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गाजियाबाद में ‘गुलामगिरी’ लोकार्पित व याद किया गया आंबेडकर का संघर्ष

गाज़ियाबाद, उत्तर प्रदेश में 6 दिसंबर को आंबेडकर की 65वीं पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में जोतीराव फुले द्वारा लिखित ‘गुलामगिरी’ के हालिया प्रकाशित एनोटेटिड संस्करण का विमोचन किया गया। यह इस पुस्तक का पहला गैर-आभासी विमोचन था।

डॉ. भीमराव आंबेडकर ने अपनी प्रसिद्ध रचना ‘हू वर द शुद्रास?’ को जोतीराव फुले को समर्पित किया था। उनके शब्दों में फुले “आधुनिक भारत के महानतम शूद्र थे, जिन्होंने हिन्दुओं के निम्न वर्गों को यह अहसास दिलवाया कि वे उच्च वर्गों की गुलामी कर रहे हैं और जिनकी यह मान्यता थी कि भारत के लिए विदेशी शासन से मुक्ति से अधिक महत्वपूर्ण है देश में सामाजिक लोकतंत्र की स्थापना।”

इस परिप्रेक्ष्य में यह उचित ही था कि जोतीराव फुले द्वारा लिखित ‘गुलामगिरी’ के फारवर्ड प्रेस द्वारा हालिया प्रकाशित एनोटेटिड संस्करण का पहला गैर-आभासी विमोचन, डॉ. भीमराव आंबेडकर विचार मंच एवं जन्मोत्सव समिति द्वारा आंबेडकर की पुण्यतिथि 6 दिसंबर पर आयोजित एक कार्यक्रम में किया गया। मूल मराठी से उज्ज्वला म्हात्रे द्वारा अनूदित यह किताब आज की पीढ़ी के लिए एक आवश्यक किताब है, जिसे ऐतिहासिक संदर्भों व टिप्पणियों से डॉ. रामसूरत  व आयवन कोस्का ने समृद्ध किया है। इस पुस्तक में आयवन कोस्का ने अपनी विशेष भूमिका में जोतीराव फुले से जुड़े अनेक तथ्यों का विश्लेषण किया है। कार्यक्रम गाज़ियाबाद, उत्तर प्रदेश में माता कॉलोनी, विजय नगर स्थित आंबेडकर पार्क में किया गया। इस पार्क में डॉ आंबेडकर की एक भव्य प्रतिमा स्थापित है। 

इस अवसर पर डॉ. अलख निरंजन की पुस्तक ‘दलित आन्दोलन का सैद्धांतिक पक्ष’ और श्रम अधिकार कार्यकर्ता शिव कुमार की रचना ‘मजदूर: थर्ड डिग्री’ का विमोचन भी हुआ। विमोचन के पश्चात एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसका विषय था– ‘मताधिकार का प्रयोग और भारतीय लोकतंत्र की दशा और दिशा’। गोष्ठी में जिन वक्ताओं ने अपने विचार रखे। उनमें शामिल थे– शिव कुमार, सुरेश बंसल (पूर्व विधायक), आर.पी.सिंह (सामाजिक कार्यकर्ता), डॉ. चंद्रपाल (पूर्व आईएएस अधिकारी), डॉ. महबूब लारी (वरिष्ठ राजनेता), प्रो. सतीश प्रकाश (भौतिकी विभाग, मेरठ कॉलेज, मेरठ), डॉ. सिद्धार्थ (सलाहकार संपादक, जनचौक), भरत सत्यार्थी (संचालक, ग्लोबल लॉ कॉलेज, गाज़ियाबाद), संदीप राउज़ी (मुख्य संपादक, वर्कर्स यूनिटी), प्रो. डॉ चंद्रशेखर पासवान (हिंदी विभाग, गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय), प्रो. सविता पाठक (मैत्रेयी कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय), संजय कबीर (वरिष्ठ पत्रकार एवं पर्यावरणविद), अखलाक अहमद (वरिष्ठ पत्रकार), कल्याण सिंह (सेवानिवृत्त पुलिस उपअधीक्षक), के.एल.अशोक (पूर्व बैंक अधिकारी), रामेश्वर दयाल (चिन्तक), ममता शिवा (सामाजिक कार्यकर्ता, सहारनपुर), हरिओम (सेवानिवृत्त इंजीनियर, रक्षा मंत्रालय) एवं अनिल वर्गीज (प्रबंध संपादक, फारवर्ड प्रेस, नई दिल्ली)। 

