उत्तर प्रदेश के जनपद जालौन के कोतवाली थाना के फर्दनदीस मोहल्ला के वार्ड संख्या 4 में सियारानी वर्मा और श्रीराम वर्मा अपने परिवार संग कई पीढ़ियों से रहते आ रहे हैं। ये कोरी जाति के हैं, जो कि उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति की श्रेणी में सूचीबद्ध है। सियारानी वर्मा का कच्चा मकान था, जिसकी हालत बेहद जर्जर थी। लेकिन परिवार की आय इतनी न थी कि वे अपने लिए एक पक्का घर बना पाते। सियारानी वर्मा ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवेदन किया। उनका आवेदन स्वीकार हो गया और करीब 6 महीना पहले उन्हें मकान फानने के लिए पहली किश्त के तौर पर उनके बैंक खाता में 50 हजार रुपए आए। सियारानी का परिवार एक किराए के मकान में शिफ्ट हो गया और फटाफट जर्जर कच्चे मकान को ढहाकर पक्का मकान बनाने का काम फान दिया।
श्रीराम वर्मा का कहना है कि “उनके ब्राह्मण और ओबीसी पड़ोसी जोकि अभी कुछ साल पहले ही ज़मीन ख़रीदकर वहां बसे हैं, को यह बात नागवार गुज़री। दोनों ने मिलकर अड़ंगे लगाने शुरू कर दिए। सड़क पर ईंट और बालू नहीं गिरने दिया। मज़बूरन हमलोगों ने घर से दूर गिरवाकर सिर पर ढो ढोकर निर्माण सामग्रियों को पहुंचाया और नींव भरने का काम शुरू हो गया”।
मुख्य रास्ते पर खड़ी कर दी ऊंची दीवार
सियारानी वर्मा के कच्चे घर के आगे और पीछे दोनों ओर रास्ता है। लेकिन कच्चे घर का मुख्य निकास तीन फीट चौड़े संकरे वाले रास्ते पर है, जबकि घर के पिछला दरवाजा मुख्य रास्ता (12 फीट चौड़े) रास्ते पर। लेकिन जब भारी बारिश के चलते सियारानी के घर की कच्ची दीवार बैठने लगी तो उन्होंने दीवार को सपोर्ट देने के लिए घर के पीछे का दरवाजा ईंट लगाकर बंद कर दिया। अब जब वो पक्का मकान बनाने लगे तो आवाजाही की सुविधा के लिहाज से घर का मुख्य दरवाजा मुख्य रास्ते पर करना चाहा तो सामंतों के द्वारा रास्ता ही बंद कर दिया।

दरअसल ब्राह्मणवादी सोच ही ऐसी होती है। एक जबर्दस्ती का गुरूर होता है और एक गैर-बराबरी का गुरूर। उन्हें बराबरी अपमान लगती है। उन्हें लगता है कि कोई अछूत कैसे उनके ठीक बराबर में रहे। या वो पक्के मकान में रह रहे हैं तो कोई अछूत कैसे पक्के मकान में रहे। जैसे पहले ग्रामीण सामंतवादी समाज में दलितों को बराबरी में बैठने का, घर के सामने से चप्पल पहनकर गुज़रने का अधिकार नहीं था। गांव का समाज तो अभी भी ब्राह्मणवादी सोच से पूरी तरह मुक्त नहीं हुआ है, लेकिन शहर में इस तरह की बातें हैरान करती हैं। गौरतलब है कि जालौन शहर नगरपालिका में आता है। यहां पार्षद नेहा मित्तल हैं और सदस्य नरेश सोनी हैं।
नींव भरने के बाद जैसे तैसे सियारानी के घर की दीवार खड़ी हो गयी। फिर लिंटर डालने के लिए दूसरी किश्त के तौर पर डेढ़ लाख रुपये उनके खाते में आए। तो उन्होंने लिंटर डालने की मशीन बुलवायी। लेकिन दबंग पाठक और बाथम परिवार ने मिलकर उनकी मशीन लौटा दी। सियारानी के घर का लिंटर नहीं पड़ा। सियारानी के घर के ठीक सामने से 12 फुट की इंटरलॉक सड़क है। उस सड़क पर बिल्कुल उनके मुंहाड़े से सटाकर उनके पड़ोसी कमलेश बाथम (रिटायर्ड फौजी) और लल्लूराम पाठक (रिटायर्ड लेखपाल) ने मिलकर 6 फुट की दीवार खड़ी कर दी और निकलने नहीं दिया जा रहा है। जबकि उस रास्ते से आरोपितों का ट्रैक्टर आ रहा है, उनका सब कुछ आ रहा है पर सियारानी के परिवार को सड़क पर निकलने तक नहीं दिया जा रहा है। सियारानी कोर्ट-कचहरी, थाना–चौकी, डीएम-एसडीएम के दफ़्तरों में चक्कर काट रही हैं। वह बताती हैं कि प्रधानमंत्री आवास का बहुत-सा पैसा तो इन चक्करों में ख़र्च हो गया है।
75 फीसदी दलित, फिर भी सवर्णों की दबंगई
