h n

दिनेश खटिक इस्तीफा प्रकरण : दलित राजनीतिक उत्पीड़न से कैसे दूर रह सकते हैं?

संसदीय राजनीति में वर्चस्व की विचारधारा द्वारा प्रतीकों का अपने अनुकूल इस्तेमाल करने का यह दौर है। दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों के प्रतिनिधियों के मंत्रिमंडल में शामिल होने का बहुत बढ़ा-चढ़ाकर प्रचार किया जाता है, लेकिन यह कभी नहीं बताया जाता है कि सही अर्थों में उनके पास किस तरह की जिम्मेदारी है और उसका किसके हित में कितना इस्तेमाल हो रहा है। बता रहे हैं अनिल चमड़िया

उत्तर प्रदेश में राज्य मंत्री दिनेश खटिक का केन्द्र सरकार के गृह मंत्री एवं राज्यपाल को भेजा गया इस्तीफा दो तरह की स्थितियों का बयान करती है। पहली स्थिति तो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में वर्ण व्यवस्था के तहत शुद्र और अछूत माने जाने वाली जातियों की स्थिति है। और दूसरी स्थिति सत्ता की होड़ में शामिल होने वाली इन जातियों के सदस्यों का जातीय उत्पीड़न के दंश और सत्ता में बने रहने के अंतर्विरोध की है।

पूरा आर्टिकल यहां पढें : दिनेश खटिक इस्तीफा प्रकरण : दलित राजनीतिक उत्पीड़न से कैसे दूर रह सकते हैं?

लेखक के बारे में

अनिल चमड़िया

वरिष्‍ठ हिंदी पत्रकार अनिल चमडिया मीडिया के क्षेत्र में शोधरत हैं। संप्रति वे 'मास मीडिया' और 'जन मीडिया' नामक अंग्रेजी और हिंदी पत्रिकाओं के संपादक हैं

संबंधित आलेख

वजीरपुर के स्वाभिमान अपार्टमेंट्स और दिल्ली चुनाव
इन अपार्टमेंट्स के लिए आवंटन 2009 में किया गया, लेकिन इसके लिए टेंडर 2014 में निकाले गए और निर्माण कार्य 2017 में प्रारंभ हुआ,...
जेएमडी की नाराज़गी पड़ी आम आदमी पार्टी को भारी
झुग्गियों पर डीडीए की बुलडोज़र कार्रवाई, सीएए-एनआरसी मुद्दे पर आंदोलन और फिर उत्तरी दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगों पर चुप्पी से पार्टी के कोर...
यूजीसी के नए मसौदे के विरुद्ध में डीएमके के आह्वान पर जुटान, राहुल और अखिलेश भी हुए शामिल
डीएमके के छात्र प्रकोष्ठ द्वारा आहूत विरोध प्रदर्शन को संबोधित करते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि आरएसएस और भाजपा इस देश को भाषा...
डायन प्रथा के उन्मूलन के लिए बहुआयामी प्रयास आवश्यक
आज एक ऐसे व्यापक केंद्रीय कानून की जरूरत है, जो डायन प्रथा को अपराध घोषित करे और दोषियों को कड़ी सज़ा मिलना सुनिश्चित करे।...
राहुल गांधी का सच कहने का साहस और कांग्रेस की भावी राजनीति
भारत जैसे देश में, जहां का समाज दोहरेपन को अपना धर्म समझता है और राजनीति जहां झूठ का पर्याय बन चली हो, सुबह बयान...