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आगामी आयोजन : ओबीसी का अधिवेशन, भारत के अतीत पर पुनर्विचार और बुद्धिजीवियों के लिए योग

कमल चंद्रवंशी बता रहे हैं कि 7 अगस्त 2019 को ओबीसी समुदाय के सबसे बड़े संगठन का हैदराबाद में महाधिवेशन होने जा रहा है। इस दौरान ओबीसी के लिए जरूरी मांगों को सरकार के संज्ञान में लाने का प्रयास किया जाएगा।  साथ ही वे बता रहे हैं इस सप्ताह आयोजित होने वाले पांच अन्य आयोजनों के बारे में 

हमारे देश के ओबीसी वर्ग की सबसे बड़ी चिंता मौजूदा दौर में यह है कि यह वर्ग लगातार भेदभाव का शिकार होता है। इसलिए उसे लगता है कि तहसील स्तर से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक जितने भी कानूनी संस्थान हैं, वहां ओबीसी को प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए। इस समय तमाम राज्य में ओबीसी वर्ग हर तरह से उपेक्षित है। छात्रों के साथ तो सबसे ज्यादा भेदभाव होता है। इस अनिश्चितता को खत्म करने के लिए नेशनल ओबीसी महासंघ इस साल 7 अगस्त को अपना राष्ट्रीय अधिवेशन सरूर नगर इंडोर स्टेडियम हैदराबाद में कर रहा है। संगठन का कहना है कि उनका काम सरकार तक ओबीसी वर्ग की मांगों को सही से पहुंचाना है। महासंघ के इस चौथे अधिवेशन को ऑल इंडिया बैकवर्ड क्लासेस फैडरेशन और बैकवर्ड क्लास एसोसिएशन ऑफ तेलंगाना और आंध्रप्रदेश के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया जा रहा है।

फेडरेशन के नेता महासचिव सचिन राजूरकर ने बताया कि पिछले चार सालों से संगठन ने देश के 56 फीसदी ओबीसी समुदाय की आवाज को मद्देनजर हर राज्य में नई चेतना पैदा की है और सरकार को अपनी मांगों से अवगत कराया है। संगठन में डॉ. खुशालचंद्र बोपचे राजनीतिक समन्वयक हैं। इस साल के अधिवेशन में कई केन्द्रीय मंत्री और बीजेपी के कई सांसद मौजूद रहेंगे जिनके सामने ओबीसी वर्ग से जुड़ी समस्याओं को रखकर उनके निदान की मांग की जाएगी।

तेलंगाना के शिक्षा और स्वास्थ्य मंत्री एटला राजेंद्र अधिवेशन का उद्घाटन करेंगे। उद्घाटन समारोह में आंध्र प्रदेश के डिप्टी सीएम पीएस चंद्रबोस के अलावा टीएस यादव, वी श्रीनिवास गौड़, चंद्रशेखर बावनकुले, महेंद्र जानकर, शंकर नारायण समेत कई मंत्री और गणमान्य लोग अतिथि शिरकत करेंगे। समारोह में कई सांसद भी शामिल हो रहे हैं जिनमें के केशवराव, बीएल यादव, बंदा प्रकाश आदि हैं।

वर्ष 2016 में महाराष्ट्र के नागपुर में राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ के आह्वान पर शिल्पकार जातियों के लोगों का विशाल प्रदर्शन (फाइल फोटो)

ओबीसी महासंघ की मांग है कि 2021 में जनगणना सामाजिक आर्थिक जातिगणना हो जिससे ओबीसी समाज को न्याय मिल सके। महासंघ की प्रमुख मांगों में कानूनी संस्थाओं में ओबीसी को न्यायोचित प्रतिनिधित्व मिले। संघ का कहना है कि ओबीसी की आबादी को देखते हुए उसके साथ न्याय के लिए अलग से मंत्रालय बनना चाहिए। ओबीसी के लिए 52 फीसदी आरक्षण, पदोन्नति में ओबीसी का आरक्षण सुनिश्चित करने, मंडल और दूसरे आयोगों की सिफारिशों को लागू करने, सावित्री बाई फुले और जोतीराव फुले को भारत रत्न देने जैसी 13 प्रमुख मांगे हैं।

महासंघ ने पिछले सालों की तरह ही ओबीसी किसान, किसान मजदूर के लिए 60 वर्ष के बाद पेंशन योजना लागू करने, ओबीसी के ऊपर क्रीमीलेयर की लगाई गई असंवैधानिक शर्ते अविलंब हटाने, ओबीसी के लिए विधानसभा और लोकसभा में स्वतंत्र निर्वाचन क्षेत्र बनाने, ओबीसी को एससी-एसटी अत्याचार निवारण कानून में शामिल करने की मांग करता रहा है। इसके अलावा महासंघ लगातार ही ओबीसी विद्यार्थियो के लिए सिविल सर्विसेज और प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रशिक्षण के लिए हर राज्य और जिला स्तर पर प्रशिक्षण संस्थान खोलने की हिमायत करता रहा है।

