भारतीय सिनेमा की नींव एक चितपावन ब्राह्मण गोविन्दराज घुण्डी फाल्के (दादा साहब फाल्के) ने प्रथम भारतीय फीचर फिल्म ‘राजा हरिश्चंद्र’ (1913) बनाकर रखी थी। अपने प्रारम्भिक काल में भारतीय सिनेमा पर एक कुलीन वर्ग का प्रभुत्व था। पारसी थियेटर के कई कलाकार फिल्मों में आये थे। उस समय न्यू थियेटर्स, प्रभात पिक्चर्स आदि कम्पनियांँ ही फिल्मों का निर्माण किया करती थीं। उस दौर के निर्देशक वी.शान्ताराम, बाबूराव पेण्टर, प्रशांत दामले, नितिन बोस, हिमांशुं राय, पी.सी. बरुआ, ए.आर.कारदार आदि, संगीत निर्देशक आर.सी. बोराल, सी. रामचंद्र, सलिल चौधरी, अनिल बिस्वास, एस.डी.बर्मन, रोशन आदि, फिल्म अभिनेता पृथ्वीराज कपूर, अशोक कुमार, मोतीलाल, चन्द्रमोहन, साहू मोडाक, अजीत आदि तथा फिल्म अभिनेत्रियां देविकारानी, दुर्गा खोटे, कानन देवी, उमा शशि, श्यामा आदि सभी उच्च जातियों के कुलीन वर्गों से थे।
दलित वर्ग के कुछ कलाकारों ने भी भारतीय सिनेमा के द्वार पर दस्तक दी, जिनमें हास्य अभिनेता एवं हिन्दी फिल्म ‘अलबेला’ (1951) के हीरो भगवान दादा (जिनकी नृत्यशैली को अमिताभ बच्चन ने अपनाया) तथा गायिका एवं हास्य अभिनेत्री उमा देवी उर्फ टुनटुन, जिनका फिल्म ‘दर्द’ (1947) में गाया गीत ‘अफसाना लिख रही हूँ दिले बेकरार का’ उस समय काफी लोकप्रिय हुआ था, आदि शामिल हैं।
भगवान अभाजी पालव उर्फ भगवान दादा महाराष्ट्र के एक गरीब दलित परिवार से संबंध रखते थे, वहीं टुनटुन का जन्म एक दलित (मेहतर) ईसाई परिवार में हुआ था। पाश्र्व गायिका उमा देवी खत्री को जब अपनी पुरानी गायन शैली एवं सीमित स्वर-सीमा के चलते गायन में परेशानी होने लगी तब उन्होने अभिनय का रास्ता चुना और नाम मिला ‘टुनटुन’। श्याम-श्वेत फिल्मों में हास्य अभिनेता जॉनी वॉकर के साथ टुनटुन की जोड़ी को देखकर लोग हंसी से लोटपोट हो जाया करते थे।
वर्तमान में बॉलीवुड के एक अन्य सफल हास्य कलाकार हैं, जॉनी लीवर, जिनका पूरा नाम है जॉन प्रकाशराव जानूमाला। हिन्दुस्तान लीवर लिमिटेड (अब हिन्दुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड) में काम करने के दौरान जॉन राव अपने सहकर्मियों का मनोरंजन मिमिक्री से किया करते थे। उनके सहकर्मी उन्हें जॉनी लीवर नाम से पुकारने लगे। सातवीं कक्षा तक पढ़े जॉनी लीवर आंध्र प्रदेश के दलित (माला) ईसाई परिवार से संबंध रखते हैं। उनका हास्य अभिनय बेजोड़ है। फिल्म अभिनेता गोविन्दा व कादर खान के साथ अभिनीत उनकी कई फिल्में सुपरहिट रहीं हैं।
