बिहार के रोहतास जिले के डिहरी विधानसभा क्षेत्र से राजद के विधायक फते बहादुर सिंह ने हर घर ‘गुलामगिरी’ और ‘सच्ची रामायण’ की प्रतियां पहुंचाने का संकल्प लिया है। इसके लिए वे लगातार प्रयासरत हैं। वे 7 जनवरी को डिहरी में सावित्रीबाई फुले जयंती समारोह का आयोजन कर रहे हैं। बड़े पैमाने पर आयोजित हो रहे इस कार्यक्रम का व्यापक प्रचार-प्रसार भी किया जा रहा है।
इसी क्रम में उन्होंने एक बैनर पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के सरकारी आवास के बाहर भी लगवाया है, जिसमें सावित्रीबाई फुले की कही बातों का उल्लेख किया गया है। इस बैनर को लेकर बिहार का मीडिया हंगामा मचा रखा है और राममंदिर से विरोध से जोड़कर प्रचारित कर रहा है। इस मुद्दे को भाजपा के नेताओं ने उठा लिया है और इसको लेकर इंडिया गठबंधन को टारगेट कर रहे हैं।
इस संदर्भ में बातचीत के क्रम में फते बहादुर सिंह ने कहा कि सम्राट अशोक, गौतम बुद्ध और जोतिराव फुले-सावित्रीबाई फुले के विचार उनके डीएनए में है। उनकी विचारधारा के प्रचार-प्रसार का काम 2005 के आसपास से ही कर रहे हैं। इन सभी महापुरुषों की विचारधारा के केंद्र में शिक्षा है और ये सभी कहते हैं कि शिक्षा ही विकास और बदलाव का राजद्वार है। जो शिक्षा के राजद्वार को लांघ गया, उसके लिए संभावनाओं की अनंत राह खुल जाती है।

वे कहते हैं कि विकास और बदलाव के राजद्वार पर मंदिर और मठ सबसे बड़ी बाधा के रूप में खड़े हैं। ये अंधविश्वास और भेदभाव के प्रचारक हैं। मंदिर और मठ से मुक्त होकर ही 90 फीसदी बहुजन समाज अपने विकास का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।
फते बहादुर सिंह कहते हैं कि पत्थरों में प्राण प्रतिष्ठा की अवधारणा और सोच अंधविश्वास के कारण संभव है। मनुवादी ताकत और समाज अंधविश्वास को हथियार के रूप में इस्तेमाल करता है और बहुजन समाज का शोषण करता आ रहा है। भारत का अपना संविधान है, उससे देश संचालित होता है और यह संविधान हर नागरिक का अधिकार और कर्तव्य निर्धारित करता है। संविधान के लिए सभी नागरिक बराबर हैं। लेकिन मनुस्मृति बराबरी में विश्वास नहीं करता है। वह जाति के बीच भेदभाव और ऊंच-नीच को प्रतिस्थापित करता है। अब यह सब बहुजन समाज को स्वीकार नहीं है। वे कहते हैं कि समाज में भेदभाव करना और अंधविश्वास फैलाना अपराध है और ऐसे लोगों को जेल में होना चाहिए। लेकिन मनुस्मृति ऐसे लोगों को मंदिर और मठों में बैठा देता है, जो भारतीय संविधान की आत्मा की हत्या है। इसे कोई भी जागरूक आदमी बर्दाश्त नहीं करेगा।

वे आगे कहते हैं कि पेरियार ललई सिंह यादव की पुस्तक ‘सच्ची रामायण’ पर पहले यूपी सरकार ने प्रतिबंध लगाया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिबंध को हटाया। सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा है कि रामायण के सभी पात्र काल्पनिक हैं। जोतीराव फुले की पुस्तक ‘गुलामगिरी’ भारत की सामाजिक वेदना और भेदभाव को उजागर करती है। इसको पढ़ने के बाद मनुवादी व्यवस्था को समाप्त करने का भाव मन में जागता है और सामाजिक जंजीरों को तोड़ने का आत्मबल मिलता है।
वे कहते हैं कि मंदिरों में रखी दान-पेटी ब्राह्मणों के लिए ‘एटीएम’ है। अंधविश्वास के कारण लोग अपनी कमाई का एक हिस्सा दान पात्र में डालते हैं और उसका इस्तेमाल ब्राह्मण अपनी सुख-सुविधा के लिए करता है। ब्राह्मणों ने भारत के मूलवासियों को राक्षस कहकर अपमानित किया है। मूलवासी गण बनाकर अपना और अपने समाज की रक्षा करते थे, रक्षक थे। उन्हें ब्राह्मणों ने राक्षस संबोधित कर अपमानित किया और तिरस्कृत किया।
विधायक फतेबहादुर सिंह कहते हैं कि मंदिरों में घंटा बजाने से बहुजन आईएएस, आईपीएस, इंजीनियर, डॉक्टर आदि नहीं बनेंगे, बल्कि उच्च और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से बनेंगे। सम्राट अशोक, गौतम बुद्ध और जोतीराव फुले-सावित्रीबाई फुले जैसे महापुरुष हर व्यक्ति को शिक्षित बनाने की बात करते हैं, शिक्षण संस्थान खोलने की बात करते हैं, जबकि मंदिरों के ठेकेदार हर व्यक्ति का अंधविश्वासी बनाने का अभियान चला रहे हैं। यह अंधविश्वास और अभियान हमारे लोकतंत्र और लोकतांत्रिक मूल्यों को कमजोर कर रहे हैं।
विधायक कहते हैं कि उनकी पूरी कोशिश है कि हर घर में ‘सच्ची रामायण’ और ‘गुलामगिरी’ जैसी पुस्तकें पढ़ी जानी चाहिए। वे अपने स्तर पर भी ऐसी पुस्तकों का वितरण कर रहे हैं। इस संबंध में वे कहते हैं कि उनकी कोशिशों का सकारात्मक असर पड़ रहा है और लोग अपने सामाजिक सत्ता और सम्मान के प्रति जागरूक भी हो रहे हैं।
(संपादन : राजन/नवल/अनिल)
फारवर्ड प्रेस वेब पोर्टल के अतिरिक्त बहुजन मुद्दों की पुस्तकों का प्रकाशक भी है। एफपी बुक्स के नाम से जारी होने वाली ये किताबें बहुजन (दलित, ओबीसी, आदिवासी, घुमंतु, पसमांदा समुदाय) तबकों के साहित्य, संस्कृति व सामाजिक-राजनीति की व्यापक समस्याओं के साथ-साथ इसके सूक्ष्म पहलुओं को भी गहराई से उजागर करती हैं। एफपी बुक्स की सूची जानने अथवा किताबें मंगवाने के लिए संपर्क करें। मोबाइल : +917827427311, ईमेल : info@forwardmagazine.in