इस्लाम में जातिगत भेदभाव की बात नहीं कही जाती है। लेकिन भारत में स्थिति अलग है, इस्लाम धर्मावलंबियों में जातिगत भेदभाव पाया जाता है। सामान्य तौर पर इनमें तीन तरह के वर्गीकरण हैं– अशराफ, अजलाफ और अरजाल। हालांकि सरकार के स्तर पर यह वर्गीकरण आधिकारिक नहीं है। इसके बावजूद मुस्लिम समाज के विभिन्न तबकों के बीच सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक स्तर पर अंतर को देखा जा सकता है। यह संभव हो पाया है बिहार सरकार द्वारा कराए गए जाति आधारित गणना के कारण। इस रपट के आंकड़ों में पसमांदा समाज की स्थिति की तलाश ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता जावेद अनवर ने की है, जो कि ‘बिहार जाति गणना 2022-23 और पसमांदा एजेंडा’ का हिस्सा है।
मुस्लिम जातियां एक नजर में
क्रम | जाति | आबादी | मुस्लिम आबादी में हिस्सेदारी | बिहार की कुल आबादी में हिस्सेदारी |
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1 | पठान | 986665 | 4.38% | 0.75% |
2 | शेख | 4995897 | 22.18% | 3.82% |
3 | सैयद | 297975 | 1.32% | 0.22% |
अशराफ (कुल) | 6280537 | 27.47% | 4.80% | |
एनेक्सर -I (अत्यंत पिछड़ा वर्ग ) पसमांदा |
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4 | इदरीसी या दर्जी | 329661 | 1044 | 0.25 |
5 | ईटफरोश / गदेहडी | 9462 | 0.04 | 0.007 |
6 | कसाब (कसाई ) | 133807 | 0.58 | 0.10 |
7 | कुल्हैया | 1253781 | 5.48 | 0.95 |
8 | चीक | 50404 | 0.22 | 0.03 |
9 | चुड़िहार | 207914 | 0.90 | 0.15 |
10 | ठकुराई | 147482 | 0.64 | 0.11 |
11 | तेली | - | - | - |
12 | डफाली | 73259 | 0.32 | 0.05 |
13 | धुनिया | 1868192 | 8.17 | 1.42 |
14 | धोबी | 409796 | 1.79 | 0.31 |
15 | नट | 61629 | 0.27 | 0.04 |
16 | पमरिया | 64890 | 0.28 | 0.04 |
17 | बक्खो | 36830 | 0.16 | 0.02 |
18 | भठियारा | 27263 | 0.12 | 0.02 |
19 | भाट | 89052 | 0.39 | 0.06 |
20 | मदारी | 11620 | 0.05 | 0.008 |
21 | मुकेरी | 56522 | 0.25 | 0.04 |
22 | मिरियासिन | 15415 | 0.06 | 0.01 |
23 | हलालखोर, भंगी, लालबेगी | 69914 | 0.30 | 0.05 |
24 | जुलाहा / अंसारी | 4634245 | 20.27 | 3.54 |
25 | मीरशिकार | 66607 | 0.29 | 0.05 |
26 | राईन, कुंजरा | 1828584 | 7.80 | 1.39 |
2 7 | रंगरेज | 43347 | 0.19 | 0.03 |
28 | शेरशाहबादी | 1302644 | 5.70 | 0.99 |
29 | साई / फकीर | 663197 | 2.90 | 0.50 |
30 | सैकलगर/ सिकलगर | 18936 | 0.08 | 0.01 |
31 | सेखड़ा | 248948 | 1.08 | 1.19 |
एनेक्सर -II (पिछड़ा वर्ग ) पसमांदा |
||||
32 | गद्दी | 57617 | 0.25 | 0.04 |
33 | नालबंद) | 11900 | 0.05 | 0.009 |
34 | कलाल / एराकी ( मुस्लिम ) | - | - | - |
35 | जट ) | 44949 | 0.19 | 0.03 |
36 | मड़रिया | 86658 | 0.37 | 0.06 |
37 | सुरजापुरी | 2446212 | 10.70 | 1.87 |
38 | मलिक | 111655 | 0.48 | 0.08 |
