h n

ओबीसी के हितों की अनदेखी नहीं होने देंगे : हंसराज गंगाराम अहिर

बहुजन साप्ताहिकी के तहत इस बार पढ़ें ईडब्ल्यूएस संबंधी संविधान पीठ के फैसले को कांग्रेसी नेत्री जया ठाकुर द्वारा चुनाैती दिये जाने व तेलंगाना पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष वी.के. राव द्वारा ओबीसी क्रीमीलेयर की सीमा बढ़ाने हेतु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र के बारे में

“राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस विश्वास के साथ मुझे यह जिम्मेदारी दी है, उनके विश्वास पर खरा उतरने का पूरा प्रयास करूंगा। मैं इस देश के पिछड़ा वर्ग के लोगों के सवालों के प्रति सजग हूं और उनके हितों की अनदेखी नहीं होने दूंगा।” ये बातें राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के नवनियुक्त अध्यक्ष व पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री हंसराज गंगाराम अहिर ने फारवर्ड प्रेस से दूरभाष पर बातचीत में कही। उन्होंने यह भी कहा कि आज ओबीसी वर्ग के सामने कई सारे सवाल हैं। समयबद्ध तरीके से इनका निराकरण हो सके, इसकी वे पूरी कोशिश करेंगे। 

बताते चलें कि हंसराज गंगाराम अहिर महराष्ट्र के चंद्रपुर लोकसभा क्षेत्र से चार बार भाजपा के सांसद रहे हैं। हालांकि अभी राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अन्य सदस्यों का मनोनयन नहीं हुआ है। उम्मीद व्यक्त की जा रही है कि जल्द ही इस संबंध में केंद्र सरकार के स्तर पर अधिसूचना जारी की जाएगी।

हंसराज गंगाराम अहिर, नवनियुक्त अध्यक्ष, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग

कांग्रेस नेत्री जया ठाकुर ने ईडब्ल्यूएस फैसले को दी चुनौती

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ द्वारा 103वें संविधान संशोधन को 3 के मुकाबले 2 के बहुमत से वैधता प्रदान की गई। इसके जरिए केंद्र सरकार ने वर्ष 2019 में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के लिए सरकारी सेवाओं और उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश हेतु 10 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया था। संविधान पीठ के फैसले को कांग्रेस नेत्री जया ठाकुर ने चुनौती दी है। अपनी पुनर्विचार याचिका में जया ठाकुर ने कहा है कि जिन कारणों से पूर्व मुख्य न्यायाधीश व संविधान पीठ के अध्यक्ष जस्टिस यू.यू. ललित व जस्टिस रवींद्र भट्ट ने असहमति व्यक्त की थी, वे खारिज नहीं किये जाने चाहिए। उन्होंने अपनी याचिका में यह भी कहा है कि संविधान पीठ का फैसला इंद्रा साहनी बनाम भारत सरकार, 1993 मामले में संविधान पीठ द्वारा दिये गये फैसले का उल्लंघन करता है।

तेलंगाना पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष ने पीएम को लिखा पत्र

ओबीसी क्रीमीलेयर की आय सीमा वर्तमान में लाख रुपए निर्धारित है। इसे हर तीन साल पर बढ़ाए जाने का प्रावधान रहा है। लेकिन आखिरी बार इसे 2017 में बढ़ाया गया था। इस संबंध में तेलंगाना पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष वी. के. राव ने प्रधानमंत्री को नरेंद्र मोदी पत्र लिखा है।

अपने पत्र में राव ने कहा है कि ओबीसी क्रीमीलेयर की सीमा फरवरी, 2020 में ही पुनरीक्षित की जानी चाहिए थी। लेकिन इसे न तो 2020 में किया गया और ना ही 2021 में। अब 2022 खत्म हो रहा है। इस बीच महंगाई दर में बढ़ोत्तरी हो गई है, जिसके सापेक्ष आय सीमा को बढ़ाया जाना नितांत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि 2017 में आय सीमा को बढ़ाकर आठ लाख रुपए किया गया था। जबकि 2015 में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने अपनी रपट में 15 लाख रुपए तय करने की अनुशंसा की थी, जिसे माना नहीं गया।

राव ने यह भी कहा है कि आय सीमा नहीं बढ़ाए जाने से ओबीसी के हितों की हकमारी हो रही है। ऐसे में प्रधानमंत्री को अपने इस कथन पर विचार करना चाहिए कि उनकी सरकार ‘सबका साथ और सबका विकास’ कर रही है।

(संपादन : अनिल)


फारवर्ड प्रेस वेब पोर्टल के अतिरिक्‍त बहुजन मुद्दों की पुस्‍तकों का प्रकाशक भी है। एफपी बुक्‍स के नाम से जारी होने वाली ये किताबें बहुजन (दलित, ओबीसी, आदिवासी, घुमंतु, पसमांदा समुदाय) तबकों के साहित्‍य, सस्‍क‍ृति व सामाजिक-राजनीति की व्‍यापक समस्‍याओं के साथ-साथ इसके सूक्ष्म पहलुओं को भी गहराई से उजागर करती हैं। एफपी बुक्‍स की सूची जानने अथवा किताबें मंगवाने के लिए संपर्क करें। मोबाइल : +917827427311, ईमेल : info@forwardmagazine.in

लेखक के बारे में

नवल किशोर कुमार

नवल किशोर कुमार फॉरवर्ड प्रेस के संपादक (हिन्दी) हैं।

संबंधित आलेख

लोकसभा चुनाव : भाजपा को क्यों चाहिए चार सौ से अधिक सीटें?
आगामी 19 अप्रैल से लेकर 1 जून तक कुल सात चरणों में लाेकसभा चुनाव की अधिसूचना चुनाव आयोग द्वारा जारी कर दी गई है।...
ऊंची जातियों के लोग क्यों चाहते हैं भारत से लोकतंत्र की विदाई?
कंवल भारती बता रहे हैं भारत सरकार के सीएए कानून का दलित-पसमांदा संदर्भ। उनके मुताबिक, इस कानून से गरीब-पसमांदा मुसलमानों की एक बड़ी आबादी...
1857 के विद्रोह का दलित पाठ
सिपाही विद्रोह को भारत का पहला स्वतंत्रता संग्राम कहने वाले और अखंड हिंदू भारत का स्वप्न देखने वाले ब्राह्मण लेखकों ने यह देखने के...
मायावती आख़िर किधर जा सकती हैं?
समाजवादी पार्टी के पास अभी भी तीस सीट हैं, जिनपर वह मोलभाव कर सकती है। सियासी जानकारों का मानना है कि अखिलेश यादव इन...
आंकड़ों में बिहार के पसमांदा (पहला भाग, संदर्भ : नौकरी, शिक्षा, खेती और स्वरोजगार )
बीते दिनों दिल्ली के कंस्टीट्यूशन क्लब में ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज की एक रिपोर्ट ‘बिहार जाति गणना 2022-23 और पसमांदा एजेंडा’ पूर्व राज्यसभा...