बाबासाहब के विचरों को कांशीराम ने उत्तर भारत में व्यापक तौर पर फैलाया। इसके लिए उन्होंने बाबासाहब द्वारा लिखी किताबों का अध्ययन किया। वे अपनी एकमात्र पुस्तक ‘चमचा युग’ में डॉ. आंबेडकर की उन किताबों का उल्लेख करते हैं जिसने उन्हें रास्ता दिखाया। ये वे किताबें हैं जिनमें डॉ. आंबेडकर ने अपने सपनों, आदर्शों, विचारों के साथ बदलाव का ठोस कार्यक्रम प्रस्तुत किया है। वे किताबें निम्न हैं-
- भारत में जातियाँ : उनका तन्त्र, उत्पत्ति और विकास (1916)
- जाति का विनाश (1936)
- श्री गांधी और अछूतों का उद्धार (1943)
- कांग्रेस और गांधी ने अछूतों के लिए क्या किया (1945)
- राज्य और अल्पसंख्यक (1947)
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