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फणीश्वरनाथ रेणु की कहानी ‘संवदिया’ पर फिल्म का निर्माण शुरू

निर्देशक ऋतेश कुमार के मुताबिक, वे कहानी को यथासंभव उसके समयकाल और परिवेश में चित्रित करने की कोशिश कर रहे हैं। यह कहानी 1962 में छपी थी। 2020 में 1960 के आसपास के समय को दिखाना अपने आप में एक बड़ी चुनौती है

हिंदी के सुप्रसिद्ध कथाकार फणीश्वरनाथ रेणु का जन्मशताब्दी वर्ष पूरे देश में मनाया जा रहा है। इस क्रम में रेणु और उनके लेखन को केंद्र में रखकर देशभर की साहित्यिक-सांस्कृतिक संस्थाओं द्वारा अनेक कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है। देश की प्रतिष्ठित साहित्यिक-सांस्कृतिक संस्था नीलांबर के वार्षिकोत्सव ‘लिटरेरिया’ का थीम था – ‘साहित्य का अंचल’ और इसके केंद्र में रहे रेणु जी और उनका लेखन। इस अवसर पर संस्था ने रेणु जी की बहुचर्चित कहानी ‘संवदिया’ पर इसी नाम से फ़िल्म निर्माण भी शुरू कर दिया है। 

बताते चलें कि इसके पहले रेणु की कहानी ‘तीसरी कसम’ पर बासु भट्टाचार्य के निर्देशन में गीतकार शैलेंद्र ने फिल्म का निर्माण किया था। 2017 में उनकी कहानी ‘पंचलाइट’ पर ‘पंचलैट’ फिल्म का निर्माण कोलकाता के निर्देशक प्रेम मोदी ने किया था। इसी कड़ी में नीलांबर द्वारा निर्मित फिल्म ‘संवदिया’ को देखा जा सकता है। ज्ञातव्य हो कि इसके पहले इस संस्था ने वंदना राग की कहानी ‘क्रिसमस करोल’, चंदन पांडेय की कहानी ‘जमीन अपनी तो थी’, मन्नू भंडारी की कहानी ‘अनथाही गहराइयां’, विनोद कुमार शुक्ल की कहानी ‘गोष्ठी’ पर लघु फिल्में बनाई हैं जो खासी सराही गई हैं।

‘संवदिया’ फिल्म का जारी पोस्टर

बताते चलें कि ‘संवदिया’ कहानी 1960 के दशक में गांवों में स्त्रियों के जीवन और बदलते परिवेश पर आधारित है। इसमें स्वतंत्रता के उपरांत बहुजन समाज के अंदर उठ रहे सवालों को भी रेणु ने ग्रामीण संवदिया के जरिए दिखलाने की कोशिश की है। कई समालोचकों ने संवदिया के नायक को रेणु की कहानी “मारे गए गुलफाम” के नायक हीरामन का नया अवतार भी बताया है। वहीं कई समालोचकों ने इसे रेणु की अपनी कहानी कही है। यही वजह है कि इस फिल्म के कई दृश्यों का फिल्मांकन रेणु के पैतृक गाँव सिमराहा एवं उसके आसपास के अंचलों में किया गया है। 

फिल्म के निर्देशक ऋतेश कुमार ने इस फिल्म के बारे में बात करते हुए बताया कि “हम कहानी को यथासंभव उसके समयकाल और परिवेश में चित्रित करने की कोशिश कर रहे हैं। यह कहानी 1962 में छपी थी। 2020 में 1960 के आसपास के समय को दिखाना अपने आप में एक बड़ी चुनौती है। कथा में जिस तरह से हवेली तथा अन्य स्थानों का जिक्र आया है, उन्हें देखना-दिखाना आसान नहीं और अगर हम कहानी को आज के समय में दिखाते हैं तो कहानी का वही प्रभाव नहीं रहेगा, वह मूर्खतापूर्ण भी लगेगा।” 

इस फिल्म के कलाकारों में मृणमोई विश्वास, दीपक ठाकुर, विमलेश त्रिपाठी, आशा पांडेय, पूनम सिंह एवं आदित्य प्रियदर्शी शामिल हैं। फिल्मांकन विशाल पांडेय का है। फ़िल्म का निर्माण नीलाम्बर ने किया है और इसमें सहयोग किया है निर्मला तोदी ने। यह फिल्म रेणु के आगामी जन्मदिवस पर 4 मार्च 2021 को रीलिज होगी।

(संपादन : नवल)


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