मैला प्रथा जैसे कलंक को दूर करने के लिए संसधानों की कमी कतई नहीं है, लेकिन सरकारी उदासीनता के कारण यह दुरूह बना है। मानव मल की हाथ से सफाई करने वाले भारत को कोई देखना नहीं चाहता। वह अनदेखा रह जाता है। लेकिन सड़ांध मारते मानव मल से बजबजाते भारत को अनदेखा करने से बात नहीं बनेगी। मानव मल की हाथ से सफाई करने वाले उस भारत की गंदगी दूर करने पर ही हमारा दूषित भारत सही अर्थों में स्वच्छ भारत कहलाएगा।
सरकार सीवर/सेप्टिक की सफाई छोटी मशीनों से करवा सकती है। इन छोटी रोबो मशीनों को जर्मनी, जापान जैसे देशों से खरीदा जा सकता है अथवा स्वदेश में ही हिंदुस्तान ऐरोनाटिक्स लिमिटेड या अजंता टेक्नोलॉजी से निर्मित कराया जा सकता है। यह ‘मेक इन इंडिया’ का एक अच्छा उदाहरण भी होगा।…..