संविधान दिवस (26 नवंबर 1949) पर विशेष
डॉ. आंबेडकर (14 अप्रैल 1891 – 6 दिसंबर 1956) दुनिया भर के संविधान के ज्ञाता थे और मानते थे कि किसी भी देश की प्रगति में उस देश के संविधान की बड़ी भूमिका होती है। संविधान की भूमिका को रेखांकित करते हुए वे एक जगह लिखते हैं- “सारी सामाजिकबुराईयां धर्म–आधारित होती हैं। एक हिन्दू स्त्री या पुरुष, वह जो कुछ भी करता है, अपने धर्म का पालन करने के रूप में करता है। एकहिन्दू का खाना, पीना, नहाना, वस्त्र पहिनना, जन्म, विवाह और मरना सब धर्म के अनुसार होता है। उसके सारे कार्य धार्मिक हैं।हालांकि धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण से वे बुराइयां हैं, पर हिन्दू के लिए वे बुराइयां नहीं हैं, क्योंकि उन्हें उसके धर्म की स्वीकृति मिली हुई है।यदि कोई हिन्दू पर पाप करने का आरोप लगाता है, तो उसका उत्तर होता है, ‘यदि मैं पाप कर रहा हूं, तो धर्म के अनुसार कर रहा हूं’।”
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