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विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर पूरे देश में मणिपुर में अत्याचार का विरोध

इस स्तंभ के तहत इस बार पढ़ें विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर देश भर में हुए आयोजनों से संबंधित खबरें व संसद में एनडीए के घटक दल के सदस्य द्वारा केंद्रीय गृहमंत्री के बयान के विरोध के बारे में

आदिवासी न्यूज राउंडअप

बीते 9 अगस्त को देश के विभिन्न हिस्सों में आदिवासी समुदाय द्वारा विश्व आदिवासी दिवस मनाया गया। इसबार की मुख्य बात यह रही कि मणिपुर सहित देशभर में हो रहे आदिवासियों पर अत्याचार और हिंसा के विरोध में प्रदर्शन किए गए तथा विरोध स्वरूप काली पट्टी बांध कर रैलियां निकाली गईं।

छत्तीसगढ़ में आक्रोश रैली 

छत्तीसगढ़ में विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर राज्य प्रशासन द्वारा कार्यक्रम का आयोजन कर सरकार के विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी गई, वहीं दूसरी ओर सर्व आदिवासी समाज ने पूरे प्रदेश में इसे आक्रोश रैली के रूप में मनाने का आह्वान किया। 

छत्तीसगढ़ के अनेक जिला मुख्यालयों, तहसीलों, प्रखंड एवं ग्राम-स्तर पर आदिवासी समुदाय के लोगों ने एकजुट होकर आक्रोश रैली निकाला और मणिपुर में आदिवासियों के साथ हिंसा एवं अमानवीय व्यवहार के दोषियों को फांसी की सजा देने की मांग की। साथ ही समान नागरिक संहिता (यूसीसी) से आदिवासी वर्ग को पृथक रखे जाने तथा पेसा कानून की मंशा अनुरूप राज्य सरकार द्वारा क्रियान्वयन करने की मांग की गई। 

सरगुजा जिले के उदयपुर तहसील अंतर्गत रामगढ़ में विश्व आदिवासी दिवस कार्यक्रम का आयोजन गोंडवाना महासभा, कंवर समाज, रविदास समाज, उरांव कुड़ुख समाज, मंझवार समाज, अजाक्स, गोंडवाना स्टूडेंट यूनियन (जीएसयू), पंडो समाज के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। कार्यक्रम के आरंभ में तहसील परिसर के सामने अमर शहीद वीरनारायण सिंह चौक पर माल्यार्पण के बाद आक्रोश रैली निकाली गई। इसकी अगुवाई नवल सिंह वरकड़े, विजय कोर्राम, रोहित टेकाम, गोविन्द वरकड़े, विनोद सिंह पोर्ते, रामजीत आरमोर, समल सिंह आर्मो, श्रवण वरकड़े, रावेन कोर्राम, नानसाय मिंज, अनिल कुमार टोप्पो, देवसिंह करियाम, नीरज पैकरा आदि ने की।

जगदलपुर में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दी 637 करोड़ रुपए की सौगात

वहीं जगदलपुर जिले में इस मौके पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 2 हजार 300 करोड़ रूपए लागत वाली योजनाओं का लोकार्पण तथा भूमिपूजन करते हुए पृथक रूप से बस्तर के क्षेत्र वासियों को 637 करोड़ रूपए के विकास कार्याें की सौगात दी। मुख्यमंत्री बघेल की घोषणाओं में बस्तर संभाग के सभी जिला मुख्यालयों में बीएड और डीएड कॉलेज खोले जाने, हर जिले में 50 आदिवासी छात्र व 50 आदिवासी छात्राओं के लिए छात्रावास का निर्माण, आदिवासियों के संस्कृति के प्रतीक बूढ़ादेव गुडी निर्माण एवं मूर्ति स्थापना, धरमपुरा जगदलपुर में पुलिस थाना भवन निर्माण, बस्तर संभाग में कई सड़कों का निर्माण, जिला न्यायालय जगदलपुर चौक जगदलपुर का नामकरण ‘भूमकाल चौक’ के नाम पर किया जाना, जिला बस्तर के धरमपुरा में ‘धरमु माहरा’ के नाम से प्रवेश द्वार निर्माण आदि शामिल रहे। 

