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मध्य प्रदेश में आदिवासी मुख्यमंत्री बने, यही गोंडवाना गणतंत्र पार्टी और बसपा की लड़ाई : श्याम सिंह मरकाम

अगर पेसा कानून की बात करें तो सरकारों ने आदिवासियों को झुनझुना पकड़ा दिया है। मध्य प्रदेश में इसे 15 नवंबर, 2022 को लागू करने की बात कह दी गई, लेकिन उसका अनुपालन सरकार कहां कर रही है। छत्तीसगढ़ में भी नहीं कर रही है। पढ़ें, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव श्याम सिंह मरकाम से यह बातचीत

[गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के संस्थापक हीरा सिंह मरकाम रहे। यह पार्टी छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल इलाके में प्रभाव रखती है। इस पार्टी ने बसपा के साथ मिलकर गठबंधन किया है। विधानसभा चुनाव के आलोक में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव श्याम सिंह मरकाम से फारवर्ड प्रेस के हिंदी संपादक नवल किशोर कुमार ने दूरभाष पर बातचीत की। प्रस्तुत है इस बातचीत का संपादित अंश]

मध्य प्रदेश में आपकी पार्टी ने बसपा के साथ गठबंधन किया है। इसकी सामाजिक व राजनीतिक पृष्ठभूमि क्या है?

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के साथ गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का जो गठबंधन हुआ है, एससी, एसटी, ओबीसी तथा अल्पसंख्यक लोगों, वे लोग जो संविधान की बात करते हैं और उसके ऊपर पूरा विश्वास करते हैं, उनका गठबंधन है। देश में अभी संविधान को बदलने की बात कही जा रही है। निश्चित तौर पर दोनों पार्टियां के लोग मिलकर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में व्यवस्था में परिवर्तन करना चाहते हैं। हम दोनों (आदिवासी और दलित) की पृष्ठभूमि एक ही है और हम दोनों सताए हुए लोग हैं। हम जल, जंगल और जमीन की बात करते हैं। हमलोग खनिज संपदा की बात करते हैं। हम उन हक और अधिकारों की बात करते हैं, जो भारतीय संविधान में हमें दिया गया है। निश्चित तौर पर आने वाला समय गोंडवाना गणतंत्र पार्टी और बसपा के लिए अच्छा मौका है। आने वाले समय में जनता अगर हमें जनादेश देती है तो भारतीय संविधान में जो इनके लिए हक-अधिकार दिए गए हैं, उन सब का क्रियान्वयन किया जाएगा।

तो क्या छत्तीसगढ़ में भी आप बसपा के साथ ही गठबंधन करेंगे या किसी और पार्टी से? 

देखिए, बसपा के साथ तो पहले गठबंधन तो छत्तीसगढ़ में ही हुआ। उसके बाद मध्य प्रदेश में हुआ है।

फिर जो सर्व आदिवासी समाज है, उसके साथ आपकी पार्टी की रणनीति क्या है? क्या आप उन्हें साथ लेकर चलेंगे?

सर्व आदिवासी समाज तो सामाजिक संगठन है। उसमें कर्मचारी, अधिकारी और तमाम लोग हैं। उसमें सभी दल के लोग शामिल होते हैं। ऐसा तो है नहीं कि सर्व आदिवासी समाज कोई राजनीतिक दल है। हालांकि राजनीतिक दल के रूप में पंजीयन कराने का प्रयास लोगों ने किया है, और चुनाव लड़ने की भी बात कही जा रही है। वह तो चुनाव के मैदान में देखेंगे। सभी को चुनाव लड़ने की आजादी है। लोकतंत्र में अपनी-अपनी बात कहने का सबको हक-अधिकार दिया गया है। भारतीय संविधान में सबका यह मौलिक अधिकार है। निश्चित तौर पर आने वाले समय में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी और बसपा की संयुक्त रूप से सरकार बनेगी तभी जाकर मूलनिवासियों का हक-अधिकार सुरक्षित हो सकता है। 

मध्य प्रदेश में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के कई पूर्व पदाधिकारी दूसरी पार्टी बना चुके हैं या दूसरी पार्टियों में चले गए हैं। एक उदाहरण तो आपके भूतपूर्व विधायक मनमोहन शाह बट्टी रहे, जिनकी बेटी ने हाल ही में भाजपा की सदस्यता ली हैं। ऐसे ही कई अन्य नेता हैं, इसपर आप क्या कहना चाहेंगे?

देखिए, हर पार्टी में टूट-फूट होती रहती है। चुनाव के समय लोगों का आना-जाना लगा रहता है। इससे गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के साथ जनता है। दादा हीरा सिंह मरकाम की विचारधारा है, उसी विचारधारा को लेकर हम आगे चल रहे हैं और निश्चित तौर पर इसका परिणाम सुखद रहेगा।

मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के लिए आप किन-किन मुद्दों को लेकर लोगों के बीच जाएंगे?

