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समाज और संस्कृति

बंगाली अध्येताओं की नजर में रामराज्य
रवींद्रनाथ टैगोर से लेकर राजशेखर बसु और दिनेश चंद्र सेन आदि बंगाली अध्येताओं ने रामायण का विश्लेषण अलग-अलग नजरिए से किया है, जिनमें तर्क के आधार पर सवाल उठाए गए हैं। ऐसे ही विश्लेषणों के...
क्या बुद्ध पुनर्जन्म के आधार पर राष्ट्राध्यक्ष का चयन करने की सलाह दे सकते हैं?
दलाई लामा प्रकरण में तिब्बत की जनता के साथ पूरी सहानुभूति है। उन पर हुए आक्रमण की अमानवीयता का विरोध आवश्यक है। तिब्बत और तिब्बतियों के हक़ में आवाज़ उठाना बहुत ज़रूरी है। लेकिन यह...
हूल विद्रोह की कहानी, जिसकी मूल भावना को नहीं समझते आज के राजनेता
आज के आदिवासी नेता राजनीतिक लाभ के लिए ‘हूल दिवस’ पर सिदो-कान्हू की मूर्ति को माला पहनाते हैं और दुमका के भोगनाडीह में, जो क्राति स्थल के रूप में जाना जाता है, तरह-तरह के कार्यक्रमों...
यात्रा संस्मरण : जब मैं अशोक की पुत्री संघमित्रा की कर्मस्थली श्रीलंका पहुंचा (अंतिम भाग)
चीवर धारण करने के बाद गत वर्ष अक्टूबर माह में मोहनदास नैमिशराय भंते विमल धम्मा के रूप में श्रीलंका की यात्रा पर गए थे। इस यात्रा संस्मरण के पहले भाग में उन्होंने श्रीलंका के विभिन्न...
जब मैं एक उदारवादी सवर्ण के कवितापाठ में शरीक हुआ
मैंने ओमप्रकाश वाल्मीकि और सूरजपाल चौहान को पढ़ रखा था और वे जिस दुनिया में रहते थे मैं...
मिट्टी से बुद्धत्व तक : कुम्हरिपा की साधना और प्रेरणा
चौरासी सिद्धों में कुम्हरिपा, लुइपा (मछुआरा) और दारिकपा (धोबी) जैसे अनेक सिद्ध भी हाशिये के समुदायों से थे।...
फिल्म ‘फुले’ : बड़े परदे पर क्रांति का दस्तावेज
यह फिल्म डेढ़ सौ साल पहले जाति प्रथा और सदियों पुरानी कुरीतियों और जड़ रूढ़ियों के खिलाफ, समता...
त्रिवेणी संघ के एजेंडे आज सेंटर स्टेज में हैं : महेंद्र सुमन
2005 में जब बिहार में नीतीश कुमार की जीत हुई थी तो ‘सामाजिक न्याय की मृत्यु’ विषयक लेख...
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