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पेरियार समूह चेन्‍नई में दिखाएगा द्रविड रावण की लीला

पेरियारवादी संगठनों का कहना है कि रावण और उनके भाई द्रविड़ थे और इसलिए उनके पुतलों का दहन, द्रविड़ों के प्रति असंवेदनशीलता है। वे राम, लक्ष्‍मण व सीता का पुतला जलाएंगे

14671105_321147268244171_4632976111245642528_n-1जहाँ देश में जहाँ-तहां बहुजन संगठन, दुर्गा के हाथों महिषासुर की हत्या का शोक मनाने के लिए महिषासुर दिवस का आयोजन कर रहे हैं, वहीँ चेन्नई में पेरियारवादियों के एक समूह ने यह घोषणा की है कि वह इस साल “रावण लीला” का आयोजन करेगा.

उत्तर भारत के बड़े हिस्से में रामलीला की लम्बी परंपरा है, जिसके अंत में रावण के पुतले का दहन किया जाता है.

चेन्नई के थनथई पेरियार द्रविदर कषगम ने १२ अक्टूबर को रावण लीला के आयोजन की घोषणा है. संगठन के जिला सचिव टी कुमारन के बताया कि इस आयोजन का उद्देश्य रामलीला की सदियों पुरानी परंपरा के प्रति विरोध को अभिव्यक्त करना है. “हमने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर कहा कि सरकार को दिल्ली में रामलीला का आयोजन बंद करवाना चाहिए परन्तु हमें कोई जवाब नहीं मिला”, उन्होंने बताया.

उनके अनुसार रावण, और उनके भाई द्रविड़ थे और इसलिए दिल्ली में उनके पुतलों का दहन, द्रविड़ लोगों के प्रति असंवेदनशीलता है. दिल्ली के कार्यक्रम के प्रति अपना विरोध व्यक्त करने के लिए वे न केवल राम बल्कि सीता और लक्ष्मण के पुतले भी जलायेंगे। .

प्रश्न यह है कि जब रामलीला तमिलनाडु में होती ही नहीं तो फिर इस मुद्दे को उठाने की ज़रुरत क्या है?

कुमारन का कहना है कि “इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि तमिलनाडु में रामलीला होती है या नहीं. दिल्ली में रावण और उनके दो भाईयों के पुतले जलाये जाते हैं. हम मानते हैं कि वे द्रविड़ थे और उनके पुतले जलना हमारा मखौल उड़ाना है. इसलिए हमने रावण लीला के आयोजन का फैसला किया है, जिसमें हम राम, सीता और लक्ष्मण के पुतले जलायेगें”.

कार्यक्रम का आयोजन १२ अक्टूबर की शाम को संस्कृत स्कूल में रखा गया है. यह संगठन पहली बार रावण लीला का आयोजन करने जा रहा है.

(दक्षिण भारत की खबरों पर केंदित वेब पोर्टल ‘द न्‍यूज मिनट’ से साभार)


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एफपी डेस्‍क

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