डिनोटिफाइड यानी घुमन्तू/खानाबदोश और अर्द्धघुमन्तू जनजातियों की आबादी को मिला दें तो भारत में उनके 12 करोड़ वोट बनते हैं। यह एक अच्छी खासी संख्या है। विडम्बना है कि डिनोटिफाइड समुदायों का भारत के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग तरीकों से वर्गीकरण किया गया है। कहीं उन्हें अनुसूचित जाति कहा जाता है तो कहीं अनुसूचित जनजाति, तो कहीं अन्य पिछड़ा समुदाय तो कहीं अल्पसंख्यक। इन अलग-अलग श्रेणियों में शामिल डिनोटिफाइड समुदायों के सदस्य अपनी इस विशिष्ट पहचान के प्रति जागरूक नहीं दिखते और यहां तक कि कई चुने हुए डीएनटी नेता, जिनमें से कुछ पार्टियों के अगुआ हैं, वह भी ऐसे मुद्दों में उलझे हैं , जिनका डीएनटी समुदायों से कोई संबंध नहीं है।
पूरा आर्टिकल यहां पढें : अपनी खुद की पार्टी बनायें डिनोटिफाइड जनजातियों के लोग