बहुजन का शाब्दिक अर्थ है अधिसंख्य जन अर्थात बहुत से लोग। ये बहुत से लोग कौन हैं, जो मिलकर बहुजन वर्ग बनाते हैं? इस विशाल बहुजन समाज का जन्म हिन्दू समाज की वर्णव्यवस्था के गर्भ से हुआ है। हिन्दू समाज जातियों का समूह है, जिनमें सभी जातियों का सामाजिक और आर्थिक स्तर समान नहीं है। एक विशाल आबादी को हिन्दू धर्म-व्यवस्था ने स्वतन्त्रता और विकास के अवसरों से वंचित रखा है। इनमें शूद्र हैं, जो वर्णव्यवस्था में सबसे निचले पायदान पर हैं, और वर्णव्यवस्था से बाहर की चंडाल आदि जातियां हैं, जो अछूत मानी जाती हैं। शूद्र और अछूत जातियां ही मिलाकर बहुजन समाज बनाती हैं। यह बहुजन समाज आज भी हाशिए पर है, और अपनी सामाजिक-आर्थिक प्रगति के लिए उच्च जातियों पर निर्भर करता है।
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