h n

25 वर्षों बाद भी अधूरा है आंबेडकर के लेखों-भाषणों का हिंदी अनुवाद

25 साल पहले केंद्र सरकार ने 21 खण्डों में संकलित, डॉ. बी. आर. आंबेडकर की रचनाओं और भाषणों का अनुवाद, आठवीं अनुसूची में मान्य सभी भाषाओं में करने की घोषणा की थी। लेकिन सरकार और उसके तंत्र की लालफीताशाही के कारण यह परियोजना जल्द पूरी होती हुई नहीं दिख रही है

1990 के दशक में तत्कालीन नरसिम्हा राव सरकार ने बाबासाहेब आंबेडकर की संपूर्ण रचनाओं के संग्रह को सभी अनुसूचित भारतीय भाषाओं में अनूदित कराने की योजना घोषित की थी। उस समय तक, 21 खण्डों  में संकलित, उनकी रचनाएँ केवल अंग्रेज़ी में उपलब्ध थीं। राव सरकार ने कोंकणी, मणिपुरी और नेपाली को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया था। लिहाज़ा, यह स्पष्ट था कि बाबासाहेब आंबेडकर की रचनाओं का अनुवाद इन भाषाओं में भी किया जाएगा। कालांतर में, अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के तहत आठवीं अनुसूची में बोडो, डोगरी, मैथिली और संथाली को भी शामिल किया गया।

पूरा आर्टिकल यहां पढें : 25 वर्षों बाद भी अधूरा है आंबेडकर के लेखों-भाषणों का हिंदी अनुवाद  

 

लेखक के बारे में

नरेश नदीम

संबंधित आलेख

इन कारणों से बौद्ध दर्शन से प्रभावित थे पेरियार
बुद्ध के विचारों से प्रेरित होकर पेरियार ने 27 मई, 1953 को ‘बुद्ध उत्सव’ के रूप में मनाने का आह्वान किया, जिसे उनके अनुयायियों...
‘दुनिया-भर के मजदूरों के सुख-दुःख, समस्याएं और चुनौतियां एक हैं’
अपने श्रम का मूल्य जानना भी आपकी जिम्मेदारी है। श्रम और श्रमिक के महत्व, उसकी अपरिहार्यता के बारे में आपको समझना चाहिए। ऐसा लगता...
सावित्रीबाई फुले, जिन्होंने गढ़ा पति की परछाई से आगे बढ़कर अपना स्वतंत्र आकार
सावित्रीबाई फुले ने अपने पति जोतीराव फुले के समाज सुधार के काम में उनका पूरी तरह सहयोग देते हुए एक परछाईं की तरह पूरे...
रैदास: मध्यकालीन सामंती युग के आधुनिक क्रांतिकारी चिंतक
रैदास के आधुनिक क्रांतिकारी चिंतन-लेखन को वैश्विक और देश के फलक पर व्यापक स्वीकृति क्यों नहीं मिली? सच तो यह कि उनकी आधुनिक चिंतन...
जब नौजवान जगदेव प्रसाद ने जमींदार के हाथी को खदेड़ दिया
अंग्रेज किसानाें को तीनकठिया प्रथा के तहत एक बीघे यानी बीस कट्ठे में तीन कट्ठे में नील की खेती करने के लिए मजबूर करते...