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पटना में आयोजित बहुजन संसद में रहा सामाजिक न्याय व आपसी एकता पर जोर 

बहुजन संसद में विमर्श के दौरान यह बात भी उभर कर आई कि संविधान व लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई को विपक्षी राजनीतिक शक्तियों के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता है। बहुजन समाज को संविधान व लोकतंत्र को बचाने के लिए एकजुट होकर मजबूती से मनुवादी-कॉरपोरेट फासीवादी ताकतों के खिलाफ स्वयं खड़ा होना होगा। पढ़ें, यह रपट

संसद का आयोजन किया गया। इसे शीर्षक दिया गया– बहुजन संसद। पटना के रवींद्र भवन में आयोजित इस संसद का थीम था– मनुवादी-सांप्रदायिक-कॉरपोरेट फासीवादी हमले के खिलाफ सम्मान, हिस्सेदारी व बराबरी का सवाल। इस मौके पर पूर्व राज्यसभा सांसद अली अनवर अंसारी, दिल्ली विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. लक्षमण यादव, दिल्ली से आए पत्रकार-लेखक डॉ. सिद्धार्थ रामू के अलावा बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए।

इस बहुजन संसद में हुई चर्चा में यह बात उभर कर आई कि यदि 2024 में भाजपा की जीत हुई तो वह बहुजन समाज की हार होगी। भाजपा की जीत से बहुजनों की लड़ाई काफी पीछे चली जाएगी। साथ ही यह भी रेखांकित किया कि मनुवाद और कॉरपोरेट गठजोड़ हिंदू राष्ट्र की परियोजना को अंतिम अंजाम तक पहुंचाने की दिशा में बढ़ रहा है। इसलिए संविधान व लोकतंत्र को ठिकाने लगाया जा रहा है। हिंदू राष्ट्र की मुहिम का जवाब बहुजन राष्ट्र की अवधारणा से ही दिया जा सकता है। बहुजन आंदोलन को मनुवाद और कॉरपोरेट गठजोड़ को निशाने पर लेते हुए राष्ट्र निर्माण के एजेंडा के साथ आगे बढ़ना होगा। 

इसके अलावा बहुजन संसद में विमर्श के दौरान यह बात भी उभर कर आई कि संविधान व लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई को विपक्षी राजनीतिक शक्तियों के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता है। बहुजन समाज को संविधान व लोकतंत्र को बचाने के लिए एकजुट होकर मजबूती से मनुवादी-कॉरपोरेट फासीवादी ताकतों के खिलाफ स्वयं खड़ा होना होगा। 

बहुजन संसद की खास बात यह रही कि इसमें बिहार में महागठबंधन सरकार के ऊपर सवाल उठाए गए। खासकर गरीबों के घर उजाड़े जाने पर राज्य सरकार की आलोचना की गई कि जैसे भाजपा सरकारें अपने राज्यों में बुलडोजर राज चला रही हैं, उसी का अनुसरण कर और बिहार सरकार भी भूमिहीनों-गरीबों के झोपड़ियों पर बुलडोजर चला रही है। 

सामाजिक न्याय आंदोलन (बिहार) और ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस बहुजन संसद में राष्ट्रीय कर्मचारी संगठन, बहुजन स्टूडेंट्स यूनियन (बिहार), बिहार फुले-अंबेडकर युवा मंच, भारतीय पिछड़ा शोषित संगठन, राष्ट्रीय युवा महासंघ, बामसेफ (बिहार), मिथिलांचल ओबीसी फोरम, शोषित समाज दल युथ, ओबीसी महासभा (बिहार), देश बचाओ अभियान (खगड़िया) सहित कई संगठनों ने भागीदारी की।

उद्घाटन भाषण में पूर्व सांसद और ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष अली अनवर अंसारी ने कहा कि वर्तमान संसद घोर मनुवादी है और इसे वास्तविक अर्थों में बहुजन संसद बनाने की चुनौती है। उन्हेोंने आह्वान किया कि अगली संसद सचमुच बहुजन संसद हो, जहां से बहुजनों के मुद्दों पर विमर्श प्राथमिकता में रहें और तमाम दलित-बहुजनों के हित सुनिश्चित हों। 

