सन् 1980 के दशक में पंजाब में युवाओं के रातों-रात “गायब” होने और फिर कभी न मिलने की घटनाओं के बारे में नागरिक अधिकार कार्यकर्ता राम नारायण कुमार ने लिखा था कि राज्य की मौन स्वीकृति से किए जाने वाले इस तरह के भयावह अपराधों का सच जनता को बताना ज़रूरी है ताकि समाज को यह अहसास हो सके कि क्या गलत हो रहा है और निर्दोष व्यक्तियों को क्या भुगतना पड़ रहा है। परन्तु “आधिकारिक सच” को सहज स्वीकार करने की समाज की प्रवृत्ति के चलते “असली सच” को कहना आसान नहीं होता।
लेखक के बारे में
वी. गीता
लेखिका वी. गीता एक अनुवादक, सामाजिक इतिहासकार और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। इन्होंने तमिल और अंग्रेजी में आधुनिक तमिल इतिहास, जाति, लैंगिक विषयों, शिक्षा और मानव अधिकार पर विस्तारपूर्वक लेखन किया है। इन्होने एस वी राजादुरई के साथ मिलकर द्रविड़ आन्दोलन और राजनीति पर भी लेखन किया है जिसका प्रकाशन ईपीडब्ल्यू (इकोनॉमिक एंड पालिटिकल वीकली) में किया गया है। इसके अलावा इनकी एक पुस्तक, जिसका शीर्षक है ‘‘टुवर्ड्स, अ नॉन-ब्राह्मिन मिलीनियमः फ्रॉम आयोथी थास टू पेरियार’’। इन्होंने पश्चिमी मार्क्सवाद पर भी कई प्रबंधों का लेखन भी किया है जिनमें एन्टेनियो ग्रामसी के जीवन और विचारों पर केन्द्रित एक विषद ग्रंथ शामिल है