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मोहन यादव मंत्रिमंडल : सियासी लाभ के लिए जातियों को साधने की कवायद

मंत्रियों के नाम पर नजर डालें तो भी यह स्पष्ट होता है कि मोहन यादव के सिर पर ताज जरूर है, लेकिन राज असल में भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व का ही है। मंत्रियों का चयन साफ बतलाता है कि दिल्ली दरबार ने मोहन मंत्रिमंडल का गठन करते समय मिशन 2024 का ध्यान रखकर ही मोहरों को आगे बढ़ाया है। बता रहे हैं मनीष भट्ट मनु

जातिगत जनगणना कराने से इंकार करने व अपने बयानों में जातियों को खारिज करनेवाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व उनकी पार्टी का पूरा जोर सियासी लाभ के लिए जातियों को साधने पर है। इसकी पुष्टि तब हुई जब लंबे इंतजार के बाद मध्य प्रदेश की मोहन यादव मंत्रिमंडल का प्रथम विस्तार किया गया। बीते 3 दिसंबर को आए चुनावी नतीजों के बाईसवें दिन हुए मंत्रिमंडल के गठन से पहले मुख्यमंत्री को तीन बार दिल्ली के चक्कर लगाने पड़े। मंत्रियों के नाम पर नजर डालें तो भी यह स्पष्ट होता है कि मोहन यादव के सिर पर ताज जरूर है, लेकिन राज असल में भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व का ही है। मंत्रियों का चयन साफ बतलाता है कि दिल्ली दरबार ने मोहन मंत्रिमंडल का गठन करते समय मिशन 2024 का ध्यान रखकर ही मोहरों को आगे बढ़ाया है। 

मोहन यादव मंत्रिमंडल में एक मुख्यमंत्री और दो उपमुख्यमंत्री के अतिरिक्त फिलहाल 28 मंत्रियों को शामिल किया गया है। इनमें नए और पुराने चेहरों के साथ ही जातिगत समीकरणों को साधने का भी प्रयास किया गया है। इनमें से 12 ओबीसी, 7 सामान्य, 4 अनुसूचित जाति और 5 अनुसूचित जनजाति वर्ग के हैं। इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री मोहन यादव स्वयं ओबीसी, पहले उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा अनुसूचित जाति तथा दूसरे उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला सामान्य वर्ग से आते हैं।

खास बात यह कि मंत्रिमंडल में कुल 8 सदस्य सामाय वर्ग के हैं और उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा हासिल है। इसके अलावा यह भी कि मंत्रिमंडल में उनकी हिस्सेदारी उनकी अनुमानित आबादी की करीब दोगुनी है। 

मोहन मंत्रिमंडल में किसकी कितनी हिस्सेदारी

वर्गमंत्रियों की संख्यामंत्रिमंडल में हिस्सेदारी (प्रतिशत में)राज्य की जनसंख्या में हिस्सेदारी (प्रतिशत में)
ओबीसी1341.93 48 (अनुमानित)
सामान्य825.80 13 (अनुमानित)
अनुसूचित जाति516.12 15.6
अनुसूचित जनजाति516.12 21.1

मध्य प्रदेश की सियासत में भाजपा वर्ष 2003 से ही ओबीसी वर्ग पर पूरा फोकस करती रही है। यह संयोग नहीं है कि तब उमा भारती से लेकर अब मोहन यादव तक प्रदेश में भाजपा के चारों मुख्यमंत्री ओबीसी समाज से ही आते हैं। माना जाता है कि यहां की जनसंख्या में लगभग 48 प्रतिशत हिस्सेदारी ओबीसी की है। और हालिया विस्तार के बाद प्रदेश मंत्रिमंडल में इस वर्ग को पर्याप्त प्रतिनिधित्व देकर भाजपा ने विपक्षी दलों की ओर से की जा रही जातिगत जनगणना की मांग के बीच यह बताने की कोशिश की है कि वह जातियों को साधने में किसी से पीछे नहीं है। दिल्ली दरबार ने मोहन मंत्रिमंडल में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति का भी पूरा ध्यान रखा है। 