उन्होंने कहा कि हिंदू सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ते हुए मुस्लिमों में सांप्रदायिकता को छूट नहीं दिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हम अकलियत नहीं ,बहुजन-पसमांदा-मूलनिवासी हैं। हर धर्म के बहुजनों की एकता की जरूरत है। उन्होंने कहा कि मनुवादी शक्तियां बहुजनों को धर्म और जातियों में बांट कर रखना चाहती हैं।

अली अनवर ने कहा कि बिहार में जमीन पर आरएसएस-भाजपा ने विभाजन व उन्माद की मुहिम को तेज कर दिया है। एक तरफ सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं सामने आ रही हैं तो दूसरी तरफ तमिलनाडु में बिहारी मजदूरों के साथ हिंसा की झूठी खबर फैलाकर क्षेत्रीय उन्माद फैलाने की साजिश का पर्दाफाश हुआ है। उन्होंने कहा कि बजरंग दल के सदस्यों ने बेगूसराय में गैंगरेप और सारण में मॉब लिचिंग की खौफनाक घटनाओं को अंजाम दिया है। 

बहुजन संसद को संबोधित करते पूर्व राज्यसभा सांसद अली अनवर अंसारी

उन्होंने कहा कि एससी, एसटी व ओबीसी के बीच आरएसएस-भाजपा ने घुसपैठ किया है। अब पसमांदा के बीच भी घुसपैठ करने की कोशिश कर रही है। मुसलमानों के विरोध पर खड़ी राजनीति 85 प्रतिशत पसमांदा के प्रति प्रेम दिखा रही है, लेकिन दुखद यह है कि सामाजिक न्याय व सेकुलर धारा की पार्टियां भी पसमांदा पहचान की उपेक्षा कर रही है।

बहुजन संसद की अध्यक्षता कर रहे प्रसिद्ध चिकित्सक व चिंतक डॉ.पीएनपी पाल ने कहा कि हिंदू-कॉरपोरेट फासीवादी सत्ता देश को गुलामी की ओर धकेल रही है। यदि 2024 में भाजपा की जीत हो गयी तो हिंदू राष्ट्र बनाने के साथ संविधान को बदलकर और लोकतंत्र को खत्म कर दिया जाएगा।पहले से ही न्यायपालिका सहित तमाम संवैधानिक संस्थाओं का चरित्र सवालों के घेरे में रहा है। अब उन संस्थाओं पर भाजपा-आरएसएस निर्णायक कब्जा करने की कोशिश कर रही है। संसद को अपंग बनाया जा रहा है। 

दिल्ली से आए पत्रकार-लेखक डॉ.सिद्धार्थ रामू ने कहा कि ऊंची जाति के लोग चाहे वामपंथी हों, गांधीवादी हों या लोहियावादी हों या फिर वे अमेरिका, यूरोप चले जाएं, उनके सामंती चरित्र में कोई परिवर्तन नहीं हो सकता।

उन्होंने कहा कि इस बात का प्रमाण यह है कि आज अमेरिका के सिएटल शहर में जातिवाद को रोकने के लिए कानून बनाना पड़ रहा है। वहीं दूसरी ओर दलित-पिछड़ा इसाई या मुसलमान भी हो जाए तो उसकी हैसियत नहीं बदलती है। उन्होंने कहा कि इस देश में किसी भी बड़े क्रांतिकारी सामाजिक-सांस्कृतिक परिवर्तन की अगुआई ऊंची जाति के लोग नहीं कर सकते हैं। ऊंची जातियों के नेतृत्व में ऐसा कोई बदलाव नहीं आ सकता, जिससे एससी, एसटी, ओबीसी, दलित ईसाई या पसमांदा की स्थिति में परिवर्तन आ जाए।

