जंतर-मंतर पर गूंजा – ‘जनेऊ रोस्टर नहीं चलेगा’ और ‘द्रोणाचार्य रोस्टर नहीं चलेगा’ का नारा
विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की विभागवार रोस्टर के पक्ष में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के 31 जनवरी 2019 को दिल्ली के संसद मार्ग पर जन सैलाब उमड़ा। दलित-बहुजनों के सवाल पर विभिन्न राजनीतिक दलों ने अपना समर्थन दिया। इन दलों में समाजवादी पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल शामिल रहे। इनके अलावा भीम आर्मी के अलावा विभिन्न दलों के छात्र संगठनों ने भी पूरी शिद्दत से विभागवार आरक्षण के खिलाफ आवाज बुलंद की।
विरोध प्रदर्शन के दौरान छात्र संगठनों के छात्र इस बीच डफली की थाप पर जनगीत गाते रहे और बीच-बीच में नारे लगाते रहे। ‘जो सरकार निकम्मी है, वो सरकार बदलनी है’, ‘यूनिवर्सिटी है हमारा आपका, नहीं किसी के बाप का’, ‘अपना अधिकार हम लेके रहेंगे’ के अलावा ‘जनेऊ रोस्टर नहीं चलेगा’ और ‘द्रोणाचार्य रोस्टर नहीं चलेगा’ जैसे नारों से मंडी हाउस से लेकर जंतर-मंतर तक गुंजायमान रहा।

इस मौके पर सपा सांसद धर्मेंद्र यादव ने कहा कि “मैं मंच पर बैठे अपने वैचारिक साथियों से, नेताओं से और प्रोफेसरों से अपील करूंगा कि अब 7.5 फीसदी ,15 फीसदी और 27 फीसदी की लड़ाई छोड़ो। अब हमें लड़ाई लड़नी है 85 फीसदी की।”
रालोसपा प्रमुख व पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि “रोस्टर के मुद्दे पर मौजूदा सरकार के मौन से ओबीसी, एससी और एसटी के लोगों का नुकसान हो रहा है। ऐसी परिस्थिति में सरकार तुरंत बिल लाए और एक्ट बनाए, जिससे उच्च शिक्षण संस्थान के शिक्षकों को आरक्षण का लाभ मिल सके।”
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने 200 प्वाइंट रोस्टर के मुद्दे को अपना समर्थन देते हुए कहा कि “वर्तमान समय में केमेस्ट्री हमारे पक्ष में है, मैथमेटिक्स पक्ष में नहीं है। लेकिन हमें उम्मीद है कि आगामी चुनाव के बाद लोकसभा और राजयसभा में मैथमेटिक्स भी हमारे पक्ष में होगा।”

भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद ने कि “हम जमीन के आदमी हैं और जमीन की लड़ाई लड़ना जानते हैं। सरकार कितना भी जोर लगाए हम अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ते रहेंगे। अगर जरूरत पड़ी तो 2 अप्रैल 2018 की तरह भारत बंद एक बार नहीं, एक हजार बार करेंगे। कोई हमारे अधिकार छीनने का काम करेगा, हम उसे उसकी औकात दिखाने का काम करेंगे।”
गुजरात के वडगाम से विधायक जिग्नेश मेवानी ने कहा कि “उना, सहारनपुर, एट्रोसिटीज एक्ट, 2 अप्रल की भारत बंद पर हमला, भीमा कोरेगांव पर हमला, सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण और अभी 13 प्वाइंट रोस्टर सिस्टम इन सब घटनाओं ने नरेंद्र मोदी को आधुनिक मनु के तौर पर स्थापित किया है। हम उन्हें ‘अरबन मनु’ भी कह सकते हैं।”
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि “जो मौजूदा केंद्र सरकार है, वो पूरी तरीके से दलित विरोधी है, संविधान विरोधी है और आरक्षण विरोधी है। ये लोग बाबा साहब के लिखे हुए संविधान को मिटा कर नागपुरिया कानून, जो इनके बाबा गोलवलकर ने किताब लिखने का काम किया था ‘बंच ऑफ थाट्स’ का, उस किताब को संविधान की जगह लागू किया जाए। मैं इनको बता देना चाहता हूं कि किसी माई के लाल में दम नहीं कि आप हमसे हमारा आरक्षण छीन लें।”

राष्ट्रीय युवा कांग्रेस के अध्यक्ष केशव चंद्र यादव ने कहा कि “मैं नेताओं से यह आह्वान कर रहा हूं कि इस मंच के अलावा संसद में भी अपनी आवाज को बुलंद करें। साथ ही सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों के प्रोफेसरों को साथ आना होगा।”
इनके अलावा प्रोटेस्ट में सीताराम येचुरी, राजद सांसद मीसा भारती, सीपीआई नेता डी. राजा और कई अन्य लोग भी शामिल थे।
(कॉपी संपादन : एफपी डेस्क)
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