जयंतीभाई मनानी के अचानक निधन की सूचना पाकर मैं आवाक रह गया था। देवेंद्र भाई पटेल और मैं घंटों अपने केबिन में उनके महान गुणों को याद करते रहे। उनके चुनौती भरे कार्यभारों को याद करते रहे, जो वे छोड़े गए हैं और जिन्हें हमें पूरा करना है। हमने उनके चाहने वालों को उनके निधन की सूचना दिया।
भुलाए न जा सकने वाले संबंधों की शुरूआत
व्यक्तिगत तौर पर मैंने अपना सबसे करीबी दोस्त और वैचारिक मार्गदर्शक खो दिया। 1990 के दशक में मैं पहली बार उनसे गुजरात में बामसेफ की एक मीटिंग में मिला था। उस समय बामसेफ अनुसूचित जातियों, जनजातियों, ओबीसी और अल्पसंख्यकों के बीच सक्रिय हो चुका था। उन दिनों मंडल कमीशन की रिपोर्ट सबसे ज्वलंत मुद्दा था।
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