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आवरण कथा

शहरों ने दलित-बहुजनों को किया निराश – फुले-आंबेडकर का स्वप्न ध्वस्त!
क्या कोई अन्य ताकतें दलित-शोषित समाज को शहरी अवसरों का लाभ उठाने से रोक रही हैं ?
बहुजन विमर्श के कारण निशाने पर है जेएनयू
आश्चर्यजनक विधि से नवंबर, 2015 में पांचजन्य की रिपोर्ट में लगाये गये आरोप चार महीने बाद फरवरी, 2016 में पुलिस के गुप्तचर विभाग की रिपोर्ट में बदल गये। पांचजन्य की रिपोर्ट और गुप्तचर विभाग की...
भारत को समझो मोदी जी
विश्वविद्यालय में जो विश्व शब्द है उस पर ध्यान दीजिये। आप उसे संघ का शिशुमंदिर बनाना चाहते हैं? यूनिवर्सिटियां मानव जाति पर समग्रता से विचार करती हैं, उसे देशभक्ति की पाठशाला मत बनाइए
स्त्रीवादी फुले
महिलाओं की मुक्ति की दिशा में जोतिबा का पहला कदम था अपनी पत्नी सावित्रीबाई को पढऩा-लिखना सिखाना। जब वे इस संघर्ष को अपने घर से बाहर ले गए तब उन्हें यह अहसास हुआ कि 'महिलाओं...
महाबली की भूमि पर हिंसात्मक ब्राह्मणीकरण
पट्टनम की क्षतिग्रस्त ग्रेनाइट बौद्ध प्रतिमा, उस फासीवादी हिंसा का प्रतीक है, जिसका इस्तेमाल आज भी सवर्ण, छोटे-छोटे...
आंकड़ों पर पहरा
आंकड़े झूठ नहीं बोलते। ये आंकड़े बतायेंगें कि अल्पसंख्यक ऊंची जातियां देश के संसाधनों पर किस हद तक...
आंबेडकर बनाम गांधी : मशीनें – वरदान या अभिशाप
आंबेडकर ने कैसे गांधी के मशीन-मुक्त समाज के बचकाने विचार को ध्वस्त किया
आम्बेडकर : एक हमदर्द अर्थशास्त्री
आने वाले भारत के लिए कानून बनाते समय आंबेडकर की प्राथमिकता भूमिहीन और श्रमजीवी वर्ग थे
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