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समाज और संस्कृति

ब्राह्मण-ग्रंथों का अंत्यपरीक्षण (संदर्भ : श्रमणत्व और संन्यास, अंतिम भाग)
तिकड़ी में शामिल करने के बावजूद शिव को देवलोक में नहीं बसाया गया। वैसे भी जब एक शूद्र गांव के भीतर नहीं बस सकता तो अनार्य देवता को स्वर्ग में जगह कैसे मिल सकती थी।...
ब्राह्मणवादी वर्चस्ववाद के खिलाफ था तमिलनाडु में हिंदी विरोध
जस्टिस पार्टी और फिर पेरियार ने, वहां ब्राह्मणवाद की पूरी तरह घेरेबंदी कर दी थी। वस्तुत: राजभाषा और राष्ट्रवाद जैसे नारे तो महज ब्राह्मणवाद और ब्राह्मणवादी ताकतों को मजबूत करने तथा जनता का ध्यान भटकाने...
फुले को आदर्श माननेवाले ओबीसी और मराठा बुद्धिजीवियों की हार है गणेशोत्सव
तिलक द्वारा शुरू किए गए इस उत्सव को उनके शिष्यों द्वारा लगातार विकसित किया गया और बढ़ाया गया, लेकिन जोतीराव फुले और शाहूजी महाराज के सत्यशोधक आंदोलन को उनके शिष्यों एवं समाज द्वारा (ओबीसी और...
ब्राह्मण-ग्रंथों का अंत्यपरीक्षण (संदर्भ : श्रमणत्व और संन्यास, पहला भाग)
जब कर्मकांड ब्राह्मणों की आजीविका और पद-प्रतिष्ठा का माध्यम बन गए, तो प्रवृत्तिमूलक शाखा को भारत की प्रधान अध्यात्म परंपरा सिद्ध करने के लिए उन्होंने अपनी पूरी ताकत झोंक दी। कभी धर्म-शास्त्रों की आड़ में,...
तंगलान : जाति और उपनिवेशवाद का सच खोदती एक फिल्म
पारंपरिक लिखित इतिहास के हाशिए पर रहे समूहों को केंद्र में रखकर बनाई गई पा. रंजीत की नई...
आरएसएस और जाति का सवाल
एक तरफ संविधान दिवस मनाना, संविधान के प्रति नतमस्तक होना और दूसरी तरफ लगातार संविधान बदलने की बातें...
मत कहिए फूलन देवी को ‘बैंडिट क्वीन’
फूलन देवी ने एक ऐसी मिसाल छोड़ी है, जिसे हमें हमेशा याद रखना चाहिए। उनकी जीवनगाथा हमें यही...
ब्राह्मण से अश्वेत : कमला हैरिस की अनूठी यात्रा
ब्राह्मण जाति की सामाजिक पृष्ठभूमि के चलते, कमला हैरिस की मां के लिए एक बिलकुल भिन्न सांस्कृतिक विरासत...
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