h n

पहले अपने पूर्वजों के अत्याचार के लिए माफी मांगें मोहन भागवत : प्रकाश आंबेडकर

प्रकाश आंबेडकर के मुताबिक, मोहन भागवत पहले माफी मांगें। और अगर वे इतने ही दुखी हैं तो जो वंचित लोग हैं, उन्हें सभी सरकरी नौकरियां दे दें और जो सवर्ण वर्ग के लोग हैं, उन्हें सरकारी नौकरियों से हटा दिया जाय

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने बीते 7 सितंबर, 2023 को नागपुर में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करने के दौरान आरक्षण का समर्थन किया। उन्होंने कहा जब तक समाज में भेदभाव है, तबतक आरक्षण जारी रहना चाहिए। उनके इस बयान को दलित-बहुजन नेताओं ने राजनीतिक बयान कहकर खारिज किया। वंचित बहुजन अघाड़ी के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रकाश आंबेडकर ने मोहन भागवत के बयान को आरएसएस की नई नौटंकी करार दिया।

बताते चलें कि मोहन भागवत ने अपने संबोधन में कहा कि सामाजिक व्यवस्था में हमने अपने बंधुओं को पीछे छोड़ दिया। हमने उनकी देखभाल नहीं की और यह 2000 वर्षों तक चला। जब तक हम उन्हें समानता नहीं प्रदान कर देते हैं, तब तक कुछ विशेष उपचार तो होने ही चाहिए और आरक्षण उनमें एक है। इसलिए आरक्षण तब तक जारी रहना चाहिए, जब तक ऐसा भेदभाव बना हुआ है। संविधान में प्रदत्त आरक्षण का हम संघवाले पूरा समर्थन करते हैं।

यह आरएसएस के लगभग सौ वर्षों के इतिहास में पहला मौका है जब आरएसएस प्रमुख आरक्षण का समर्थन किया है। मोहन भागवत का यह बयान इस समय आया है जब देश के पांच राज्यों व अगले साल लोकसभा चुनाव होने हैं और आरएसएस-भाजपा की ब्राह्मणवादी राजनीति पर प्रहार हो रहा है। 

पहले सारी सरकारी नौकरियों से सवर्णों को हटाएं

प्रकाश आंबेडकर ने फारवर्ड प्रेस से दूरभाष पर बातचीत में कहा कि एक तरफ वे वैदिक धर्म में कोई सुधार नहीं चाहेंगे और दूसरी तरफ शूद्रता और अछूतपन भी मानेंगे। और तो और अफसोस भी ये ही जताएंगे। इनके पूर्वजनों ने ही तो अत्याचार किया था और जाति व्यवस्था को लागू किया था। मोहन भागवत पहले माफी मांगें। और अगर वे इतने ही दुखी हैं तो जो वंचित लोग हैं, उन्हें सभी सरकरी नौकरियां दे दें और जो सवर्ण वर्ग के लोग हैं, उन्हें सरकारी नौकरियों से हटा दिया जाय। यह पूछे जाने पर कि किन कारणों से मोहन भागवत ने यह बयान दिया, प्रकाश आंबेडकर ने कहा कि समय-समय पर उनको सच्चाई का कांटा चुभता रहता है। फिर उन्हें कांटा चुभा है। यह देश के शूद्र और अतिशूद्रों को निर्णय लेना है कि अगले साल 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्हें पटकना है या नहीं पटकना है। 

