h n

बहुजन साप्ताहिकी : गरमाई ओबीसी राजनीति, जी. रोहिणी आयोग की रपट राष्ट्रपति को समर्पित

लोकसभा चुनाव अब देश के माथे पर है। लिहाजा बहुसंख्यक ओबीसी वर्ग को लेकर सियासत गरमा गई है। जी. रोहिणी कमीशन से जुड़ी इस खबर के साथ ही पढ़ें लालू प्रसाद से राहुल गांधी की खास मुलाकात, तिरुपति में आयोजित होने वाले राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ के आठवें सम्मेलन और शबाना आजमी द्वारा सावित्रीबाई फुले के जीवन पर आधारित नाटक के लोकार्पण के बारे में

देश में अगले साल लोकसभा का चुनाव होना है और अभी से ओबीसी राजनीति गरमाने लगी है। जैसा कि पहले से यह अनुमान लगाया जा रहा था कि ओबीसी उपवर्गीकरण के लिए 2 नवंबर, 2017 को भारत सरकार द्वारा गठित जी. रोहिणी कमीशन अपनी रपट लोकसभा चुनाव के पहले समर्पित कर सकती है, अब सच हो गया है। गत 31 जुलाई को आयोग की रपट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को केंद्र सरकार द्वारा समर्पित कर दी गई। हालांकि इस बारे में केंद्र सरकार द्वारा अभी तक कोई खुलासा नहीं किया गया है कि आयोग ने अपनी रपट में किस तरह की अनुशंसा की है। हालांकि राजनीतिक विश्लेषक यह मानते रहे हैं कि रोहिणी कमीशन का गठन ओबीसी की एकता को तोड़ने के लिए किया गया। वे इसकी वजह यह भी बताते हैं कि अभी तक सभी पद समूहों में ओबीसी की 27 प्रतिशत भागीदारी सुनिश्चित नहीं है। इसके अलावा आयोग की रपट को इस कारण से भी संदिग्ध माना जा रहा है क्योंकि सरकार के पास ओबीसी से संबंधित ठोस आंकड़ा नहीं है। 

लालू से मिल राहुल ने कहा सामाजिक न्याय ‘इंडिया’ की प्राथमिकता

सुप्रीम कोर्ट के द्वारा मानहानि मामले में सजा पर रोक लगाए जाने के बाद कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद से मिले। राज्यसभा सांसद और लालू प्रसाद की पुत्री डा. मीसा भारती के सरकारी आवास पर बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव व राजद के वरिष्ठ नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी और कांग्रेस के महासचिव केसी वेणुगाेपाल भी मौजूद रहे। इस मुलाकात के दौरान राहुल गांधी ने लालू प्रसाद से विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की प्रस्तावित बैठक व इसके एजेंडे के बारे में बातचीत की। मिली जानकारी के अनुसार राहुल गांधी ने पटना हाई कोर्ट द्वारा बिहार में जातिगत गणना व सर्वेक्षण पर लगाई गई रोक हटाए जाने के न्यायादेश पर हर्ष व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि सामाजिक न्याय के लिए यह आवश्यक है कि जो वंचित हैं, उन्हें समुचित हिस्सेदारी मिले। 

लालू से मिलने पहुंचे राहुल गांधी

तिरुपति में राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ का आठवां सम्मेलन, फुले दंपत्ति को ‘भारत रत्न’ देने की मांग पर जोर 

राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ का आठवां सम्मेलन आगामी 7 अगस्त को आंध्र प्रदेश के तिरुपति में होगा। इसका उद्घाटन आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी करेंगे। सनद रहे कि 7 अगस्त को मंडल दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन 1990 को तत्कालीन प्रधानमंत्री वी.पी. सिंह सरकार द्वारा मंडल कमीशन की अनुशंसा को लागू करने का ऐलान लोकसभा में किया गया था। राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ के राष्ट्रीय महासचिव सचिन राजुरकर ने बताया कि इस सम्मेलन के दौरान देश भर में जातिगत जनगणना कराए जाने की मांग के अलावा केंद्र सरकार से जोतीराव फुले व सावित्रीबाई फुले को मरणोपरांत ‘भारत रत्न’ सम्मान दिए जाने की मांग की जाएगी। उन्होंने बताया कि इस सम्मेलन को राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष हंसराज अहीर, आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री नारायण स्वामी, आंध्र प्रदेश के पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री सी. वेणुगोपाल कृष्णा, तेलंगाना के पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री जी. कमलाकर, राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ के अध्यक्ष डॉ. बबनराव तायवाडे, आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस वी. ईश्वरैय्या और राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ के राष्ट्रीय समन्वयक डॉ. अशोक जीवतोडे संबोधित करेंगे।

राजुरकर ने बताया कि इस बार सम्मेलन में जिन मांगाें पर विचार विमर्श किया जाएगा, उनमें केंद्र और राज्य सरकारों को केंद्र में पिछड़ा वर्ग के लिए एक अलग मंत्रालय स्थापित करने, क्रीमीलेयर की आय सीमा (जो पिछले छह वर्षों से नहीं बढ़ाई गई है) को बढ़ाने, आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक करने की मांग शामिल है। इसके अलावा इस मौके पर आंध्र प्रदेश विधान परिषद के पूर्व सदस्य इलापुरम वेंकैया और ऑल इंडिया ओबीसी इम्पलॉयज फेडरेशन के राष्ट्रीय महासचिव जी. करुणानिधि को सम्मानित किया जाएगा।