फिल्म अभिनेता आमिर खान द्वारा निर्मित एवं अनुषा रिज़वी द्वारा निर्देर्शित एक सुपरहिट बॉलीवुड फिल्म ‘पीपली लाईव’ के हीरो ओंकारदास माणिकपुरी सिनेमा छत्तीसगढ़ी सिनेमा के सफलतम कलाकार हैं। भिलाई निवासी बुनकर (दलित) समाज के माणिकपुरी ने परिवार की गरीबी के चलते कम उम्र में ही रंगमंच की दुनिया में कदम रखा तथा कई वर्षों तक विख्यात रंगकर्मी हबीब तनवीर द्वारा रायगढ़ में गठित ‘नया थियेटर’ में काम किया।
अभिनेता से नेता बने चिराग पासवान
लोक जनशक्ति पार्टी सुप्रीमो, रामविलास पासवान के पुत्र चिराग पासवान ने हिन्दी फीचर फिल्म ‘मिले ना मिले हम’ से बतौर नायक अपने बॉलीवुड करियर की शुरुआत की। फिल्म तो नहीं चली लेकिन पिता रामविलास पासवान, जो अब केंद्रीय मंत्री हैं, के कारण उनका राजनैतिक करियर चल निकला। गत आम चुनाव में चिराग बिहार की जमुई लोकसभा सीट से चुनाव जीत गए। प्रसिद्व दलित लेखक एच.आर. हरनोट के पुत्र गिरीश हरनोट भी टी.वी. एवं फिल्मों में बतौर अभिनेता सक्रिय हैं। पॉलीवुड (पंजाबी सिनेमा) में नवराज हंस (प्रसिद्व गायक हंसराज हंस के पुत्र) बतौर अभिनेता कार्यरत हैं। वे मज़हबी सिख (मेहतर समकक्ष) समुदाय से आते हैं।
गुजराती सिनेमा के लिए ऑरियेटल फिल्म कम्पनी में बतौर फोटोग्राफर अपना कैरियर शुरु करने वाले कांजीभाई राठौड़ को जब कोहिनूर फिल्म कम्पनी में काम मिला तब कम्पनी के मालिक द्वारिकदास सम्पत ने उनके काम से खुश होकर उन्हें फिल्म निर्देशन की कमान थमा दी। ब्रिटिश शासनकाल की श्याम-श्वेत फिल्मों के दौर में कांजीभाई राठौड़ ने कई फिल्मों का सफल निर्देशन किया। अपनी पुस्तक ‘लाइट ऑफ़ एशिया : इंडियन साइलेंट सिनेमा’, 1912-1934, में फिल्म इतिहासकार वीरचंद धर्मासे लिखते हैं, ”कांजीभाई दलित परिवार से थे तथा उन्हें भारतीय सिनेमा का प्रथम सफल पेशेवर दलित निर्देशक कहा जा सकता है”।
पूर्व सांसद महेश कुमार कानोडिया गायक और उनके छोटे भाई नरेश कानोडिया अभिनेता हैं। कानोडिया बंधु गुजराती सिनेमा के सफलतम कलाकार माने जाते हैं।
मलयाली सिनेमा के जनक पिछड़ी जाति (नाडर) से आने वाले जे.सी. डेनियल ने प्रथम मलयालम फीचर फिल्म ‘विगाताकुमारन’ (खोया हुआ बच्चा) का निर्माण किया था, जिसकी नायिका पी.के.रोज़ी एक दलित ईसाई थीं। रोज़ी द्वारा एक नायर युवती का चरित्र निभाने के कारण उन्हें जान से मारने का प्रयास किया गया। वे बच गईं लेकिन उन्हें अपना शेष जीवन अज्ञातवास में बिताना पड़ा।
भोजपुरी सिनेमा में पूनम सागर व ज्योति जाटव नाम की दो दलित अभिनेत्रियाँ सक्रिय हैं। एक गाना ‘कोलावेरी डी’ जो काफी लोकप्रिय हुआ था, के गायक धनुष (सुपरस्टार रजनीकांत के दामाद एवं हिन्दी फीचर फिल्म रांझना के हीरो) भी दलित समुदाय से आते हैं। इनके अलावा, बॉलीवुड फिल्म ‘कच्चे धागे (1999) से अपने करियर की शुरुआत करने वाले गायक हंसराज हंस, प्रसिद्ध पॉप गायक अमर सिंह चमकिला, लालचन्द यमला जट्ट, रवि जाकू और गायिकी के रियालिटी शो ‘सारे गा मा पा चैलेंज 2007’ से प्रसिद्धी हासिल करने वाली पूनम यादव आदि कई प्रतिभाशाली गायक दलित समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं।