दंतेवाड़ा जिले में नक्सल मोर्चे पर तैनात महिला कमांडो का विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर बस्तर के आदिवासियों के पारंपरिक लोकगीत पर किया गया बस्तरिया डांस काफी वायरल हुआ और काफी सराहा गया। इस वीडियो के संबंध में मुख्यमंत्री बघेल ने भी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह बदलता हुआ छत्तीसगढ़ है। 

शिवराज सरकार ने खत्म किया विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर ऐच्छिक अवकाश

मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह सरकर ने विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर ऐच्छिक अवकाश को समाप्त कर दिया है। बताते चलें कि वर्ष 2019 में कमलनाथ सरकार द्वारा विश्व आदिवासी दिवस पर अनिवार्य अवकाश घोषित किया गया था, लेकिन उसके अगले साल अस्तित्व में आई भाजपा सरकार ने इसे अनिवार्य से ऐच्छिक अवकाश में तब्दील कर दिया। यह स्थिति 2022 तक बनी रही। यह भी उल्लेखनीय है कि इस संबंध में सूबे के अनेक जनप्रतिनिधियों एवं बुद्धिजीवियों ने इस बार भी अवकाश घोषित करने की मांग की थी।

मध्य प्रदेश में काली पट्टी बांधकर जताया विरोध

मध्य प्रदेश के कई जिलों में जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस) संगठन, गोंडवाना महासभा, आदिवासी छात्र संगठन, आदिवासी एकता परिषद समेत विभिन्न संगठनों द्वारा विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर रैली एवं कार्यक्रम का आयोजन किया गया। रैली के दौरान काली पट्टी बांधकर मणिपुर समेत देशभर में आदिवासियों पर हो रहे अत्याचारों का विरोध किया गया। 

मध्य प्रदेश के खरगोन, धार, बड़वानी, झाबुआ, बेतूल, मंडला, डिंडोरी, अनूपपुर, होशंगाबाद, आगर-मालवा, बुरहानपुर, इंदौर समेत अनेक जिलों में सात दिवसीय कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। मसलन, खरगोन जिले में जयस, आदिवासी छात्र संगठन एवं अन्य संगठनों ने रैली एवं कार्यक्रमों का आयोजन किया। मणिपुर हिंसा सहित देश भर में आदिवासी समाजजनों के साथ हुई घटनाओं के चलते इस बार विश्व आदिवासी दिवस सादगी पूर्ण ढंग से मनाया गया। खरगोन के बिस्टान रोड से रैली निकाली गई जिसमें आदिवासी समाज के युवा, युवतियां हाथों में काली पट्टियां बांधे तख्तियां लेकर चल रहे थे। वे नारा लगा रहे थे– “आमू आखा एक छे” (हम सभी आदिवासी एक हैं)। झाबुआ जिले में बड़ा जमावाड़ा हुआ, जिसमें सभी पारंपरिक वेशभूषा में पहुंचे थे। इनमें जयस, भील संगठन, भील सेना, अजाक्स समेत कई सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ता, राजनीतिक दलों के साथ नौकरीपेशा एवं आदिवासी व्यवसायी भी शामिल हुए। वहीं धार जिले के मनावर विधानसभा क्षेत्र में जयस के राष्ट्रीय सरंक्षक एवं विधायक डॉ. हिरालाल अलावा के नेतृत्व में मेला मैदान के विक्रम सामुदायिक मांगलिक भवन से हाथों में तख्ती लेकर व काली पट्टी बांधकर रैली नगर के प्रमुख मार्गों से निकाली गई। डॉ. अलावा ने कहा कि भारत के मणिपुर में आदिवासी महिला को निर्वस्त्र करने की घटना हो या सीधी में आदिवासी व्यक्ति पर पेशाब करने या फिर प्रदेश के अलग-अलग जिलों में आदिवासियों के साथ हो रही घटनाओं से आक्रोशित आदिवासी समाज ने आज 9 अगस्त विश्व आदिवासी दिवस को धूमधाम से नहीं, बल्कि आक्रोश दिवस के रूप में मना रहा है।

मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले इंदौर में भी आदिवासी छात्रों ने बड़ी रैली निकाली। यह रैली लाल बाग से होते हुए भंवरकुआं चौराहे, राजीव गांधी चौराहे होते हुए इंदौर के सभी मुख्य बाजारों से निकली। छात्रों ने आदिवासियों के लिए आरक्षित बैकलॉग पदों पर भर्ती, प्रदेश में शांति की मांग, शैक्षणिक विकास एवं रोजगार, आदिवासियों पर अत्याचार के मुद्दे पर नारेबाजी की।

वहीं आगर-मालवा जिले के नलखेड़ा में भी बड़ी संख्या में युवा मोटरसाईकिलों पर हाथों में झंडे और तख्तियां लेकर रैली निकाली। आदिवासी लड़किया रानी दुर्गावती की वेशभूषा में रैली में शामिल हुईं। 

रैली में आदिवासी बच्चों के शामिल होने पर जयस संरक्षक पर एफआईआर करने का आदेश

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने मध्य प्रदेश के कांग्रेस विधायक डॉ. हिरालाल अलावा के खिलाफ जुवेनाइल एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है। बताते चलें कि गत 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस के अवसर डॉ. हिरालाल अलावा के नेतृत्व में निकाली गई। उनके ऊपर आरोप है कि उन्होंने राजनीतिक कार्यक्रम में बच्चों को शामिल किया। 

इस संबंध में डॉ. हिरालाल अलावा ने अपने बयान में कहा है कि आयोग का आरोप पूरी तरह निराधार है, क्योंकि उनका संगठन जयस एक सामाजिक संगठन है। उन्होंने कहा कि “आदिवासियों के इस कार्यक्रम एवं रैली को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने गलत ढंग से पोलिटिकल (राजनीतिक) रैली एवं ‘बाल अधिकारों के हनन’ बताकर आदिवासी युवाओं, बच्चों को अपने सामाजिक-सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेने से रोक रहा है। साथ ही ‘इंटरनेशनल डे ऑफ दी वर्ल्ड इंडीजीनियस पीपुल्स’ के बदले केवल वर्ल्ड ट्राइबल डे कहकर प्रदेश एव देश भर के आदिवासियों का अपमान किया है।” 

झारखंड में हेमंत सोरेन ने कहा, हम आदिवासियों को खत्म करने की साजिश रची जा रही

विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर झारखंड सरकार द्वारा रांची में 9 एवं 10 अगस्त, 2023 को दो दिवसीय आदिवासी महोत्सव 2023 का आयोजन किया गया। यह आयोजन रांची के बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान सह संग्रहालय में किया गया। इस मौके पर पूर्व मुख्यमंत्री, सांसद व झारखंड मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिबू सोरेन मुख्य अतिथि थे।

कार्यक्रम को संबोधित करते हेमंत सोरेन

महोत्सव को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि “आदिवासियों को समाप्त करने की साजिश की जा रही है। मणिपुर इसका ताजा उदाहरण है। उन्होंने ‘अदिवासियत : एक जीवन शैली’ की परिचर्चा के दौरान कहा कि मुझे इस बात का गर्व है कि मैं एक आदिवासी मुख्यमंत्री हूं। आज देश की सवा सौ करोड़ की आबादी में तेरह करोड़ आदिवासी हैं। इन आदिवासियों की पहचान बरकरार रखने के लिए मैं प्रतिबद्ध हूं। हमारी सरकार सभी आदिवासी समुदायों को जोड़ने का प्रयास कर रही है।” 