उन्होंने कहा कि बहुजन आबादी 85 प्रतिशत है। लेकिन धन-संपत्ति, नौकरी, संसद-विधानसभा तथा मीडिया सहितहर क्षेत्र में बहुजनों की आबादी के अनुपात में हिस्सेदारी की मांग कोई राजनीतिक दल नहीं कर रहा है। उन्होंने तमिलनाडु का उदाहरण देते हुए कहा कि एक मॉडल तमिलनाडु का है, जहां 69 प्रतिशत आरक्षण है। राष्ट्रीय स्तर पर ऐसी बहुजन पार्टी नहीं है, जो 85 प्रतिशत की हिस्सेदारी की दावेदारी के साथ दलितों, आदिवासियों, अति पिछड़ों व पिछड़ों के बीच न्यायपूर्ण बंटवारे को अपना एजेंडा बनाए। उन्होंने यह भी कहा कि जो नीति, नीयत व एजेंडा में सबको समुचित प्रतिनिधित्व दे, ऐसी बहुजन पार्टी ही भाजपा-आरएसएस को निर्णायक शिकस्त दे सकती है।

दिल्ली विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. लक्ष्मण यादव बहुजन संसद के संबोधित करते हुए कहा कि भाजपा-आरएसएस धर्म की आड़ लेकर बहुजनों का हक-अधिकार छीन रही है। एक तरफ नरेंद्र मोदी सरकार ने एससी, एसटी व ओबीसी के आरक्षण को निशाने पर ले रखा है तो दूसरी तरफ संविधान को बदलते हुए आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों के लिए आरक्षण लागू कर दिया है। इसी तरह नरेंद्र मोदी सरकार नई शिक्षा नीति-2020 के जरिए बहुजनों को शिक्षा से बेदखल कर वर्ण-जाति व्यवस्था को मजबूत बनाने की ओर बढ़ रही है। 

जेएनयू के पूर्व छात्र नेता प्रशांत निहाल ने इस मौके पर कहा कि मनुवादी शक्तियां तार्किक व वैज्ञानिक सोच के खिलाफ हैं। बहुजन विरासत का महत्वपूर्ण तत्व तर्कवाद व वैज्ञानिकता है। जबकि मनुवादी शक्तियां तर्क को अपराध के बतौर स्थापित करने के लिए आक्रामक हैं। मनुवादी ताकतें एक रामचरितमानस को तर्क व आलोचना से परे घोषित करते हुए धर्म ग्रंथ बता रही है। उन्होंने यह भी कहा कि एक प्रगतिशील-लोकतांत्रिक समाज में धर्म और धर्म ग्रंथ भी तर्क व आलोचना से परे नहीं हो सकता है।

महाराष्ट्र के मुस्लिम सत्यशोधक मंडल के अध्यक्ष डॉ.शमुसुद्दीन तंबोली ने कहा कि सेकुलरिज्म, सामाजिक न्याय व लोकतंत्र एक-दूसरे से जुड़ा हुआ है। इन्हें अलग करके नहीं देखा जा सकता है। 

अपने संबोधन में सामाजिक न्याय आंदोलन (बिहार) के रिंकु यादव ने कहा कि बिहार ने भाजपा को सत्ता से बेदखल कर विपक्षी एकता का मॉडल पेश करते हुए भाजपा विरोधी लड़ाई के पॉवर हाऊस के बतौर सामने आया है। बिहार की यह ताकत उसकी लोकतांत्रिक जमीन में है, जिसे भाजपा-आरएसएस बदलने में कामयाब नहीं हो पाई है। उन्होंने कहा कि बिहार की यह ताकत नये सिरे से खड़ा हो रहे बहुजन जागरण में है। जमीन की इस ताकत को बढ़ाने व संगठित करने और भाजपा के खिलाफ खड़ा करने की जरूरत है। इसी जरूरत को पूरा करने की दिशा में इस बहुजन संसद का आयोजन किया गया है। 

बहुजन संसद का संचालन गौतम कुमार प्रीतम और सुबोध यादव ने किया। 

(संपादन : नवल/अनिल)

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