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कौशांबी कांड : सियासी हस्तक्षेप के बाद खुलकर सामने आई ‘जाति’

बीते 27 मई को उत्तर प्रदेश के कौशांबी में एक आठ साल की मासूम बच्ची के साथ यौन हिंसा का मामला अब जातिवादी बनता जा रहा है। नतीजा यह हुआ है कि पीड़िता के पिता व परिजन जेल में हैं और अभियुक्त को जमानत मिल चुकी है। घटनास्थल पर जाकर लोगों से बातचीत के अधार पर बता रहे हैं प्रो. विक्रम हरिजन

मामला उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले के सैनी थाना के लोहंदा गांव का है। वहां गत 27 मई को एक घटना घटित हुई। पाल समाज की करीब आठ साल की एक लड़की के साथ अप्राकृतिक यौन बनाने का प्रयास एक ब्राह्मण युवक ने किया। इस मामले की जब शिकायत पुलिस से की गई तब पाक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया और अभियुक्त को गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद अभियुक्त के पिता ने गत 4 जून को थाने के परिसर में ही खुदकुशी कर ली। इस घटना के बाद पुलिस ने पीड़िता के पिता व अन्य तीन परिजनों को गिरफ्तार कर लिया।

गत 8 जून को मेरे नेतृत्व में एक जांच दल घटनास्थल पर पहुंचा। इस दल में मेरे अलावा सामाजिक कार्यकर्ता व श्रमिक नेता डॉ. कमल उसरी, इलाहाबाद हाई कोर्ट के वकील माता प्रसाद पाल, पत्रकार विवेक राणा व एल.के. नंदवंशी शामिल थे। जब हमलोगों ने गांव के लोगों से बात करना चाहा तो पहले वे बुरी तरह डर गए। कुछ महिलाओं ने रास्ता बताया कि गांव के बीचों-बीच सड़क जाती है। सड़क के दक्षिण में रामबाबू तिवारी (जिसने आत्महत्या कर ली) और दुष्कर्म के आरोपी सिद्धार्थ तिवारी का घर है। उनके घर पर पुलिस की टीम का पहरा हैI 

हमने देखा कि तीन महिला पुलिसकर्मी भी रामबाबू तिवारी के घर के नज़दीक खड़ी थीं। एक महिला पुलिस सड़क पर बैठी थीं और हम लोगों को देखे जा रही थी। सड़क के दाहिने तरफ पाल समाज के लोगों का घर है। एक व्यक्ति की मदद से हम लोग पीड़िता के घर पर पहुंचे। पीड़िता के घर पर ताला लटका हुआ था। उसके घर पर कोई नहीं मिला। वहां दहशत का माहौल कायम था। पाल समाज की कुछ महिलाएं खड़ी मिलीं। हम लोगों के द्वारा सवाल पूछने पर घबरा गईं और कुछ भी कहने से मना कर दिया।

 

कुछ देर तक जब हमने उन्हें अपने बारे में बताया तब उनलोगों ने डॉ. कमल उसरी, जो स्वयं ही पाल समाज से संबंध रखते हैं, को घटना के बारे में पूरी जानकारी दी। पीड़िता के परिवार की एक सदस्या, जो कि स्नातक की छात्रा है, के मुताबिक, दोपहर के समय पीड़िता अपनी कुछ सहेलियों के साथ रामबाबू तिवारी के घर ‘रामायण’ देखने जा रही थी। दोपहर के समय कड़ी धूप की वज़ह से सन्नाटा था। रास्ते में ही अभियुक्त सिद्धार्थ तिवारी उर्फ धन्नू बहला-फ़ुसलाकर पीड़िता को बगल में ही स्थित ईंट-भट्ठे की तरफ ले गया। अभियुक्त के पास मोबाइल था, जिसमें वह अश्लील फिल्में देख रहा था। उसने उसके साथ जबरदस्ती करने का प्रयास किया और उसके साथ अप्राकृतिक यौन क्रियाएं करने लगा। पीड़िता की चाची ने शर्माते हुए कहा कि मेरे परिवार की बेटी के प्राइवेट पार्ट में चोट जैसा जख्म प्रतीत हुआ। उन्होंने बताया कि पीड़िता जब अभियुक्त के चंगुल से छूटी तो भागकर रोते चिल्लाते हुए घर पर आई और पूरी घटना के बारे में पहले उन्हें बताया। फिर उन्होंने [पीड़िता की चाची ने] उसकी मां को बताया।

पीड़िता की चाची ने बताया कि पीड़िता के माता-पिता व अन्य परिजनों के साथ वह अभियुक्त के घर गई। अभियुक्त के पिता रामबाबू तिवारी ने अपने बेटों को डांटा-फटकारा और पूछा कि क्या यह सही बात है? बेटे ने अपनी ग़लती मानते हुए माफ़ी मांगी। उसके बाद अभियुक्त की मां ने और पिता ने लोक-लाज का हवाला देते हुए आग्रह किया कि यह बात यहीं दबा दी जाए और कुछ पैसे देने का लालच दिया। लेकिन पीड़िता की हालत देखकर उसके मां-पिता ने कानूनी कार्रवाई करने का निर्णय लिया ताकि अभियुक्त को दंड मिले और शांति का माहौल बनाया जा सके। पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर अभियुक्त को गिरफ्तार किया और जेल भेज दिया। इसके बाद उसके पिता लगातार दबाव बनाते रहे कि अभियुक्त को नहीं छोड़ा गया, तो वे जहर खा लेंगे। इसी बीच थाने के कैंपस में ही गत 4 जून को ही उसने खुदकुशी कर ली। इसके बाद 5 जून को इलाहाबाद-कानपुर हाईवे पर रामबाबू तिवारी का शव रखकर ब्राह्मण समाज ने सैनी थाने के सामने जाम लगा दिया। फिर पुलिस ने पहल कर रामबाबू तिवारी का दाह संस्कार करवाया।

पीड़िता के घर के बगल में ग्रामीणों से बातचीत करते तथ्यान्वेषी दल के सदस्य

बताते चलें कि उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने इस मामले में हस्तक्षेप किया, जिससे यह मामला पूरी तरह जातिवादी हो गया। जबकि इसके पूर्व तक मामला कानून सम्मत था। अब पूरा मामला ‘ब्राह्मणवाद बनाम संविधान लोकतंत्र’ हो गया है। क्या संविधान के अनुसार अभियुक्तों को सजा मिलेगी? या ब्राह्मणों को मनुवाद के अनुसार हर अपराध के लिए क्षम्य माना जाएगा?

हमारी टीम के दूसरे सदस्य इलाहाबाद हाईकोर्ट के वकील माता प्रसाद पाल ने पाया कि पीड़ित पक्ष स्वयं डरा हुआ है और घर से पलायन कर चुका है। लोगों ने बताया कि पीड़िता के पिता और अन्य सदस्य भी जेल में है। हमारे दल के सदस्य पत्रकार विवेक राणा ने देखा कि गांव में पूरा मातम पसरा हुआ है। उन्होंने गांव के लोगों से बात करने की कोशिश की। पहले तो किसी ने कुछ भी नहीं कहा। लेकिन पाल समाज के कुछ लोगों ने बताया कि तिवारी परिवार के यहां बजरंग दल व तमाम हिंदूवादी संगठन जमावड़ा लगाकर बैठे हुए हैं। इसकी वजह से लोग तिवारी परिवार के बारे में कुछ नहीं बोल रहे हैं।

खैर, मैंने जब स्वयं को तिवारी समाज का बताया तब जाकर तिवारी समाज के एक व्यक्ति ने बताया कि सारा मामला फर्जी है। उसके अनुसार प्रधान अपने पुराने झगड़े का फायदा उठा रहा है। हमने पूछा कि कैसे? तो उसने बताया कि चुनाव को लेकर तिवारी और पाल गुट बन गए, जिसकी वज़ह से यह शक बन गया। इसलिए पाल समाज उससे बदला लेना चाह रहा है। उसने यह भी कहा कि “आप ही बताइए कि कोई 8 साल की बच्ची का बलात्कार कैसे कर सकता है और लड़का 22 वर्ष का है?” मैंने देखा कि जब तिवारी समाज का यह आदमी बोल रहा था तब उसका बेटा उसे डांटे जा रहा था कि वह हमलोगों से बात क्यों कर रहा है। देखते ही देखते माहौल ऐसा बनने लगा कि तिवारी समाज के लोग हमलावर हो जाएंगे।

बहरहाल, जानकारी मिल रही है कि अभियुक्त सिद्धार्थ तिवारी उर्फ धन्नू को जमानत मिल चुकी है। जबकि पीड़िता के पिता जेल में हैं और सारे बड़े अधिकारियों का तबादला हो चुका है। पाल परिवार के खिलाफ झूठे प्रचार का सहारा लिया जा रहा है कि पीड़िता ने अपनी मां के दबाव में झूठा बयान दिया था।

जांच दल में शामिल हम सभी सदस्य मांग करते हैं कि मामले की जांच सीबीआई करे।

(संपादन : राजन/नवल/अनिल)

लेखक के बारे में

विक्रम हरिजन

लेखक इलाहाबाद विश्वविद्यालय (केंद्रीय) में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं

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