प्रतिभा किसी धर्म या जाति की जागीर नहीं होती। इसके बावजूद बॉलीवुड पर कपूर खानदान (पृथ्वीराज कपूर से लेकर रणबीर कपूर तक), व खान तिकड़ी (आमिर, शाहरुख व सलमान) आदि उच्च जातीय कुलीनों का प्रभुत्व है। दलित तो नाममात्र के हैं, जिन्होंने अपनी प्रतिभा के बल पर अपनी जगह बनाई है।
(फारवर्ड प्रेस के फरवरी, 2015 अंक में प्रकाशित)
फारवर्ड प्रेस वेब पोर्टल के अतिरिक्त बहुजन मुद्दों की पुस्तकों का प्रकाशक भी है। एफपी बुक्स के नाम से जारी होने वाली ये किताबें बहुजन (दलित, ओबीसी, आदिवासी, घुमंतु, पसमांदा समुदाय) तबकों के साहित्य, सस्कृति व सामाजिक-राजनीति की व्यापक समस्याओं के साथ-साथ इसके सूक्ष्म पहलुओं को भी गहराई से उजागर करती हैं। एफपी बुक्स की सूची जानने अथवा किताबें मंगवाने के लिए संपर्क करें। मोबाइल : +919968527911, ईमेल : info@forwardmagazine.in
Mai dalit hone ke Nate apne aap me garb mahsush karta hu
I am Rakesh Rao April 12 2018 mughe Garv h ki main dalit hoo aur ha main apne damper star banunga
जय भीम नमो बुद्ध्य गर्व है हम आप pe
मित्र रजनीश गौतम, राकेश राव और अजनीत गौतम आप सभी को हमारी तरफ धन्यवाद। बहुजन समाज के विभिन्न क्षेत्रों में उपलब्धि हासिल करने वाले व्यक्तित्वों ( स्त्री-पुरुष ) को देख कर हमें भी गर्व महसूस होता है। हमारी और आपकी भावनाएं और विचार एक दूसरे से जुड़े हुए हैं।
राकेश राव आपकी स्टार बनने की मनोकामना पूर्ण होते देखकर हमें भी खुशी होगी।
जय भीम नामो बुद्धाय मेरा नाम साहिल गौतम है।
क्या इन दलित समुदाय के कलाकारों को समाज के लिए भी कुछ काम भी करना चाहिए या फिर मात्र अपने लिए
आपने जो दलित जाति का इतिहास बताया और फिल्म इंडस्ट्री में है जितने दलित जाति के लोग हैं उनके बारे में बताया जानकर बड़ा अच्छा लगा जय भीम नमो बुद्धा
Jay bhim namo budhay
इन दलित समाज के कलाकारों को अपने समाज के लिए कुछ जरूर करना चाहिए जिससे कि समाज में भी उनकी पहचान हो और दलित समाज का नाम रोशन हो
I am happy ki Mari jati ka log Etna bda ster h jin m nhi jan ta ta to aj m bhot khos ho 😊😊
आपका यह लेख बहुत अच्छा लगा। काफी जानकारियां मिली मगर क आपने लिखा है जोनी लिवर एक दलित ईसाई थे। तो इसका मतलब यह हुआ कि हिन्दू की तरह ईसाइयों में भी दलित होता है । थोड़ा स्पष्ट करें ताकि और भी लोगों को इस बात की जानकारी हो सके।
क्या अजय देवगन दलित नही है ? और दिव्या भारती को कैसे भूल गये ?