इस सप्ताह के कार्यक्रम

  • 2 अगस्त को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के कला निधि विभाग द्वारा ‘टैगोर, इकबाल और फैज’ व्याख्यान का आयोजन
  • 2 अगस्त को जेएनयू के भारतीय भाषा केंद्र में हिंदी ओड़िया कविता- एक तुलनात्मक अध्ययन विषय पर सेमिनार
  • 5 अगस्तर को पांडिचेरी विवि में बुद्धिजीवियों के लिए योग
  • 7 अगस्त को हैदराबाद में राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ का अधिवेशन
  • 7 अगस्त को महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्व विद्यालय, वर्धा (महाराष्ट्र) में ‘हमारा समय और गोस्वामी तुलसीदास’ विषय पर सेमिनार
  • 7 अगस्त को सीएसडीएस द्वारा दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में ‘रिथिंकिंग इंडियाज पास्ट’ विषय पर शाम साढे पांच बजे से व्याख्यान

संगठन के महासचिव सचिन राजूरकर ने बताया कि राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ देश में ओबीसी समाज के लिए कार्यरत सभी ओबीसी संगठनों का महासंघ है। इस महासंघ का पहला अधिवेशन नागपुर में 7 अगस्त 2016 को आयोजित किया गया था। यह महासंघ ओबीसी महिला अधिवेशन का भी आयोजन कर चुका है। 8 दिसंबर 2016 में नागपुर में संगठन ने सर्वसमावेशी ओबीसी समाज का बड़ा मोर्चा निकाला था जिसमें एक लाख से अधिक लोग जुटे थे। संगठन की एकटजुटता के चलते महाराष्ट्र में पहली बार सरकार को ओबीसी मंत्रालय का गठन करना पड़ा और इसी के साथ केंद्र सरकार ने पहली बार नागपुर में 500 ओबीसी छात्रों के लिए छात्रावास बनाने की मंजूरी दी गई।

अधिवेशन के कार्यक्रम सुबह 10 बजे से शुरू होंगे और शाम 6 बजे तक चलेंगे। ओबीसी नेता और आयोजन समिति के प्रमुख सचिन राजूरकर ने कहा कि स्टेडियम के अधिवेशन समारोह में इस बार 10 हजार से अधिक लोग शिरकत करेंगे।

भारत के अतीत पर पुनर्विचार

सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (सीएसडीएस) की ओर से 7 अगस्त को दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में ‘रिथिंकिंग इंडियाज पास्ट’ विषय पर शाम साढे पांच बजे से व्याख्यान रखा गया है। कुणाल चक्रबर्ती की अध्यक्षता में होने वाले इस कार्यक्रम में भारत के गुजरे समय को लेकर जानेमाने शिक्षाविद और बौद्ध विचारक जोहान्स ब्रोंखॉर्स्ट अपने विचार रखेंगे।

यह कार्यक्रम सी.आर. पारेख मेमोरियल व्याख्यान के तहत रखा गया है। बौद्ध विचारक के तौर पर जोहान्स की पहचान है। वे लारेंस यूनिवर्सिटी के प्रतिष्ठित प्रोफेसर रहे हैं। इस यूनिवर्सिटी में वे 1987 से लेकर 2011 तक संस्कृत और भारतीय अध्ययन विषय के प्रोफेसर के तौर पर काम करते रहे। जोहान्स ने दो दर्जन से अधिक पुस्तकें लिखी हैं जिनमें ‘हाऊ द ब्राह्मिन वोन’ और ‘कर्मा’ शामिल हैं। इस व्याख्यान कार्यक्रम की अध्यक्षता करने वाले जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्राचीन भारतीय इतिहास अध्ययन विभाग के प्रोफेसर कुणाल चक्रबर्ती ने कहा है कि यह व्याख्यान देश के अतीत को आधुनिक परिप्रेक्ष्य से देखने के हमारे नजरिए में नयापन लाएगा।

बुद्धिजीवियों के लिए योग

पांडिच्चरी विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग ने 5 अगस्त को दोपहर 11.40 बजे से योग की विशेष कार्यशाला रखी है। योग कार्यक्रम का नाम ‘बुद्धिजीवियों के लिए योग’ सुनने में जितना अटपटा या अलग सा दिखता है। लेकिन सचाई यही है, जैसे कि यहां के योग कार्यक्रम के संचालक ने कहा कि इस कार्यक्रम में बुद्धिजीवियों के लिए आवश्यक योग और आसनों पर चर्चा की जाएगी।

विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्च गुरमीत सिंह समारोह की अध्यक्षता करेंगे जबकि मानकी विद्यापीठ के प्रोफेसर के श्रीनिवास अपना वक्तव्य रखेंगे। कार्यशाला में रिनान्जा यूनिवर्सल के अपर सचिव आचार्य दिव्य चेतनानंद अवधूत कार्यशाला के केंद्रीय विषय पर मुख्य भाषण रखेंगे।

