामांझी चौक पर स्थित शहीद तिलका मांझी की प्रतिमा के समक्ष “तिलका मांझी आदिवासी सुसार बैसी” सामाजिक संगठन के बैनर तले आयोजित इस समारोह में सांस्कृतिक झांकी सह विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता मान्यवर राजेश टुड्डू ने की। इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रो. विलक्षण रविदास सहित उपस्थित सामाजिक एवं राजनीतिक नेताओं-कार्यकर्तओं ने सबसे पहले शहीद तिलका मांझी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया। अपने संबोधन में प्रो. रविदास ने वैश्विक स्तर पर आदिवासियत के महत्व को रेखांकित किया तथा भारत में आदिवासियों की समस्याओं व उनकी चुनौतियों पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि वर्तमान में सभी मूलनिवासियों के बीच एकता जरूरी है। अन्य वक्ताओं में पुलिस अधिकारी शुकदेव किस्कू, सेवानिवृत्त प्रखंड विकास पदाधिकारी वीणा मुर्मू, बिहार फुले-आंबेडकर युवा मंच के प्रदेश प्रभारी अजय कुमार राम आदि शामिल रहे। सभी अतिथियों एवं उपस्थित लोगों का स्वागत संगठन के कोषाध्यक्ष पलटन हेम्ब्रम ने किया।

केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकेत्तर कर्मियों के मामले में भी ओबीसी हाशिए पर
ऑल इंडिया ओबीसी इंप्लॉयज फेडरेशन के अध्यक्ष जी. करुणानिधि ने एक बार फिर केंद्रीय विश्वविद्यालयों में ओबीसी वर्ग के 27 प्रतिशत से कम प्रतिनिधित्व का मसला उठाया है। इस बाबत उन्होंने एक बयान जारी किया है। उनका कहना है कि शिक्षकों के पदों के मामले में ओबीसी वर्ग की हिस्सेदारी तो कम है ही, शिक्षकेत्तर कर्मियों के मामले में भी यह वर्ग हाशिए पर है। उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार गत 1 अप्रैल, 2022 तक देश के 45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में कुल शिक्षकों की संख्या 12373 है। इनमें सामान्य श्रेणी के शिक्षकों की संख्या 8386, एससी वर्ग के शिक्षकों की संख्या 1306, एसटी वर्ग के शिक्षकों की संख्या 568 और ओबीसी वर्ग के शिक्षकों की संख्या 1740 है। जबकि ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण देय है। उन्होंने कहा कि यही स्थिति शिक्षकेत्तर कर्मियों के मामले में भी है। सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों में कुल 22 हजार 96 शिक्षकेत्तर कर्मी हैं। इनमें सामान्य श्रेणी के 16 हजार 132, एससी वर्ग के 2063, एसटी वर्ग के 1186 और ओबीसी वर्ग के 2342 हैं। इस हिसाब से देखें तो शिक्षकेत्तर कर्मियों में ओबीसी करीब दस फीसदी ही हैं। करुणनिधि ने केंद्र सरकार से मांग की है कि वह ओबीसी वर्ग को निर्धारित आरक्षण के मुताबिक भर्तियां करे।

लालू को मिला ओबीसी सम्मान
गत 7 अगस्त, 2022 को राजद प्रमुख लालू प्रसाद को राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ की ओर से सम्मानित किया गया। इस आशय की जानकारी महासंघ के राष्ट्रीय महासचिव सचिन राजूरकर ने दी। उन्होंने बताया कि इसके पहले दिल्ली के तालकटोरा इंडोर स्टेडियम में महासंघ की ओर से वार्षिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसका उद्घाटन महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने की। इस आयोजन में सेवानिवृत्त जस्टिस वी. ईश्वरैय्या के अलावा बड़ी संख्या में गणमान्य लोगों ने ओबीसी समुदाय के सवालों को लेकर अपना मंतव्य रखा। इस मौके पर महांसघ की ओर से राजद प्रमुख का सम्मान राजद सांसद डॉ. मीसा भारती के घर जाकर सम्मान किया गया। अस्वस्थता के कारण वे कार्यक्रम में शरीक नहीं हो सके।
(संपादन : अनिल)
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