पसमांदा | 16482392 | 72.52 | 12.61 | |
कुल मुस्लिम जातियों के आबादी का योग | 22762929 | 100 | 17.48 |
1 . तेली जाति की गणना के अंतर्गत हिंदू और मुस्लिम दोनों धर्मावलम्बियों की गिनती हुई है।
2 .कलाल / एराकी ( मुस्लिम ) की अलग से गिनती नहीं हुई है।उनकी गिनती बनिया जाति (हिंदू-मुस्लिम) के अंतर्गत हुई है।
3 . कुछ पसमांदा जातियों की गिनती नहीं हुई है।
4. कलवार (कलाल /एराकी ) की बनिया जाति के अंतर्गत और तेली जाति में हिंदू और मुस्लिम की एक साथ गणना हुई है। अतः अनुपलब्धता के चलते कुल मुस्लिम जातियों के योग में इन दो जातियों की संख्या सम्मिलित नहीं है। फलस्वरूप मुस्लिम जातियों के आबादी का योग कुल मुस्लिम आबादी से कम है।
स्रोत: बिहार जाति आधारित गणना – 2022-23 , बिहार सरकार।
अब पहले पेशागत स्थिति पर विचार करते हैं। जावेद अनवर अपने अध्ययन में यह पाते हैं कि बिहार सरकार की नौकरियों में हालांकि समेकित रूप से मुसलमानों की हिस्सेदारी हिंदुओं की तुलना में बहुत कम है।
वर्ग | सरकारी नौकरीपेशा वालों की कुल संख्या | कुल आबादी के अनुपात में हिस्सेदारी |
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सामान्य वर्ग हिंदू | 583938 | 4.22 प्रतिशत |
सामान्य वर्ग मुस्लिम | 57343 | 0.91 प्रतिशत |
पिछड़ा वर्ग मुस्लिम | 116130 | 0.70 प्रतिशत |
बिहार में पिछड़ा वर्ग को परिशिष्ट एक और परिशिष्ट दो में रखा गया है। पसमांदा समाज की जातियां इन दोनों परिशिष्टों में शामिल हैं। इस हिसाब से देखें–
वर्ग | सरकारी नौकरीपेशा वालों की कुल संख्या | कुल आबादी के अनुपात में हिस्सेदारी |
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परिशिष्ट एक (अति पिछड़ी मुस्लिम जातियां) | 97573 | 0.71 प्रतिशत |
परिशिष्ट दो (पिछड़ी मुस्लिम जातियां) | 18557 | 0.61 प्रतिशत |

अब यदि हम पिछड़े मुसलमानों यानी अति पिछड़ा वर्ग व पिछड़ा वर्ग में शुमार जातियाें पर ही फोकस करें और यह देखें कि पिछड़े वर्ग में शामिल मुसलमानों की शैक्षणिक स्थिति कैसी है तो बदहाली की तस्वीर साफ हो जाती है, जो यह बताती है कि पसमांदा मुसलमानों की 80.3 प्रतिशत आबादी आठवीं कक्षा या इससे कम शिक्षित है।
कक्षा | संख्या | प्रतिशत |
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प्राथमिक (1-5) | 4538185 | 27.53 |
मध्य (6-8) | 2513106 | 15.24 |
माध्यमिक (9-10) | 1716057 | 10.41 |
उच्च माध्यमिक (11-12) | 963918 | 5.85 |
डिप्लोमा | 57188 | 0.34 |
स्नातक (इंजीनियरिंग) | 20272 | 0.132 |
स्नातक (चिकित्सा) | 5989 | 0.30 |
अन्य (स्नातक) | 420112 | 2.55 |
स्नातकोत्तर | 56957 | 0.34 |
डॉक्टरेट/सीए | 4900 | 0.02 |
अन्य | 6185708 | 37.53 |
महत्वपूर्ण यह कि ‘अन्य’ से बिहार सरकार का तात्पर्य उनलोगों से है, जिन्होंने किसी तरह की शिक्षा ग्रहण नहीं की है और इस आधार पर देखें तो एक बड़ी आबादी निरक्षर कही जाएगी।
शैक्षणिक पिछड़ापन अकारण नहीं होता। यह इस बात पर निर्भर करता है कि संसाधनों में हिस्सेदारी कितनी है। मसलन हम यदि खेती की ही बात करें तो हम पाते हैं कि बिहार में मुस्लिम आबादी (2 करोड़ 31 लाख 49 हजार 925) में करीब 72.5 फीसदी आबादी वाले पसमांदा समाज की केवल 3.64 प्रतिशत आबादी यानी 9 लाख 31 हजार 190 लोग ही या तो खेती करते हैं या फिर खेतिहर मजदूर हैं। यह सनद के काबिल इस कारण भी है कि मौजूदा दौर में मुस्लिमों के प्रति नफरत को हवा दी गई है। अधिकांश बड़े हिंदू जोतदार मुस्लिमों को न तो बटाई पर खेत देते हैं और न ही उनसे मजदूरी करवाते हैं।
वर्ग | खेती करनेवालों की कुल संख्या | कुल आबादी के अनुपात में हिस्सेदारी |
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सामान्य वर्ग हिंदू | 1170236 | 8.46 प्रतिशत |
सामान्य वर्ग मुस्लिम | 255271 | 4.06 प्रतिशत |
पिछड़ा वर्ग मुस्लिम | 931190 | 3.64 प्रतिशत |
यह आंकड़ा हमें बताता है कि खेती के मामले में सामान्य हिंदुओं और सामान्य मुसलमानों के बीच जो अंतर है, वह पिछड़े वर्ग के मुसलमानों के मामले बेशक कम है, लेकिन यह सनद रहे कि बिहार सरकार की रपट में यह आंकड़ा जारी नहीं किया गया है कि किस वर्ग/समुदाय के पास कितनी खेती है। लिहाजा यह माना जा सकता है कि पिछड़े वर्ग के मुसलमानों में अधिकांश या तो खेतिहर मजदूर होंगे या फिर अत्यंत ही छोटे किसान। यह एक और आंकड़े में सामने आता है और यह आंकड़ा है स्वरोजगार और मजदूरी का।
वर्ग | मजदूरी करनेवालों की कुल संख्या | कुल आबादी के अनुपात में हिस्सेदारी |
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सामान्य वर्ग हिंदू | 1121141 | 8.10 प्रतिशत |
सामान्य वर्ग मुस्लिम | 1180220 | 18.79 प्रतिशत |
पिछड़ा वर्ग मुस्लिम | 3348203 | 20.31 प्रतिशत |
और अब स्वराेजगार संबंधी आंकड़ा देखिए–
वर्ग | स्वरोजगार करनेवालों की कुल संख्या | कुल आबादी के अनुपात में हिस्सेदारी |
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सामान्य वर्ग हिंदू | 525973 | 3.80 प्रतिशत |
सामान्य वर्ग मुस्लिम | 202233 | 3.21 प्रतिशत |
पिछड़ा वर्ग मुस्लिम | 484466 | 2.93 प्रतिशत |
सनद रहे कि बिहार सरकार की रपट में स्वरोजगार की श्रेणियों का उल्लेख नहीं किया गया है। मतलब यह कि बड़े उद्यम करनेवालों से लेकर रेहड़ी लगाने और पंचर बनानेवाले सभी को एक श्रेणी में रखा गया है। यदि हम संसाधनों पर अधिकार के लिहाज से भी देखें तो भी हम यही पाएंगे कि पसमांदा समाज की एक बड़ी आबादी की हालत इस लायक भी नहीं है कि वे छोटा रोजगार भी कर सकें। बड़ा कारोबार करना तो दूर की बात है।
कुल मिलाकर 27.58 प्रतिशत पसमांदा आबादी के पास ही किसी तरह का रोजगार उपलब्ध है। यह बिहार सरकार का आंकड़ा ही बताता है। इसमें 20.31 प्रतिशत मजदूर, 3.6 प्रतिशत खेती/खेतिहर मजदूर और 2.93 प्रतिशत तथाकथित तौर पर स्वरोजगार करनेवाले हैं।
क्रमश: जारी
(संपादन : नवल/अनिल)