मोहन भागवत, प्रकाश आंबेडकर, स्वामी प्रसाद मौर्य और जी. करुणानिधि

वहीं समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने सोशल मीडिया के मंच ‘एक्स’ पर जारी अपने बयान में कहा है कि “आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत जी, यद्दपि कि आपने सच स्वीकारा, किन्तु खेद है कि देश में और देश के तमाम प्रदेशों में आपके ही संरक्षण में सरकार चल रही है। जहां-जहां भाजपा की सरकारें हैं, अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्गों का आरक्षण निष्प्रभावी और शून्य किया जा रहा है। लेटरल इंट्री के नाम पर आईएएस के चयन में भी एससी, एसटी, ओबीसी का आरक्षण शून्य है। अगर यही बात हम कहते हैं तो आपकी टीम के लोग मुझे जान से मारने, हत्या करने, जीभ काटने, हाथ काटने, नाक-कान काटने व अपमानित करने हेतु सुपारी देतें हैं। आज भी भेदभाव का नंगा-नाच जग जाहिर है। आदिवासी, दलित, समाज से आनेवाले दो-दो राष्ट्रपतियों को मंदिर में जाने से रोककर अपमानित करने का घिनौना कृत्य किया गया। यहां तक कि नये संसद भवन के उद्घाटन में वर्तमान राष्ट्रपति की घोर उपेक्षा की गई। पूर्व मुख्यमंत्री, मा. अखिलेश यादव जी द्वारा मुख्यमंत्री आवास 5, कालिदास मार्ग खाली करने पर बीजेपी द्वारा गोमूत्र और गंगाजल से धोया गया, क्योंकि वे पिछड़े समाज से हैं। आए गये दिन जातीय आधार पर कहीं पेशाब करना, कहीं जबरन मल लेप करना और कहीं-कहीं सवर्ण शिक्षको द्वारा बुरी तरह पिटाई कर संबंधित छात्रों को मौत के घाट उतरना आम प्रचलन बनता जा रहा है। अच्छा होता यदि आप मंच से अपील करने के बजाय मा. प्रधानमंत्री व भाजपा शासित प्रदेशो के सभी मुख्यमंत्रियों की बैठक कर इस बात को कहते तो शायद एसटी, एससी, ओबीसी के आरक्षण से हो रहे खिलवाड़ और उनके साथ हो रहे भेदभाव पर विराम लग सकता था। फिर भी आपने सच स्वीकारा, किन्तु आपका सच ‘पर उपदेश कुशल बहुतेरे’ जैसा ही हास्यास्पद है।”

ऑल इंडिया ओबीसी इंप्लायज वेलफेयर फेडरेशन के राष्ट्रीय महासचिव जी. करुणानिधि ने फोन पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि आरएसएस प्रमुख भाजपा को संभावित चुनावी हार से बचाने के लिए बयानबाजी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज पूरे देश में सामाजिक न्याय अहम सवाल बनकर सामने आया है। जातिगत जनगणना का सवाल सबके सामने है। वहीं देश में बड़ी संख्या में एससी, एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षित पद रिक्त पड़े हैं। वहां नॉट फाउंड सुटेबिल को नाेटिस चिपका कर दलित-बहुजनों को अलग कर दिया जाता है। यदि मोहन भागवत वाकई में कुछ स्वीकार करना चाहते हैं तो उन्हें यह स्वीकार करना चाहिए कि सौ वर्षों के इतिहास में अब जाकर आरएसएस को सामाजिक न्याय का सवाल क्यों याद आया है? 

(संपादन : अनिल)

लेखक के बारे में

नवल किशोर कुमार

नवल किशोर कुमार फॉरवर्ड प्रेस के संपादक (हिन्दी) हैं।

संबंधित आलेख

केशव प्रसाद मौर्य बनाम योगी आदित्यनाथ : बवाल भी, सवाल भी
उत्तर प्रदेश में इस तरह की लड़ाई पहली बार नहीं हो रही है। कल्याण सिंह और राजनाथ सिंह के बीच की खींचतान कौन भूला...
बौद्ध धर्मावलंबियों का हो अपना पर्सनल लॉ, तमिल सांसद ने की केंद्र सरकार से मांग
तमिलनाडु से सांसद डॉ. थोल थिरुमावलवन ने अपने पत्र में यह उल्लेखित किया है कि एक पृथक पर्सनल लॉ बौद्ध धर्मावलंबियों के इस अधिकार...
मध्य प्रदेश : दलितों-आदिवासियों के हक का पैसा ‘गऊ माता’ के पेट में
गाय और मंदिर को प्राथमिकता देने का सीधा मतलब है हिंदुत्व की विचारधारा और राजनीति को मजबूत करना। दलितों-आदिवासियों पर सवर्णों और अन्य शासक...
मध्य प्रदेश : मासूम भाई और चाचा की हत्या पर सवाल उठानेवाली दलित किशोरी की संदिग्ध मौत पर सवाल
सागर जिले में हुए दलित उत्पीड़न की इस तरह की लोमहर्षक घटना के विरोध में जिस तरह सामाजिक गोलबंदी होनी चाहिए थी, वैसी देखने...
फुले-आंबेडकरवादी आंदोलन के विरुद्ध है मराठा आरक्षण आंदोलन (दूसरा भाग)
मराठा आरक्षण आंदोलन पर आधारित आलेख शृंखला के दूसरे भाग में प्रो. श्रावण देवरे बता रहे हैं वर्ष 2013 में तत्कालीन मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण...