वर्ष 1914 में जब पटना के हीरा डोम की भोजपुरी कविता ‘अछूत की शिकायत’ को पंडित महावीर प्रसाद द्विवेदी ने ‘सरस्वती’ में छापा, तो उनका क्या मकसद रहा होगा? यह प्रश्न मेरे लिये बहुत विचारणीय है। विचारणीय कई तरह से है। एक, इसलिए कि उस कालखंड में ‘सरस्वती’ का पाठक शायद ही दलित वर्ग में कोई हो। तब, ‘सरस्वती’ के द्विज पाठक वर्ग पर इस कविता का क्या प्रभाव पड़ा होगा? दो, क्या यह गांधीवाद का प्रभाव था? ऐसा इसलिये नहीं कहा जा सकता कि गांधी जी जी के ‘हरिजनोद्धार’ को 15 साल बाद पैदा होना था। गांधीवाद (दलित संदर्भ में) 1932 में अस्तित्व में आया था, जब डॉ. आंबेडकर के साथ ‘पूना-पैक्ट’ हुआ था। तीन, क्या इसके पीछे कोई सामाजिक दबाव था? यह हो सकता है। उस कालखंड में इसके कारण भी मौजूद थे। वे कारण क्या थे?
लेखक के बारे में
कंवल भारती
कंवल भारती (जन्म: फरवरी, 1953) प्रगतिशील आंबेडकरवादी चिंतक आज के सर्वाधिक चर्चित व सक्रिय लेखकों में से एक हैं। ‘दलित साहित्य की अवधारणा’, ‘स्वामी अछूतानंद हरिहर संचयिता’ आदि उनकी प्रमुख पुस्तकें हैं। उन्हें 1996 में डॉ. आंबेडकर राष्ट्रीय पुरस्कार तथा 2001 में भीमरत्न पुरस्कार प्राप्त हुआ था।