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मेडिकल पोस्ट ग्रेजुएट (पीजी) पाठ्यक्रमों में भर्ती में अखिल भारतीय कोटे के तहत अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के छात्र-छात्राओं को आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा रहा है। इसे लेकर राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को नोटिस भेजा है। इसमें मंत्रालय से पंद्रह दिनों के अंदर जवाब देने को कहा गया है।

बीते 22 मई, 2020 को एनसीबीसी के अध्यक्ष डाॅ. भगवान लाल साहनी की ओर से आयोग की संयुक्त सचिव मधुमाला चट्टोपाध्याय ने स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव को जारी पत्र में कहा कि उन्हें ऑल इंडिया ओबीसी फेडरेशन के महासचिव जी. करूणानिधि की ओर से शिकायत मिली है। आयोग के पत्र के मुताबिक, “संविधान की धारा 338 (बी) में निहित अधिकार [वर्ष 2018 में मिली संवैधानिक शक्तियों] का प्रयोग करते हुए आयोग ने इस मामले की जांच का निर्णय लिया है। इसलिए आपसे अपेक्षा की जाती है कि आप प्रार्थी [जी. करूणानिधि के पत्र में उल्लेखित शिकायत कि मेडिकल पीजी कोर्स में ऑल इंडिया कोटा के तहत ओबीसी को आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा रहा है] के द्वारा उठाए गए सवाल के संदर्भ में तथ्य व सूचनाएं आयोग को नोटिस की प्राप्ति के पंद्रह दिनों के अंदर या तो डाक के जरिए या फिर हाथों-हाथ उपलब्ध कराएं।”
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आयोग ने स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव को यह चेतावनी भी दी है कि यदि वे आयोग को मांगी गयी सूचनाएं उपलब्ध नहीं कराएंगे तो उन्हें आयोग के समक्ष व्यक्तिगत तौर पर उपस्थित होने के लिए सम्मन जारी किया जाएगा। गौरतलब है कि हर साल देश भर के मेडिकल कॉलेजों में पीजी कोर्स में ऑल इंडिया कोटा के तहत तीन हजार से अधिक ऐसी सीटों पर सामान्य वर्ग के छात्रों का नामांकन हो रहा है, जिन पर ओबीसी छात्रों का नामांकन होना चाहिए। यह हालत तब है जब कि देश भर के केंद्र सरकार के अधीन उच्च शिक्षण संस्थानों में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने का कानून लागू है।
ध्यातव्य है कि इस संबंध में 7 जनवरी, 2020 को फारवर्ड प्रेस द्वारा “मेडिकल कॉलेजों में दाखिला : ओबीसी की 3 हजार से अधिक सीटों पर उच्च जातियों को आरक्षण” शीर्षक से खबर प्रकाशित की गयी।
वहीं आयोग द्वारा मंत्रालय को नोटिस भेजे जाने के संबंध में ऑल इंडिया ओबीसी फेडरेशन के महासचिव जी. करूणानिधि ने कहा है कि “हमारा पहले का अनुभव रहा है कि मंत्रालय ओबीसी से जुड़ी सूचनाओं और तथ्यों को तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत करता है और मुद्दे को डायवर्ट कर देता है। इसलिए हम लोगों ने अपनी तैयारी पूरी रखी है ताकि आयोग को हम वह सूचनाएं उपलब्ध करा सकें जिनसे ओबीसी के छात्र-छात्राओं की हकमारी न हो सके।”
बहरहाल, एनसीबीसी अपने संवैधानिक अधिकारों का उपयोग कर रहा है। हालांकि यह देखना अभी बाकी है कि स्वास्थ्य मंत्रालय इस मामले में क्या रुख लेता है और इस कवायद का अंतिम परिणाम क्या होता है।
(संपादन : अमरीश)