[कभी खेल के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले संजीत बर्मन, छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में दलित-बहुजनों से संबंधित आयोजनों के केंद्र में रहते हैं। वे आयोजन स्थलों पर दलित-बहुजनों से जुड़ी किताबें भी बेचते हैं। लेकिन इसके पहले उन्होंने शिक्षक की सरकारी नौकरी से त्यागपत्र दे दिया। संजीत बर्मन से नवल किशोर कुमार की खास बातचीत के संपादित अंश]
जाति ने छुड़ाया खेल तो बहुजन नौजवान संजीत बर्मन ने बना ली अलग राह
करीब 34 साल के संजीत बर्मन ताइक्वांडो के खिलाड़ी थे। जूनियर वर्ग में उन्होंने राष्ट्रीय प्रतियोगिता में छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व किया। लेकिन ऊंची जाति के एक कोच ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर खेलने ही नहीं दिया। परंतु संजीत ने हार नहीं मानी। उन्होंने जाति के विनाश का संकल्प लिया। पढ़ें, उनका यह खास साक्षात्कार