h n

निशाने पर क्यों हैं आफरीन फातिमा, जिनकी मां का घर यूपी पुलिस ने ढाह दिया?

वह अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय महिला कॉलेज छात्र संघ की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं। आफरीन की सोच और काम की वजह से अलीगढ़ के अंदर के दकियानूस पुरुषों और कॉलेज प्रशासन को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। अगर सही तरीके से देखा जाए तो मुस्लिम महिलाओं का दुश्मन सांप्रदायिक और पितृसत्ता में विश्वास रखने वाला समाज दोनों होता है। बता रहे हैं अभय कुमार

बीते दिनों आफरीन फातिमा का घर उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की हुकूमत ने बुलडोजर चलाकर ध्वस्त कर दिया। देखा यह जा रहा है कि शरजील इमाम, उमर खालिद, मीरान हैदर के बाद अब आफरीन फातिमा हुकूमत के निशाने पर हैं। हालांकि यह पहला मौका नहीं है जब इस तरह से आवाज दबाने की कोशिश की गई है। इससे पहले भी जब कभी शोषित वर्गों की ओर से कोई शक्तिशाली आवाज उठती है, तो हुकूमत की कोशिश रहती है कि उसे किसी न किसी बहाने उसे जनता की नजरों में देशद्रोही साबित कर दिया जाए और किसी न किसी मामले में फंसाकर जेल भेज दिया जाय। इस तरह यह संदेश देने की कोशिश की जाती है कि अगर दबे कुचले समाज में से कोई भी अपने अधिकारों के लिए लड़ने के लिए आएगा तो उसको मिटा दिया जाएगा, जैसे आफरीन फतिमा की मां के घर को ध्वस्त कर दिया गया।

पूरा आर्टिकल यहां पढें : निशाने पर क्यों हैं आफरीन फातिमा, जिनकी मां का घर यूपी पुलिस ने ढाह दिया?

लेखक के बारे में

अभय कुमार

जेएनयू, नई दिल्ली से पीएचडी अभय कुमार संप्रति सम-सामयिक विषयों पर विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं के लिए स्वतंत्र लेखन करते हैं।

संबंधित आलेख

नीतीश की प्राथमिकता में नहीं और मोदी चाहते नहीं हैं सामाजिक न्याय : अली अनवर
जातिगत जनगणना का सवाल ऐसा सवाल है कि आरएसएस का सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति का जो गुब्बारा है, उसमें सुराख हो जाएगा, उसकी हवा...
मनुस्मृति पढ़ाना ही है तो ‘गुलामगिरी’ और ‘जाति का विनाश’ भी पढ़ाइए : लक्ष्मण यादव
अभी यह स्थिति हो गई है कि भाजपा आज भले चुनाव हार जाए, लेकिन आरएसएस ने जिस तरह से विश्वविद्यालयों को अपने कैडर से...
आखिर ‘चंद्रगुप्त’ नाटक के पन्नों में क्यों गायब है आजीवक प्रसंग?
नाटक के मूल संस्करण से हटाए गए तीन दृश्य वे हैं, जिनमें आजीवक नामक पात्र आता है। आजीवक प्राक्वैदिक भारत की श्रमण परंपरा के...
कौशांबी कांड : सियासी हस्तक्षेप के बाद खुलकर सामने आई ‘जाति’
बीते 27 मई को उत्तर प्रदेश के कौशांबी में एक आठ साल की मासूम बच्ची के साथ यौन हिंसा का मामला अब जातिवादी बनता...
अपने जन्मदिन पर क्या सचमुच लालू ने किया बाबा साहब का अपमान?
संघ और भाजपा जहां मजबूत हैं, वहां उसके नेता बाबा साहब के विचारों और योगदानों को मिटाने में जुटे हैं। लेकिन जहां वे कमजोर...