एफपी की यात्रा में मील के पत्थरफारवर्ड प्रेस के प्रिंट संस्करण के सात सालों पर एक नजर एफपी डेस्क September 6, 2016 Share on Facebook UI2 UI2 Share on Like on Facebook Share on X (Twitter) Share on WhatsApp Share on Telegramमई 2009 : एमपी प्रिंटर्स, नोएडा के प्रेस में आयवन कोस्का पत्रिका के प्रवेशांक की छपाई शुरू करने का संकेत देते हुए मई 2009 : एफपी की पहली टीम प्रवेशांक के नेहरु प्लेस कार्यालय में पहुँचने का जश्न मनाते हुए अप्रैल 2010 : एफपी की पहली वर्षगाँठ पर कांस्टीट्युशन क्लब, नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में ध्यानमग्न श्रोता अप्रैल 2011 : एफपी की दूसरी वर्षगांठ पर मुख्य अतिथि शरद यादव, टॉम वुल्फ की ‘फुले इन हिज ओन वड्र्स’ का हिंदी संस्करण जारी करते हुए अप्रैल 2012 : एफपी की तीसरी वर्षगांठ पर आयोजित कार्यक्रम में वामन मेश्राम के संबोधन को सुनते हुए मुख्य अतिथि अरविंद कुमार जून 2014 : एफपी की पांचवीं वर्षगाँठ के अवसर पर (बाएं से) वीरभारत तलवार, रमणिका गुप्ता, आयवन कोस्का, सिल्विया कोस्का, प्रमोद रंजन, मुख्य अतिथि सीएसडीएस के संजय कुमार, सुषमा यादव और राजेन्द्र कश्यप जून 2014 : एफपी की पांचवीं वर्षगाँठ के अवसर पर (बाएं से) संजय कुमार, सुषमा यादव और राजिंदर कश्यप को क्रमश: महात्मा फुले और क्रांतिज्योति सावित्रीबाई फुले बलिजन रत्न सम्मान से विभूषित करते हुए अप्रैल 2015 : फारवर्ड प्रेस की छठवीं वर्षगांठ पर (बाएं से) प्रमोद रंजन, ब्रजरंजन मणि, सुजाता पारमिता, अरविंद जैन, अली अनवर, श्योराज सिंह बेचैन, मुख्य अतिथि अरुंधति रॉय, रमणिका गुप्ता और रामदास अठावले (फॉरवर्ड प्रेस के अंतिम प्रिंट संस्करण, जून, 2016 में प्रकाशित)