बेरोजगारी है, शिक्षा को लेकर सवाल हैं। जल, जंगल और जमीन का मामला है। अगर पेसा कानून की बात करें तो दोनों राज्यों की सरकारों ने आदिवासियों को झुनझुना पकड़ा दिया है। मध्य प्रदेश में इसे 15 नवंबर, 2022 को लागू करने की बात कह दी गई, लेकिन उसका अनुपालन सरकार कहां कर रही है। छत्तीसगढ़ में भी नहीं कर रही है। निश्चित तौर पर इन तमाम मुद्दों के अलावा चाहे कोल ब्लॉक आवंटन का मामला हो, चाहे जमीन अधिग्रहण का मामला हो, जमीन के नीचे खनिज संपदा का मामला हो – जिसके ऊपर सुप्रीम कोर्ट ने 8 जुलाई, 1997 में फैसला दिया था कि खनिज संपदा पर जमीन के मालिक का मालिकाना हक होना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं होता है – यह मुद्दा भी है। इन तमाम मुद्दों को लेकर हम लोग जनता के पास जा रहे हैं। आज चाहे छत्तीसगढ़ हो या मध्य प्रदेश हो, बेरोजगारों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है। तमाम योजनाओं में भ्रष्टाचार हो रहा है। भर्तियों में घोटाले हो रहे हैं। निश्चित तौर पर जनता की जो मांग है, उस मांग को वर्तमान की दोनों राज्यों की सरकारें पूरा नहीं कर पा रही हैं, इसीलिए हम लोग ये सारे मुद्दों को लेकर जनता के सामने जाएंगे और जनता का आशीर्वाद हमें प्राप्त होगा।

श्याम सिंह मरकाम, राष्ट्रीय महासचिव, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी

मध्य प्रदेश के मालवा-निमाड़ क्षेत्र के लिए आपकी क्या रणनीति है। वहां भारतीय आदिवासी पार्टी और भारतीय ट्राइबल पार्टी भी चुनाव लड़ने वाली है, उनके साथ क्या आपका कोई समझौता हुआ है? इसके अलावा जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस) के साथ आपकी क्या रणनीति है? 

उस क्षेत्र में समझौता तो नहीं हुआ है, लेकिन अगर बातचीत होती है तो जहां उनका जनाधार है, हम लोग एक-दूसरे का सहयोग करेंगे। हम तो मानते हैं कि एक-दूसरे को सहयोग करके चलेंगे, तभी आने वाले समय में सत्ता में हम पहुंच सकते हैं। जहां हमारी ताकत है, वहां हम लड़ें। जहां उनकी ताकत हो, वहां वे लड़ें। हमारे बीच ऐसी कोई बात नहीं है जिससे विचारधारा का संकट पैदा हो, चाहे वह ट्राइबल पार्टी हो या जयस के लोग हो। सभी की विचारधारा एक है। सभी की सत्ता में हिस्सेदारी होनी चाहिए। आदिवासियों की सरकार बननी चाहिए। मध्य प्रदेश में आदिवासी मुख्यमंत्री बनाने के लिए हम सबको एक होना चाहिए। 

तो क्या जयस के साथ भी आप समझौता करेंगे? 

जी, अभी जयस के लोगों से बातचीत हुई है इस बारे में।

यदि हम छत्तीसगढ़ में खास तौर पर बस्तर की बात करें तो आपकी पार्टी वहां भी चुनाव लड़ रही है तो वहां के संदर्भ में आपके पास कौन-कौन से मुद्दे हैं? 

बस्तर में तो बहुत सारे मुद्दे हैं। बस्तर की पूरी माटी बाहर जा रही है। वहां कंपनी खोली जा रही है, लेकिन वहां के लोगों को रोजगार नहीं दिया जा रहा है। नक्सली के नाम पर हजारों की संख्या में निर्दोष आदिवासी लोग जेलों में सड़ रहे हैं। उन्हें जल्द  से जल्द रिहाई मिले। यह हमारी मांग है। इसके अलावा चाहे वन संपदा का मामला हो, जल, जंगल, जमीन पर अधिकार का मामला हो, वन अधिकार पत्रक का मामला हो, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी इन तमाम मुद्दों को लेकर लोगों के बीच जाएगी। वनाधिकार कानून पास कराने के लिए जो हम लोगों ने कुर्बानी दिया है, उसे लोग जानते हैं। दादा हीरा सिंह मरकाम  के नेतृत्व में 27 नवंबर, 2006 को दिल्ली में साढ़े चार लाख लोग गए थे। हमारे समाज के 12 लोग उसमें शहीद हो गए थे। उसकी बदौलत वनाधिकार कानून पास हुआ। पेसा कानून के लिए भी लड़ाई लड़नी पड़ी तब जाकर यह हासिल हुआ। निश्चित तौर पर तमाम कानूनों का बस्तर के इलाके में क्रियान्यवन नहीं हो पा रहा है। इसलिए इन तमाम मुद्दों को लेकर बस्तर में हम लोग लड़ाई लड़ेंगे। और निश्चित तौर पर वहां की जनता गोंडवाना गणतंत्र पार्टी और बहुजन समाज पार्टी को वोट देगी, ऐसा हमारा विश्वास है।  

(संपादन : समीक्षा/राजन/अनिल)


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लेखक के बारे में

नवल किशोर कुमार

नवल किशोर कुमार फॉरवर्ड प्रेस के संपादक (हिन्दी) हैं।

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