मोहन मंत्रिमंडल की सामाजिक संरचना

क्रमनामजाति/समुदाय
1मोहन यादव (मुख्यमंत्री)यादव (ओबीसी)
2जगदीश देवड़ा (उपमुख्यमंत्री)बलाई (अनुसूचित जाति)
3राजेंद्र शुक्ल (उपमुख्यमंत्री)ब्राह्मण (सामान्य)
अन्य कैबिनेट मंत्री
4प्रह्लाद सिंह पटेललोधी (ओबीसी)
5राकेश सिंहकुर्मी (ओबीसी) 
6राव उदय प्रताप सिंहजाट (ओबीसी)
7कैलाश विजयवर्गीयवैश्य (सामान्य)
8विश्वास सारंगकायस्थ (सामान्य)
9प्रद्युम्न सिंह तोमरराजपूत (सामान्य)
10तुलसी सिलावटखटिक (अनुसूचित जाति)
11ऐंदल सिंह कंसानागुर्जर (ओबीसी)
12नारायण सिंह कुशवाहकुशवाहा (ओबीसी)
13कुंवर विजय शाहगोंड (अनुसूचित जनजाति)
14करण सिंह वर्माकिरार (ओबीसी)
15संपतिया उइकेगोंड (अनुसूचित जनजाति)
16निर्मला भूरियाभील (अनुसूचित जनजाति)
17गोविंद सिंह राजपूतराजपूत (सामान्य)
18इंदर सिंह परमारठाकुर (सामान्य)
19नागर सिंह चौहानभील (अनुसूचित जनजाति) 
20चेतन कश्यपजैन (सामान्य)
21राकेश शुक्लाब्राह्मण (सामान्य)
राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
22कृष्णा गौरयादव (ओबीसी)
23धर्मेंद्र सिंह लोधीलोधी (ओबीसी)
24दिलीप जायसवालकलार (ओबीसी)
25गौतम टेटवालबलाई (अनुसूचित जाति)
26लखन पटेलकिरार (ओबीसी)
27नारायण सिंह पंवारपंवार (ओबीसी)
राज्य मंत्री
28राधा रवींद्र सिंहकोल (अनुसूचित जनजाति)
29प्रतिमा बागरीबागरी (अनुसूचित जाति)
30दिलीप अहिरवारजाटव (अनुसूचित जाति)
31नरेंद्र शिवाजी पटेलकिरार (ओबीसी)

2011 की जनगणना के अनुसार प्रदेश की कुल आबादी का 15.6 फीसदी अनुसूचित जाति और 21.1 फीसदी अनुसूचित जनजाति से आता है। ऐसे में कैबिनेट में इन वर्गों के कुल 10 लागों को शामिल कर भाजपा ने इन्हें भी साधने की कोशिश की है। इसके अलावा मात्र 13.21 फीसदी वाले सवर्ण समुदाय के 8 आठ लोगों को मंत्रिमंडल में जगह दी गई है। इसके अतिरिक्त विधान सभा अध्यक्ष भी सवर्ण समुदाय से आते हैं। वहीं मंत्रिमंडल में केवल 5 महिलाओं को जगह दी गई है।

मंत्रिमंडल विस्तार के पहले दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करते मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव

क्षेत्रीय समीकरणों की बात करें तो भाजपा ने मालवा और निमाड़ अंचल से मुख्यमंत्री और एक उपमुख्यमंत्री समेत 10 विधायकों को मंत्री बनाया है। मध्य क्षेत्र से छह, महाकौशल से पांच, चंबल से चार तथा बुंदेलखंड और विंध्य क्षेत्रसे तीन-तीन नेताओं को मंत्रिमंडल में जगह दी गई है। यही नहीं भाजपा ने छत्तीसगढ़ की तरह मध्य प्रदेश में भी ज्यादातर लोकसभा क्षेत्र को प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की है। प्रदेश की 29 कुल लोकसभा क्षेत्रों में से 22 को मोहन मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व का मौका मिला है। इनमें रतलाम और होशंगाबाद लोकसभा क्षेत्र से सर्वाधिक तीन तीन मंत्री बनाए गए हैं।

राजनीतिक जानकारों की मानें तो, भाजपा ने मध्य प्रदेश के बहाने वर्ष 2024 में होनेवाले लोक सभा के आम निर्वाचन में जातीय संतुलन को साधने का प्रयास किया है। उल्लेखनीय है कि साल 1990 में जब मंडल कमीशन की सिफारिशें लागू हुईं थीं तो मध्य प्रदेश के अतिरिक्त अन्य प्रमुख हिंदी भाषी राज्यों में ओबीसी या फिर दलित को मुख्यमंत्री बनाया गया था। मगर वर्ष 2003 में भाजपा ने उमा भारती और उसके बाद बाबूलाल गौर तथा शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री बनाकर ओबीसी समुदाय को साधने का प्रयास किया। इसी को आगे बढ़ाते हुए अब भाजपा ने ओबीसी मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाकर उत्तर प्रदेश और बिहार के साथ ही देश के अन्य भागों में ओबीसी वर्ग को बड़ा सियासी संदेश देने का प्रयास किया है। हालांकि यह भी उतना ही सच है कि जिस तरह बिहार और उत्तर प्रदेश में यादव; हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान में जाट राजनीतिक तौर पर दबदबा रखते हैं वह मध्य प्रदेश के संदर्भों में बेमानी हो जाता है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि वर्ष 2024 के लोक सभा आम निर्वाचन को ध्यान में रख मोहन मंत्रिमंडल की राजनीतिक बिसात पर बढ़ाए गए मोहरों से भाजपा कितना राजनीतिक लाभ ले पाती है।

(संपादन : राजन/नवल/अनिल)


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लेखक के बारे में

मनीष भट्ट मनु

घुमक्कड़ पत्रकार के रूप में भोपाल निवासी मनीष भट्ट मनु हिंदी दैनिक ‘देशबंधु’ से लंबे समय तक संबद्ध रहे हैं। आदिवासी विषयों पर इनके आलेख व रपटें विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से प्रकाशित होते रहे हैं।

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