एक ओर बीते 12 जनवरी 2019 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आर्थिक आधार पर पिछड़े गरीबों के लिए दस फीसदी आरक्षण दिये जाने संबंधी विधेयक को अपनी मंजूरी दे दी। वहीं दूसरी ओर देश के कई हिस्सों में विरोध के स्वर भी उठने लगे हैं। इस क्रम में बिहार के भागलपुर शहर में एक विरोध मार्च निकाला गया। इस दौरान लोगों ने गरीब सवर्णों को आरक्षण दिए जाने के लिए केंद्र में सत्तासीन भाजपा सरकार के खिलाफ नारे लगाये।
बताते चलें कि अनेक जन संगठनों ने सरकार के खिलाफ 12 जनवरी से लेकर 14 जनवरी तक तीन दिवसीय राष्ट्रव्यापी प्रतिवाद का आह्वान किया है।
भागलपुर में विरोध मार्च का आयोजन बिहार फुले-आंबेडकर युवा मंच और सामाजिक न्याय आंदोलन के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। मार्च तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय परिसर के डॉ. भीमराव आंबेडकर कल्याण छात्रावास संख्या -2 से शुरू होकर शहर के खलीफाबाग चौक से गुजरते हुए स्टेशन चौक स्थित डॉ. आंबेडकर की प्रतिमा तक पहुंचा। बाद में एक जनसभा का आयोजन किया गया।
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इस मौके पर डॉ. विलक्षण रविदास ने कहा कि केन्द्र सरकार की ग्रुप A की नौकरियों में सवर्ण 74.48 प्रतिशत, ओबीसी 8.37 प्रतिशत व अनुसूचित जाति 12.6 प्रतिशत हैं। इस प्रकार सवर्णों को छोड़ अन्य का मौजूदा प्रतिनिधित्व तय आरक्षण से भी कम है। लेकिन आरक्षण आर्थिक आधार पर सवर्णों को दिया जा रहा है। उन्होंने मांग किया कि सत्ता व शासन की विभिन्न संस्थाओं और क्षेत्रों में बहुजनों की संख्यानुपात में भागीदारी की गारंटी के
सामाजिक न्याय आंदोलन, बिहार की कोर कमिटी सदस्य अंजनी और बिहार फुले-अंबेडकर युवा मंच के अजय कुमार राम ने कहा कि आर्थिक आधार पर सवर्ण आरक्षण के जरिए संविधान की मूल संरचना व वैचारिक आधार को बदलने का काम किया गया है। नरेन्द्र मोदी सरकार ने आरएसएस के संविधान बदलने और दलितों-पिछड़ों के आरक्षण को खत्म करने के एजेंडा पर आगे बढ़ने का काम किया है।
वहीं मिथिलेश विश्वास और गौतम कुमार प्रीतम ने कहा कि सवर्णों को आरक्षण देकर भाजपा सरकार ने दलितों, आदिवासियों और पिछड़ों के आरक्षण को खत्म करने की साजिश को आगे बढ़ाया है। विरोध मार्च में अर्जुन शर्मा, वीरेंद्र गौतम, दीपक, सुधांशु, अमित यादव, विष्णुदेव दास, महेश अंबेडकर, राजेश रौशन, विजय कुमार दास, चंद्रहास यादव, प्रियरंजन, रंजीत, विकास, राकेश, अनिकेत, रूपेश विश्वास, नंद किशोर, दिलीप, गोलू, शंभु मांझी, सूरज, सुंदन, ऋषि, दीध्र, लक्ष्मण, सोनम कुमार सहित बड़ी संख्या में दलित-बहुजन मौजूद थे।
(कॉपी संपादन : एफपी डेस्क)
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