राजस्थान के मानगढ़ में राहुल ने कहा– आदिवासियों को वनवासी कहना गलत

राजस्थान के बांसवाड़ा ज़िले के मानगढ़ धाम पर विश्व आदिवासी दिवस समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी ने कहा कि आरएसएस के द्वारा आदिवासियों को वनवासी कह जाना पूरे भारत का अपमान है। उन्होंने कहा कि भाजपा आदिवासियों को ‘वनवासी’ कहती है और फिर उन्हीं के जंगलों को उनसे छीनकर ‘अडाणी’ (उद्योगपतियों) को पकड़ा देती है। साथ ही उन्होंने कहा कि देश के आदिवासियों को भी बाकी नागरिकों के समान सपने देखने का अवसर और अधिकार मिलना चाहिए। 

मानगढ़ में आयोजित कार्यक्रम के दौरान राहुल गांधी

वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आदिवासी क्षेत्र के विकास के लिए अनेक घोषणाएं कीं। गहलोत ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा मानगढ़ को राष्ट्रीय स्मारक घोषित नहीं किये जाने पर अब राज्य सरकार धाम के विकास में 100 करोड़ रुपए व्यय करेगी। उन्होंने बड़ा एलान करते हुए कहा कि मानगढ़ में देश की आज़ादी के लिये गोविंद गुरु के नेतृत्व में हज़ारों आदिवासियों ने बलिदान दिया था। राज्य सरकार द्वारा उनकी शहादत में राजकीय अवकाश घोषित किया गया है। इसके अलावा राज्य सरकार ने आदिवासी क्षेत्र में कार्यरत 2000 बाहरी शिक्षकों के तबादले का निर्णय लिया है। इससे अब इस क्षेत्र के शिक्षकों को पढ़ाने का अवसर मिलेगा।

इसके अलावा राजस्थान के बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, करौली, पाली, दौसा में भील एवं मीणा आदिवासी समुदाय द्वारा रैली एवं कार्यक्रमों द्वारा विश्व आदिवासी दिवस मनाया गया। रैली में ऐतिहासिक कला व संस्कृति और अधिकारों के संरक्षण के लिए आवाज बुलंद किया गया। वहीं डूंगरपुर में भीलप्रदेश आदिवासी परिवार द्वारा बड़ा आयोजन किया गया था, जिसमें सीमावर्ती राज्य गुजरात और महाराष्ट्र के आदिवासी भी शामिल हुए थे। 

तीन युवा आदिवासी लेखकों को मिलेगा दूसरा ‘जयपाल-जुलियुस-हन्ना साहित्य अवार्ड’ 

झारखंड के प्यारा केरकेट्टा फाउंडेशन की जयपाल-जुलियुस-हन्ना साहित्य पुरस्कार कमिटी ने दूसरा ‘जयपाल-जुलियुस-हन्ना साहित्य अवार्ड’ देश के तीन युवा आदिवासी लेखकों को देने का फैसला किया है। बीते 11 अगस्त, 2023 को फाउंडेशन की तरफ से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि इस साल यह सम्मान अरुणाचल प्रदेश, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल के तीन युवा लेखकों को मिलेगा। इनमें डॉ. तुनुङ ताबिङ का ‘गोमपी गोमुक’ (शब्द ध्वनि), संतोष पावरा की ‘हेम्टू’ (अतिक्रमण) और डॉ. पूजा प्रभा एक्का की अनुवादित रचना ‘सोमरा का दिसुम’ को पुरस्कार के लिए चुना गया है।

प्यारा केरकेट्टा फाउंडेशन की मुख्य कार्यकारी और आदिवासी लेखिका वंदना टेटे ने कहा कि विजेताओं को यह सम्मान नवंबर में रांची में होने वाले समारोह में प्रदान किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि ‘जयपाल-जुलियुस-हन्ना साहित्य अवार्ड’ पिछले साल विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर शुरू किया गया था जो भारत की किसी भी आदिवासी भाषा में रचित तीन मौलिक रचनाओं को दिया जाता है।