जातिगत गणना पर फिर बवाल, सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल

गत 1 अगस्त, 2023 को पटना हाई कोर्ट द्वारा बिहार में जातिगत गणना पर लगी रोक हटाए जाने के बाद भी जातिगत गणना के विरोधी यूथ फॉर इक्वलिटी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल किया है। बताते चलें कि राज्य सरकार के मुताबिक सूबे में जातिगत गणना का 80 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। ऐसे में कहीं सुप्रीम कोर्ट अब इस पर रोक न लगा दे, राज्य सरकार के द्वारा कैविएट याचिका दाखिल कर कहा गया है कि बिना उसका पक्ष सुने सुप्रीम कोर्ट कोई आदेश न दे। हालांकि यह पहला अवसर नहीं है जब जातिगत गणना को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। लेकिन इसके ठीक पहले याचिकाकर्ता बिहार सरकार थी, जब पटना हाई कोर्ट ने जातिगत गणना पर अंतरिम रोक लगा दी थी। हालांकि सबसे पहले जातिगत गणना विरोधियों ने ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर गणना पर रोक लगाने की मांग की थी। 

शबाना आजमी ने कहा– सावित्रीबाई फुले का जीवन हमेशा अनुकरणीय

क्रांति ज्योति सावित्रीबाई फुले ने अपने जीवन में यह साबित कर दिखाया कि युग परिवर्तन कैसे किया जाता है। उनकी जलाई हुई ज्योति आज मशाल बन चुकी है। उनका जीवन हमेशा अनुकरणीय रहेगा। ये बातें प्रसिद्ध अभिनेत्री व रंगमंच अदाकारा शबाना आजमी ने गत 27 जुलाई, 2023 को मुंबई के कुसुमाग्रज मराठी भवन में प्रसिद्ध नाटककार, नाट्य निर्देशक तथा समीक्षक डॉ. सतीश पावड़े द्वारा लिखित मराठी नाटक ‘ज्योती झाली ज्वाला’ एवं इसका हिंदी अनुवाद ‘ज्योति बन गयी ज्वाला’ का लोकार्पण करते हुए कही। 

लोकार्पण कार्यक्रम को संबोधित करतीं शबाना आजमी

उन्होंने कहा कि सामाजिक बदलाव के लिए लिखें जाने वाले नाटकों को झुग्गी-झोपड़पट्टियों, बस्तियों तथा गांवों तक पहुंचाया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि सामजिक परिवर्तन के लिए नाटक प्रभावी माध्यम रहे हैं। इनका उपयोग बड़े पैमाने पर आंदोलन के साधन के रूप में किया जाना चाहिए। मुंबई विश्वविद्यालय, मुंबई के मराठी विभाग, हिंदी विभाग तथा शोध पत्रिका ‘शोधावरी’ के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित इस कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में प्रसिद्ध फ़िल्म निर्देशक एवं नाटककार गजेंद्र अहिरे उपस्थित थे। अध्यक्षता मराठी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. अनिल सपकाल ने की।

(संपादन : राजन/अनिल)


फारवर्ड प्रेस वेब पोर्टल के अतिरिक्‍त बहुजन मुद्दों की पुस्‍तकों का प्रकाशक भी है। एफपी बुक्‍स के नाम से जारी होने वाली ये किताबें बहुजन (दलित, ओबीसी, आदिवासी, घुमंतु, पसमांदा समुदाय) तबकों के साहित्‍य, सस्‍क‍ृति व सामाजिक-राजनीति की व्‍यापक समस्‍याओं के साथ-साथ इसके सूक्ष्म पहलुओं को भी गहराई से उजागर करती हैं। एफपी बुक्‍स की सूची जानने अथवा किताबें मंगवाने के लिए संपर्क करें। मोबाइल : +917827427311, ईमेल : info@forwardmagazine.in

लेखक के बारे में

नवल किशोर कुमार

नवल किशोर कुमार फॉरवर्ड प्रेस के संपादक (हिन्दी) हैं।

संबंधित आलेख

केशव प्रसाद मौर्य बनाम योगी आदित्यनाथ : बवाल भी, सवाल भी
उत्तर प्रदेश में इस तरह की लड़ाई पहली बार नहीं हो रही है। कल्याण सिंह और राजनाथ सिंह के बीच की खींचतान कौन भूला...
बौद्ध धर्मावलंबियों का हो अपना पर्सनल लॉ, तमिल सांसद ने की केंद्र सरकार से मांग
तमिलनाडु से सांसद डॉ. थोल थिरुमावलवन ने अपने पत्र में यह उल्लेखित किया है कि एक पृथक पर्सनल लॉ बौद्ध धर्मावलंबियों के इस अधिकार...
मध्य प्रदेश : दलितों-आदिवासियों के हक का पैसा ‘गऊ माता’ के पेट में
गाय और मंदिर को प्राथमिकता देने का सीधा मतलब है हिंदुत्व की विचारधारा और राजनीति को मजबूत करना। दलितों-आदिवासियों पर सवर्णों और अन्य शासक...
मध्य प्रदेश : मासूम भाई और चाचा की हत्या पर सवाल उठानेवाली दलित किशोरी की संदिग्ध मौत पर सवाल
सागर जिले में हुए दलित उत्पीड़न की इस तरह की लोमहर्षक घटना के विरोध में जिस तरह सामाजिक गोलबंदी होनी चाहिए थी, वैसी देखने...
फुले-आंबेडकरवादी आंदोलन के विरुद्ध है मराठा आरक्षण आंदोलन (दूसरा भाग)
मराठा आरक्षण आंदोलन पर आधारित आलेख शृंखला के दूसरे भाग में प्रो. श्रावण देवरे बता रहे हैं वर्ष 2013 में तत्कालीन मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण...