“कुछ निठल्ले सवर्ण शिक्षक हैं स्कूल में। उनका सिर्फ़ एक ही काम रहता है– स्कूल में टाइम पास करना। आप देखिए न कि आज सरकारी स्कूलों में आख़िर कौन पढ़ने आ रहा है। एससी, एसटी...
रूबी देवी फुलवारी शरीफ़ की हैं। उनके पास कोई दस्तावेज नहीं है। उन्होंने जन-सुनवाई में बताया कि “मेरे पास अपने पूर्वजों से जुड़े कोई दस्तावेज नहीं है। मेरे दादा-दादी और माता-पिता सभी अशिक्षित लोग थे।...
याद रखा जाना चाहिए कि सिख धर्म और समुदाय ने अपने ऐतिहासिक संघर्षों में जातिवाद के विरुद्ध आवाज़ उठाई है और समानता, बराबरी तथा तार्किकता के मूल्यों की पैरवी की है। इन पहलुओं पर ज़ोर...
कांशीराम का जोर संवैधानिक सिद्धांतिकी को धरती पर उतारने पर था। बसपा मूलतः सामाजिक लोकतंत्रवादी रही। दूसरी ओर, यह बहस का विषय है कि ‘पीडीए’ ने सामाजिक लोकतंत्र की स्थापना में किस हद तक योगदान...