फारवर्ड प्रेस द्वारा प्रकाशित ‘गुलामगिरी’ का लोकार्पण करते गणमान्य

अधिकांश वक्ताओं ने भारत में सामाजिक बराबरी के संघर्ष में डॉ. आंबेडकर के अतुलनीय योगदान पर जोर दिया। आठवीं कक्षा की विद्यार्थी दीया राजपूत ने अपने अत्यंत अर्थपूर्ण संबोधन में भारत में मताधिकार के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए देश के सभी वयस्कों को वोट देने का हक़ दिलवाने में डॉ. आंबेडकर की भूमिका पर चर्चा की। प्रो. सतीश प्रकाश ने कहा कि वास्तविक परिवर्तन लाने के लिए हमें सड़कों पर उतरना होता है, जैसा कि दलित आन्दोलन के कर्णधारों ने किया। पूर्व आईएएस अधिकारी और वर्तमान में आदर्श समाज पार्टी के नेता डॉ. चंद्रपाल ने बताया कि जब वे गाज़ियाबाद के कलेक्टर थे, तब उन्होंने डॉ. आंबेडकर की प्रेरणा से गरीबों की मदद की थी। रक्षा मंत्रालय में इंजीनियर के पद से सेवानिवृत्त हरिओम ने बताया आंबेडकर के ‘शिक्षित बनो, संगठित हो और आन्दोलन करो’ के आह्वान को गंभीरता से लेते हुए वे दफ्तर से लौटने के बाद शाम को और सप्ताहांत में अपने मोहल्ले के बच्चों को मुफ्त में ट्यूशन दिया करते थे। उनमें से कई बच्चों का चयन राज्य प्रशासनिक सेवा में हो गया है। ममता शिवा ने अपनी जीवन यात्रा का विवरण देते हुए बताया कि किस प्रकार वे रोगियों की सेवा करने वाली नर्स थीं और बाद में कैसे वे एक सामाजिक कार्यकर्ता बनीं ताकि वे उन लोगों की आंखें खोल सकें, जो उन्हें गुलाम बनाने वाली सोच को नहीं देख पा रहे हैं। प्रो. सविता पाठक का कहना था कि लोगों को रामायण की जगह भीमायण (आंबेडकर की जीवनगाथा) पढनी चाहिए। अनिल वर्गीज ने कहा कि फुले और आंबेडकर आदर्श जनप्रतिनिधि थे और हमें वोट देने के अपने अधिकार का इस्तेमाल उनके जैसे समर्पित और दूरदृष्टि वाले लोगों को विधायिका में पहुँचाने के लिए करना चाहिए। तभी हमारे देश की राज्य व्यवस्था और उसकी संस्थाएं प्रतिनिधिक और न्यायपूर्ण बन पाएंगे। 

रामपाल सिंह ने कार्यक्रम का संचालन और रघुबीर सिंह ने अध्यक्षता की।

इस मौके पर विद्यार्थियों के लिए आयोजित सावित्रीबाई फुले चित्रकला प्रतियोगिता में आई प्रविष्टियों की प्रदर्शनी ने कार्यक्रम में रंग भर दिया। प्रदर्शनी का उद्घाटन फिल्म निर्माता नीरा जलछतरी, कलाकार एन.एस. गौतम व रघुबीर सिंह ने किया। प्रदर्शनी में एन.एस. गौतम, हिहानी गौतम और प्रमोद मौर्य जैसे स्थापित चित्रकारों के अतिरिक्त, उभरती हुई युवा प्रतिभा कोमल की कलाकृतियों को भी प्रदर्शित किया गया। 

कार्यक्रम में उपस्थित दलित-बहुजन महिलाएं बनीं भागीदार

डॉ. भीमराव आंबेडकर विचार मंच एवं जन्मोत्सव समिति के कोषाध्यक्ष लखमीचंद प्रियदर्शी ने बताया कि संस्था द्वारा विगत 35 सालों से उसी स्थल पर आंबेडकर की जयंती व पुण्यतिथि मनाई जाती रही है। वीर सिंह संस्था के संयोजक हैं। 

(संपादन : नवल)


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