हिंदी का ओड़िया कविताओं से क्या रिश्ता   

2 अगस्त यानी शुक्रवार को जेएनयू के भारतीय भाषा केंद्र की आदिकवि सरला दास पीठ और उड़िया अध्ययन केंद्र की ओर से राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित किया जा रहा है। हिंदी ओड़िया कविता- एक तुलनात्मक अध्ययन विषय पर होने वाले इस सेमिनार की अध्यक्षता प्रोफेसर चिंतामणि महापात्र करेंगे जबकि पीठ के चेयरमैन ओमप्रकाश सिंह का भाषण मुख्य विषय से मुखातिब होगा। डॉ अमरेंद्र खटुवा और गंगा प्रसाद विमल जैसे विद्धान इस पर होने वाली चर्चा को आगे बढाएंगे।

इस सेमिनार में छात्र काफी संख्या में शामिल हो सकते हैं। बता दें कि कि ओड़िया भाषा के कवि सीताकांत महापात्र की कविताएं करीब तीन दशक से हिंदी क्षेत्र में बहुत लोकप्रिय हुई हैं, जिनके बहाने हिंदी कविता के एक व्यापक वर्ग में ओड़िया कविता के अतीत और आधुनिकता को देखने को लेकर उत्सुकता बढ़ी है। इस समीनार में दोनों भाषाओं की कविता में विविधता के बावजूद उनके एक सूत्र में बंधे होने के कई तार खुल सकेंगे।

कार्यक्रम दोपहर 2 बजे से शाम 5 बजे तक भारतीय भाषा अध्ययन केंद्र के कक्ष नंबर 212 में होगा।

हमारा समय और गोस्वामी तुलसीदास

महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्व विद्यालय, वर्धा (महाराष्ट्र) में 7 अगस्त को सुबह 10.30 बजे से एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया है। इसके संयोजक प्रोफेसर अवधेश कुमार की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में इसकी जानकारी दी गई है। इसमें कहा गया है कि यह राष्ट्रीय संगोष्ठी होगी जिसका विषय वर्तमान समय की चुनौतियां और गोस्वामी तुलसीदास है। विज्ञप्ति में कहा गया है कि उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता कुलपति प्रोफेसर रजनीश कुमार करेंगे।

इस विज्ञप्ति में कालेज के सभी विभागों के छात्र और प्रोफेसर शिरकत कर सकेंगे। हालांकि यह राष्ट्रीय संगोष्ठी कैसे है, कौन लोग इसमें अपने भाषण प्रस्तुत करेंगे या तुलसीदास की आज के दौर में क्या प्रासंगिकता है, आदि के बारे में जब अवधेश कुमार से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि आगे इस बारे में फिर बात करेंगे। आमतौर पर वर्धा की संगोष्ठियों को काफी सराहना मिलती है। प्रोफेसर अवधेश अपनी विज्ञप्ति में कुछ और विवरण देते तो ये काफी महत्व का होता।

वर्धा परिसर के छात्रों में इस संगोष्ठी में जरूर शामिल होना चाहिए क्योंकि आज के दौर में तुलसीदास को लेकर दो धारणाएं हैं। वे इन दोनों धारणाओं से रूबरू हो सकेंगे। यह भी सवाल उठेगा कि आखिर कैसे तुलसीदास की रचनाएं एक तरफ पोंगापंथी को बढ़ावा देती हैं तो दूसरी ओर सर्वाधिक लोकप्रिय भी हैं।

टैगोर, इकबाल और फैज

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के कला निधि विभाग ने ‘टैगोर, इकबाल और फैज’ व्याख्यान का शुक्रवार 2 अगस्त को आयोजन किया है। इसमें इसी केंद्र के पूर्व शैक्षणिक निदेशक प्रोफेसर इंद्रनाथ चौधुरी मुख्य वक्ता होंगे जबकि केंद्र के मौजूदा अध्यक्ष राम बहादुर राय कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे।  बता दें कि टैगोर, इकबाल और फैज भारतीय धरती के वो क्रांतिकारी कवि हैं जिनमें जन-संस्कृति, जनमानस के दुख-दर्द और संवेदनाएं व्यक्त हुई हैं। कार्यक्रम शाम के चार बजे शुरू होगा।

बता दें कि इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र नई दिल्ली के 11, मानसिंह रोड स्थित है। इस भवन की पहली मंजिल में यह कार्यक्रम होगा। यहां पहुंचने के लिए मेट्रो सबसे उपयुक्त है। सबसे नजदीकी स्टेशन का नाम केंद्रीय सचिवालय है।

आने वाले दिनों में फारवर्ड प्रेस में हम इंद्रनाथ चौधुरी के भाषण का वो पूरा हिस्सा देने की कोशिश करेंगे जो वो टैगोर, इकबाल और फैज की कविताओं को लेकर पेश करेंगे। 

(कॉपी संपादन : नवल)


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लेखक के बारे में

कमल चंद्रवंशी

लेखक दिल्ली के एक प्रमुख मीडिया संस्थान में कार्यरत टीवी पत्रकार हैं।

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