वार्ड नंबर संख्या 4, जहां सियारानी वर्मा का आवास है, उसकी जातीय संरचना की बात करें तो एससी वर्ग की आबादी 75 प्रतिशत है। जबकि सवर्ण आबादी 25 प्रतिशत है। दलित आबादी में वाल्मीकि, धोबी, जाटव, कोरी, बंसोड़ आदि हैं। वहीं सवर्णों में 15 परिवार ब्राह्मण है। लल्लूराम पाठक के समर्थन में सभी ब्राह्मण इकट्ठा होकर आ जाते हैं।
सियारानी वर्मा बताती हैं कि लल्लूराम पाठक (रिटायर्ड लेखपाल), रोहित पाठक, कमलेश बाथम (रिटायर्ड फौजी), संदीप बाथम, संजय बाथम, करन बाथम, अंशुल बाथम, शिव बालक बाथम आदि मिलकर लगातार सियारानी वर्मा के परिवार को प्रताड़ित कर रहे हैं और धमकियां दे रहे हैं।

सियारानी वर्मा के मुताबिक, लल्लूराम पाठक का कहना है कि यह पंडितों का रास्ता है आप लोग यहां से नहीं निकलेंगे। इस कारण उनका परिवार पांच महीने से परेशान है। डीएम, एसडीएम हर जगह जहां-जहां जाना था, वह गईं। तीन-तीन बार दरख्वास्त दे चुकी हैं। उनका कहना है कि केवल कागज़ी कार्रवाई करने की बात कही जा रही है। यहां तक कि एसएसपी साहेब के पास भी तीन-चार बार गए, लेकिन कुछ सुनवाई नहीं हुई।
लेखपाल रिश्तेदार, कोतवाल ब्राह्मण
करीब 65 वर्षीय सियारानी वर्मा और करीब 70 साल के श्रीराम वर्मा को अपना घर नहीं बनाने देने के मुख्य आरोपी लल्लूराम पाठक ब्राह्मण जाति के हैं। जालौन के मौजूदा लेखपाल वैभव त्रिपाठी उनके रिश्तेदार हैं। एसडीएम सुरेश कुमार पाल हैं। जबकि कोतवाल कुलदीप कुमार तिवारी ब्राहमण जाति का है और चौकी इंचार्ज अतुल कुमार राजपूत भी सवर्ण बिरादरी का है। पीड़ित पक्ष आरोप लगाता है कि कोतवाल कुलदीप कुमार तिवारी पीड़ित परिवार को धमकी देकर कहता है कि इतने मुकदमें लगाएंगे कि तुम्हारे समझ में आ जाएगा। वहीं महिला पुलिसकर्मी मजाक उड़ाते हुए सियारानी वर्मा से कहती है कि तुम्हारे घर की छत में माल डालने के लिए सीएम साहेब का हेलीकॉप्टर आएगा।
सियरानी रोते हुए गुहार लगाती हैं कि बरसात आने वाला है। पानी बरसने वाला है। मेरे घर के छोटे-छोटे बच्चे कहां जाएंगे। पांच-छह महीने हो गए। घर गिरा दिया रहने का ठिकाना नहीं है। दवाई नहीं करवा पा रहे हैं। वह कहती हैं–
“परेशान हैं साहेब। हाथ जोड़कर विनती हैं मेरा घर बनवाय देउ साहेब। पंडितै लोगन की सरकार चल रही है साहेब। नेता, कोतवाल, सीओ, एसडीएम, डीएम कुल हो आये साहेब कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है।दौड़ते दौड़ते छह महीने हो गए।”
एसएसपी ने झाड़ा पल्ला
इस मामले में प्रशासन का पक्ष जानने के लिए एसएसपी जालौन से संपर्क किया गया। जालौन के एसएसपी ने फोन पर बताया कि दीवार और रास्ते का विवाद है तो यह राजस्व विभाग का मामला है। पुलिस विभाग का मामला नहीं है। एसएसपी कहते हैं कि ये पुलिस कैसे बताएगी। इसमें राजस्व विभाग निर्णय ले। पुलिस की जहां ज़रूरत होगी, अवैध क़ब्ज़ा होगा तो उसे पुलिस जाकर हटवा देगी। लेकिन निर्णय इसमें राजस्व विभाग लेगा कि किसका पक्ष सही है और किसका पक्ष ग़लत है।
वहीं जांच अधिकारी कमलेश त्रिपाठी ने अपनी जांच रिपोर्ट में लिखा है कि उनके द्वारा मौके पर निरीक्षण करने पर ज्ञात हुआ कि श्रीमती सियारानी पत्नी श्रीराम वर्मा निवासी फर्दनदीस जालौन द्वारा भवन निर्माण किया जा रहा है, जो आम रास्ते पर दरवाजा व जंगला लगा रही हैं। लेकिन मोहल्ले वासियों द्वारा इसका विरोध किया जा रहा है, जिसे कमलेश कुमार आदि द्वारा न्यायालय सिविल जज जालौन में वाद संख्या 70/2023 कमलेश कुमार बनाम श्रीराम वर्मा आदि वाद दायर किया गया है। न्यायालय के आदेश के उपरांत ही अग्रिम कार्रवाई अमल में लाया जाना उचित होगा।
(संपादन : राजन/नवल/अनिल)
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