मतदाता सूची में नाम कटने व उसे जुड़वाने को लेकर भ्रामक कॉल्स का सिलसिला खत्म नहीं हुआ है। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी व दिल्ली प्रदेश भाजपा द्वारा पुलिस में शिकायत दर्ज कराने के बावजूद यह सिलसिला जारी है। इस कड़ी में बीते 16 फरवरी 2019 को दोपहर बाद फारवर्ड प्रेस के दो संपादकों प्रबंध संपादक प्रमोद रंजन व संपादक (अंग्रेजी) अनिल वर्गीज के पास भी फोन आए। फोन करने वाले ने खुद को आम आदमी पार्टी का कार्यकर्ता बताते हुए वही पुरानी बात दोहरायी कि उनका नाम मतदाता सूची से काट दिया गया है, लेकिन चिंता की बात नहीं, उसे वह जुड़वा देगा।
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फारवर्ड प्रेस के प्रबंध संपादक प्रमोद रंजन ने फोन करने वाले कथित आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता से अपनी हुई बातचीत का फोन भी टेप किया है जिसमें वह निर्भीक होकर बता रहा है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री व आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविन्द केजरीवाल लोगों के नाम मतदाता सूची से काटे जाने से चिंतित हैं और कटे हुए नामों को जुड़वाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं।
बताते चलें कि फारवर्ड प्रेस पहले भी जमीनी हकीकत व पड़ताल के बाद “आखिर क्यों सनसनी फैलाना चाहती है आम आदमी पार्टी?” शीर्षक रिपोर्ट प्रकाशित कर चुका है।
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प्रबंध संपादक की तरफ से फोन करने वाले से जब सवाल किया गया कि आपकी तरफ से पहले भी इस तरह के काल आए थे लेकिन जब आपके नम्बर पर हमने फोन किया तो आपलोग फोन काट देते थे या फिर कम्प्यूटराइज्ड आवाज सुनने को मिलता था, फिर एक्सटेंशन नम्बर मांगा जाता था और फिर तुरंत फोन कट जाता था। इस सवाल का जवाब देने से फोन करने वाला लगातार बचता रहा और वही पुरानी बात दोहराता रहा कि अरविन्द केजरीवाल आपका नाम जुड़वाने का प्रयास कर रहे हैं। हालांकि बातचीत के दौरान उससे जब यह कहा गया कि आपसे मिलना चाहते हैं, इसलिए आप कहां से कॉल कर रहे हो। आपका कॉल सेंटर कहां है यह बताएं। पहले वह जवाब देने से बचना चाहा लेकिन फिर उसने अस्पष्ट पता बताया। फारवर्ड प्रेस के संवाददाता ने जब उस लोकेशन पर इस संबंध में जानकारी हासिल करने की कोशिश की तो उसे इस तरह के किसी भी ऑफिस के होने का वहां पता नहीं चल पाया।
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दिल्ली के सीईओ डा रणवीर सिंह ने दिल्ली के लोगों से ऐसे भ्रामक कॉल्स से सावधान रहने की सलाह दी है और साथ ही बताया है कि मतदाता सूची से नाम काटने में कोई लापरवाही नहीं बरती गई है। जो भी नाम मतदाता सूची से काटे गए हैं वह नियमों के अनुसार सारी प्रक्रियाओं को पूरा करने के बाद ही कटे हैं। किसी जेन्यून मतदाता का नाम कटने का सवाल ही पैदा नहीं होता है लेकिन अगर ऐसा कोई मामला है और किसी का नाम अगर गलत कटा है तो वो जरूरी कागजात व प्रूफ के साथ आएं उनका नाम जोड़ा जाएगा।
(कॉपी संपादन : एफपी डेस्क)
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