15 अप्रैल, 2017 को दिल्ली के गांधी शान्ति प्रतिष्ठान में आयोजित सम्मान समारोह में आलोचना कर्म के लिए हिंदी आलोचक कमलेश वर्मा को सीताराम शास्त्री स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया। उन्हें यह पुरस्कार उनकी चर्चित पुस्तक “जाति के प्रश्न पर कबीर” के लिए दिया गया। पुस्तक का प्रथम संस्करण पेरियार प्रकाशन, पटना से प्रकाशित हुआ था, जबकि दूसरा संस्करण फारवर्ड प्रेस बुक्स ने प्रकाशित किया है।

दिवंगत सीताराम शास्त्री झारखंड में आदिवासियों के हक़ के लिए संघर्षरत रहे और झारखंड के विकास के लिए ‘कंपनी आधारित विकास’ को एक छलावा बताते थे। उनकी स्मृति में इस वर्ष शुरू किया गये इस सम्मान से कमलेश वर्मा के अतिरिक्त सर्वेश सिंह भी सम्मानित किए गए।
इसके निर्णायक मंडल में तद्भव के संपादक अखिलेश, लमही के संपादक विजय राय और कवि-आलोचक जितेंद्र श्रीवास्तव शामिल थे। कमलेश वर्मा को सम्मानित करते हुए निर्णायक मंडल ने अपनी संस्तुति पत्र में ओबीसी विमर्श को रेखांकित करते हुए कहा कि कमलेश वर्मा हिन्दी साहित्य में उभर रहे पिछड़ा विमर्श के युवा सिद्धांतकारों में से एक हैं और चुपचाप बड़े महत्व का कार्य करने वाले आलोचक हैं। जाति के प्रश्न पर कबीर उनकी सर्वथा नई दृष्टि से लिखी गई पुस्तक है, जिसमें सहमति का शउर और असहमति का विवेक है।

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समारोह में कमलेश वर्मा वरिष्ठ आलोचक मैनेजर पाण्डेय और लेखिका ममता कालिया के द्वारा सम्मानित किये गये। वर्मा ने अपने वक्तव्य में कहा कि मेरे लिये अत्यंत खुशी की बात है कि बनारस के सुदूर देहाती इलाके के एक छोटे-से कॉलेज में अध्यापन करनेवाले के लेखन को पुरस्कार के लिये विचारणीय माना गया। मुझे यह देखकर सुखद आश्चर्य हुआ कि कबीर, निराला और पिछड़ी जातियों के साहित्य-सन्दर्भ में मेरे प्रयास को निर्णायक समिति की संस्तुति में चिह्नित किया गया है। मेरे काम को पहचान दिलाने का एक सुनहरा मौका इस पुरस्कार ने प्रदान किया है।
इस अवसर पर पर रवीन्द्र कालिया स्मृति पुरस्कार कबीर संजय और मनोज कुमार पाण्डेय को, पंकज सिंह स्मृति पुरस्कार अशोक कुमार पाण्डेय और मृत्युंजय प्रभाकर को, श्यामधर स्मृति पुरस्कार आकांक्षा पारे और पूजा सिंह को दिया गया।
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