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लंदन में बाबासाहेब की यादें

सन 1921 में, 30 वर्षीय भीम राव ने एलएसई में अपनी डॉक्टरेट की पढ़ाई फिर से शुरू की। वे इसके साथ-साथ, ग्रेज़ इन से कानून का अध्ययन भी कर रहे थे. दूसरों की आर्थिक सहायता पर निर्भर भीम राव ने अपने पहले साल में कम से कम पैसे में अपना खर्च चलने की कोशिश की। वे उत्तर-पश्चिमी लन्दन के प्रिमरोज इलाके में एक मकान में एक कमरे में रहते थे

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सन 1921 में, 30 वर्षीय भीम राव ने लन्दन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स (एलएसई) में अपनी डॉक्टरेट की पढ़ाई फिर से शुरू की। वे इसके साथ-साथ, ग्रेज़ इन से कानून का अध्ययन भी कर रहे थे. दूसरों की आर्थिक सहायता पर निर्भर भीम राव ने अपने पहले साल में कम से कम पैसे में अपना खर्च चलने की कोशिश AMBEDKAR_3035374b_4771की। वे उत्तर-पश्चिमी लन्दन के प्रिमरोज इलाके में एक मकान में एक कमरे में रहते थे। 2050 वर्ग फीट के छह शयनकक्षों और छत वाले इस तिमंजिला मकान को महाराष्ट्र सरकार ने हाल में लगभग 40 करोड़ रुपये में खऱीदा – अपने निर्धन परन्तु विलक्षण प्रतिभा के धनी सपूत को सम्मान देने के लिए यह धनराशि कुछ भी नहीं है।

योजना यह है कि चार कमरे पढ़ाई के लिए लन्दन आने वाले दलित विद्यार्थियों और आधिकारिक यात्रा पर आने वाले प्राध्यापकों के लिए आरक्षित रखे जायें। प्रधानमंत्री मोदी को लिखे अपने एक खुले पत्र में, इंग्लैंड के आंबेडकरवादी व बौद्ध संगठनों के फेडरेशन के अध्यक्ष संतोष दास ने लिखा, ‘कई लोग आपकी यात्रा को राजनैतिक लाभ प्राप्त करने के लिए आंबेडकर के नाम का इस्तेमाल करने की कोशिश के रूप में देखते हैं। बाबासाहेब इस सब से ऊपर हैं। मुझे उम्मीद है कि आंबेडकर संग्रहालय की आपकी यात्रा, उनकी विरासत और संदेश को भारत में कार्यरूप में परिणत करने की आपकी प्रतिबद्धता की द्योतक है’

(पुनश्चय: यद्यपि आंबेडकर बाद में दूसरी जगह चले गए परन्तु इसी 10, किंग हेनरी रोड के पते पर उन्हें ‘डियरेस्ट भीम’ को संबोधित फ्रांसेस फिट्जगेराल्ड के पत्र मिले, जिन्हें उनकी 1945 की पुस्तक ‘व्हाट कांग्रेस एंड गाँधी हैव डन टू द अनटचेबिल्स’ समर्पित थी)

 

 

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फायरप्लेस वाला मुख्य कमरा, जिसे आंबेडकर के ऐतिहासिक चित्रों व भारतीय संविधान की उद्देशिका से सजाया गया है

 

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आंबेडकर के समग्र लेखन का संग्रह, जो यह नहीं बताता कि एक निर्धन विद्यार्थी ने किस प्रकार ब्रिटिश म्यूजियम व लन्दन के अन्य सार्वजनिक पुस्तकालयों में पूरे-पूरे दिन अध्ययन किया

 

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उद्घाटन : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ़ इंडिया के प्रमुख रामदास अठावले, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडऩवीस, महाराष्ट्र के सामाजिक न्याय मंत्री राजकुमार बडोले व सुरेखा कुंभारे व अन्य दलित प्रतिनिधि

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एफपी डेस्‍क

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