छत्तीसगढ़ : अरविंद नेताम ने कांग्रेस से दिया इस्तीफा

छत्तीसगढ़ में इस साल नवंबर-दिसंबर तक विधानसभा चुनाव होने हैं, उससे पहले ही कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। छत्तीसगढ़ के प्रमुख आदिवासी नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम ने कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया। यह छत्तीसगढ़ कांग्रेस के लिए एक बड़े झटका के रूप में देखा जा रहा है।

नेताम ने कांग्रेस पार्टी पर आदिवासी समुदाय की उपेक्षा करने का आरोप लगाया है। वहीं नेताम के इस्तीफे पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि नेताम बहुत पहले से पार्टी विरोधी कार्य कर रहे थे। वहीं इस्तीफा देने के बाद नेताम ने आरोप लगाया कि वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी अध्यक्ष रहे राहुल गांधी ने पेसा अधिनियम लागू करने का बार-बार आश्वासन दिया था, लेकिन बघेल सरकार ने पेसा कानून की धज्जियां उड़ा दी हैं।

उन्होंने कहा कि “मैंने काफी सोच-विचार करने के बाद विश्व आदिवासी दिवस 9 अगस्त को अपना इस्तीफा दे दिया, क्योंकि उसी दिन राज्य सरकार ने पेसा अधिनियम को समाप्त कर दिया है। जो आदिवासी समुदाय के जल जंगल जमीन एवं अन्य अधिकारों की रक्षा करता है। यह इस्तीफा एक तरह का विरोध है। इसके अलावा कई अन्य कारण भी हैं।”

ज्ञात हो कि सर्व आदिवासी समाज संगठन ने अरविंद नेताम के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ विधानसभा की 90 सीट में से 50 सीट पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। इस संबंध में नेताम ने कहा कि हम सीधे तौर पर 30 विधानसभा सीट पर अपने उम्मीदवार उतारेंगे, लेकिन उन 20 सीट पर भी लड़ेंगे, जहां आदिवासी वोटर निर्णायक भूमिका में हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), बहुजन समाज पार्टी और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के साथ गठबंधन की बात चल रही है। हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी द्वारा स्थापित क्षेत्रीय पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ और आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन करने से इनकार किया। 

मिजोरम के आदिवासी म्यांमार मूल के नहीं, एनडीए के आदिवासी नेता ने अमित शाह के बयान की निंदा की

एनडीए गठबंधन की सहयोगी दल मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) ने केंद्रीय मंत्री अमित शाह के बयान पर विरोध जताया है। एमएनएफ के राज्यसभा सांसद के. वनललवेना ने संसद में अमित शाह के बयान के प्रति विरोध जताते हुए कहा कि “मैं मिजोरम राज्य से हूं। मैं आदिवासी सांसद हूं। गृह मंत्री ने कहा कि मणिपुर में आदिवासी लोग म्यांमार के हैं। मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि हम म्यांमार के नहीं हैं। हम भारतीय हैं। हम वहां अंग्रेजों के आने से पहले से करीब 200 वर्षों से रह रहे हैं।” 

वहीं लोकसभा में मणिपुर में जारी हिंसा के सवाल पर मोदी सरकार के विरूद्ध विपक्ष द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर असम के कोकराझाड़ से निर्दलीय सांसद नबा कुमार सराणिया ने कहा कि मणिपुर घटना को केंद्र सरकार को जैसे नियंत्रित करना चाहिए था, उसने वैसे नहीं किया। इसके लिए नरेंद्र मोदी की केंद्र सरकार जिम्मेदार है। इसलिए प्रधानमंत्री मोदी को इस्तीफा देना चाहिए। 

(संपादन : नवल/अनिल)


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लेखक के बारे में

राजन कुमार

राजन कुमार फारवर्ड प्रेस के उप-संपादक (हिंदी) हैं

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