h n

दलित-बहुजन पेज 3, अक्टूबर 2015

भारत के सबसे लोकप्रिय मोबाइल ई-बुक एप 'मात्रुभारती’ ने, महिषासुर दिवस के अवसर पर 'महिषासुर’ पुस्तिका को ई-बुक के रू प में जारी किया है

‘महिषासुर’ मोबाइल एप परmahishasura_booklet_hindi__editor_pramod-ranjan_lite-page-001

भारत के सबसे लोकप्रिय मोबाइल ई-बुक एप ‘मात्रुभारती’ ने, महिषासुर शहादत दिवस (इस साल २6 अक्तूबर, शरद पूर्णिमा) के अवसर पर ‘महिषासुर’ पुस्तिका को ई-बुक के रू प में जारी किया है। पुस्तिका में इस पौराणिक चरित्र और उससे जुडी कथाओं की बहुजन व्याख्या पर शोध-आधारित आलेख संकलित हैं। इसमें प्रेमकुमार मणि, झारखण्ड केपूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन, अश्विनी कुमार पंकज, राजकुमार राकेश, सुरेश पंडित, विनोद कुमार व दिलीप मंडल आदि के आलेख शामिल हैं। ‘मात्रुभारती’ ने इस पुस्तिका को दो भागों में प्रकाशित किया है।

‘मात्रुभारती’ के संस्थापक, अहमदाबाद निवासी महेंद्र शर्मा व नीलेश शाह ने बताया कि ‘अगर आप स्मार्टफन इस्तेमाल करते हैं तो ‘मात्रुभारती’ एंड्राइड व आईफ़ोन पर क्रमश: गूगल प्लेस्टोर व एप स्टोर से नि:शुल्क डाउनलोड कर सकते हैं। यह ऐप ‘मातृभारती’ की वेबसाइट www.matrubharti.com/download.php पर भी उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि उनका मिशन भारत की भाषाओं का भारतीयों के लिए संरक्षण करना है। ‘मात्रुभारती’ के पाठक 47 देशों में फैले हुए हैं और 350 से अधिक लेखकों ने इस एप के जरिये 1500 से अधिक किताबें प्रकाशित की हैं. लोकप्रिय साहित्य के अलावा, ‘मात्रुभारती’ ने प्रतिष्ठित हिंदी लेखकों जैसे कमलेश्वर व उदय प्रकाश की रचनायें भी प्रकाशित कीं हैं। महिषासुर सहित ये सभी पुस्तकें पाठकों के लिए नि:शुल्क उपलब्ध हैं। महिषासुर पुस्तिका का संपादन पत्रकार प्रमोद रंजन ने किया है।

 

 

 

 

002श्री कृष्ण आस्था मंच, कटिहार एवं रेलवे ओबीसी इम्पलाईज एसोसिएशन, कटिहार के संयुक्त तत्त्वाधान में 30 अगस्त 2015 टाउन हॉल, कटिहार में सामाजिक न्याय के योद्धा बी.पी. मंडल की 98वीं जयन्ती मनायी गयी।

 

 

 

 

 

 

 

DSCN1174फरवर्ड प्रेस क्लब बस्ती ने 26 जुलाई को, शाहूजी महाराज की जयंती आरक्षण दिवस के रूप में मनाया

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

फारवर्ड प्रेस के अक्टूबर, 2015 अंक में प्रकाशित

 

लेखक के बारे में

एफपी डेस्‍क

संबंधित आलेख

दलितों-अति पिछड़ों की सबसे बड़ी समस्या आवास और जमीन की है : धीरेंद्र झा
“भाजपा अति पिछड़ों के सवालों को वास्तविक रूप में एड्रेस नहीं कर रही है। उनके संपूर्ण जीवन का जो सवाल है, उसमें उनके आत्मसम्मान...
दलितों पर अत्याचार : क्या उम्मीद अब सिर्फ़ राहुल गांधी पर रह गई है?
आज जब हरियाणा में एक दलित आईपीएस अधिकारी सांस्थानिक हत्या का शिकार हो जाता है, जब सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जातीय तानों का...
जाति के विनाश के संबंध में जस्टिस विनोद दिवाकर के फैसले के महत्वपूर्ण अंश
जस्टिस दिवाकर ने कहा कि जाति की समस्या केवल समाज या धर्म में नहीं है, बल्कि राज्य के मानसिक ढांचे में भी है। क़ानूनी...
सीजेआई गवई पर हुए हमले का देश भर में विरोध
दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट के एक वकील सुभाष चंद्रन के.आर. ने अटार्नी जनरल आर. वेंकटारमणी को पत्र लिखकर आरोपी राकेश किशोर के खिलाफ न्यायालय...
बिहार : विश्वविद्यालयों की बदहाली के शिकार होते दलित, पिछड़े और अति पिछड़े वर्गों के शोधार्थी
समाज में व्याप्त सामाजिक असमानता का प्रभाव दलित, पिछड़े और अति पिछड़े वर्गों के शोधार्थियों पर पड़ रहा है। इन समुदायों के लिए शोध...