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शोषित किसानों के सखा जोतीराव फुले और वर्तमान का किसान आंदोलन

आज जिन आशंकाओं को लेकर भारत के किसान सरकार के तीन कृषि कानूनों को लेकर आंदोलनरत हैं, उनके बारे में जोतीराव फुले ने 140 साल पहले आवाज उठाई थी। यह महज संयोग नहीं है। बता रहे हैं अनिल वर्गीज

यदि महात्मा जोतीराव फुले आज जीवित होते तो वे दिलो-जान से किसानों के आंदोलन का समर्थन करते और मराठाओं के लिए आरक्षण की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई कर रहे उच्चतम न्यायालय से दो टूक कहते कि “महारों से लेकर ब्राह्मणों तक हम सभी मराठी भाषी, मराठा के नाम से जाने जाते हैं। केवल मराठा शब्द से किसी व्यक्ति की जाति का पता नहीं लगाया जा सकता।” फुले ने एक मराठा कुनबी से ठीक यही कहा था जब उसने अपना परिचय मराठा के रूप में दिया।

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लेखक के बारे में

अनिल वर्गीज

अनिल वर्गीज फारवर्ड प्रेस के प्रधान संपादक हैं

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