सहारनपुर के शब्बीरपुर गांव में राजपूतों ने दलितों के 50 से अधिक घरों को जला दिया और जमकर उत्पात मचाया। लेकिन इसकी तैयारी वे पहले से कर रहे थे। 5 मई को शिमलाना गांव में राजपूत जमा हुए और सुनियोजित तरीके से शब्बीरपुर पर हमला बोला।

क्या यह महज संयोग है कि फ़ेसबुक पर बहुत सारे लोगों ने इस तरह का संदेश घटना से पहले ही जारी कर दिया था? सवाल यह भी उठता है कि राजपूतों की भावनाओं को भड़काने वाले ये पोस्ट उन लोगों ने किया, जो किसी न किसी रुप में शेर सिंह राणा से जुड़े हैं। कई लोगों ने शेर सिंह राणा के साथ अपनी तस्वीरें भी साझा की है। गौरतलब है कि राणा को दस्यू सुंदरी कही जाने वाली फुलन देवी की हत्या के आरोप में सजा मिल चुकी है और वह लगभग 13 साल जेल में गुजारने के बाद सात महीने पहले ही बेल पर छूटा है।


मसलन, सौरभ राणा वह शख्स है जिसने बीते 17 मई 2017 को अपने फ़ेसबुक वाल पर एक पोस्ट जारी किया। पोस्ट में शेर सिंह राणा के साथ उसकी एक तस्वीर के अलावा लिखा था – “राजपूत समाज की शान क्षत्रिय शिरोमणि बड़े भाई शेर सिंह राणा जी को जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनायें”। दिलचस्प यह कि 4 मई 2017 यानी शब्बीरपुर गांव में दलितों का घर फ़ूंकने के ठीक एक दिन इसी सौरभ सिंह राणा ने दिल्ली में रहते हुए पोस्ट लिखा – “बहुत जल्दी ही देश के लिये एक शुभ संदेश: भारत माता की जय”।
क्या सौरभ राणा का यह पोस्ट शब्बीरपुर गांव में होने वाली सुनियोजित हिंसा का ऐलान था?
यह तो महज एक बानगी है शब्बीरपुर में हुई सुनियोजित हिंसा की तैयारियों की। ऐसा ही एक पोस्ट शेर सिंह राणा के एक और समर्थक दुष्यंत राणा ने 2 मई को जारी किया था जिसमें उसने अपने राजपूत मित्रों को अधिक से अधिक संख्या में 5 मई को शिमलाना में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने का आहवान किया। ऐसा करते हुए उसने राजपूतों को तलवार और उनके गौरव की बात कही।
इससे भी अधिक दिलचस्प यह है कि दलितों पर कहर बरपाने वाले लोगों की नजर में ब्रह्मेश्वर मुखिया एक महानायक है। वहीं ब्रह्मेश्वर मुखिया जिसने बिहार में वर्ष 1995 में रणवीर सेना का गठन कर करीब 29 नरसंहारों को अंजाम दिया था जिनमें करीब 300 से अधिक दलित-पिछड़े मारे गये थे। शमशेर सिंह नामक एक शेर सिंह राणा समर्थक ने 15 मई को ब्रह्मेश्वर की चित्र जारी करते हुए लिखा – “भीम आर्मी वाले अपने अपने बाप को पहचान लो। इनके औलाद आज भी सुरक्षा करने के लिए सक्षम हैं। सरकार अगर बीच में दखल न दे तो 24 घंटे में एक भी झोपड़ियां नहीं बचेंगी”। शमशेर का यह पोस्ट इस बात का भी संकेत है कि शब्बीरपुर में दलितों पर हमला सामान्य हिंसा नहीं थी।
वैसे शेर सिंह राणा का सोशल मीडिया से जुड़ाव लंबे समय से रहा है। यहां तक कि जब वह सांसद फ़ूलन देवी की हत्या के आरोप में देश के सबसे सुरक्षित तिहाड़ जेल में कैद था तब भी उसके नाम से फ़ेसबुक पर कई प्रकार के पोस्ट जारी किये जाते थे। मसलन 8 मई 2015 को राणा के फ़ेसबुक वाल पर एक पोस्ट जारी किया गया जिसमें एक महिला के द्वारा पारिवारिक कार्यक्रम के दौरान हवाई फ़ायरिंग की तस्वीर शामिल है।

बहरहाल सोशल मीडिया पर शेर सिंह राणा के समर्थकों के पोस्ट 5 मई को शब्बीरपुर में हुई घटना के बारे में कई प्रकार के संकेत देते हैं। एक महत्वपूर्ण संकेत तो यह कि इस पूरी घटना को लेकर सोशल मीडिया पर भड़काऊ संदेश पोस्ट किये जा रहे थे। यहां तक कि दंगे के बाद भी “आग” फ़ैलाने की कोशिशें जारी रहीं।
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