
बिहार में राजनीति का क्षेत्र हो या शिक्षा का, जाति कहीं पिंड नहीं छोड़ती है। मुद्दा जब तुल पकड़ता है तो उसके समाधान का भी जातीय प्रयास ही होता है। ऐसे मामलों में मीडिया का रुख भी बहुत कुछ जातीय सरोकारों से बंध जाता है। पटना में संचालित चर्चित सुपर-30 को लेकर इन दिनों मीडिया में प्रायोजित विवाद भी इसी का परिणाम है।

सुपर-30 की ख्याति स्थापित करने में आनंद कुमार की बड़ी भूमिका रही है, जबकि पूर्व डीजीपी अभयानंद ने इनके कार्यों को सामाजिक व प्रशासनिक रूप से स्थापित करने में योगदान दिया। हालांकि बाद में दोनों के बीच विवाद ने नया मोड़ लिया और अब विवाद चौराहे पर चर्चा का विषय हो गया है। आरोप है कि भूमिहार अभयानंद कहार आनंद कुमार के खिलाफ मीडिया में जमकर दुष्प्रचार कर रहे हैं और उनकी छवि धूमिल कर सुपर -30 को बदनाम कर रहे हैं।

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इस विवाद ने अब राजनीतिक रूप ग्रहण कर लिया है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा व पटना साहिब के सांसद शत्रुघ्न सिन्हा खुलकर आनंद कुमार के पक्ष में खड़े हो गये हैं और आंनद के खिलाफ सामाजिक भेदभाव को भी बड़ा मुद्दा बना रहे हैं।

तेजस्वी यादव ने आनंद कुमार के घर जाकर उनसे मुलाकात की और उनके कार्यों की सराहना की। इसके साथ उनके खिलाफ चलाये जा रहे अभियान की निंदा भी की। उपेंद्र कुशवाहा ने भी सामाजिक परिप्रेक्ष्य को ही मुद्दा बनाकर उनके कार्यों की सराहना की और उनके साथ खड़े दिखे। जबकि भाजपा के असंतुष्ट सांसद शत्रुघ्न सिन्हा भी अपने भविष्य की राजनीति को देखते हुए आनंद के साथ खड़े हो गये और आनंद को बिहार का गौरव भी बताया। इन तीनों नेताओं ने अपने-अपने ट्विटर एकाउंट पर जमकर आनंद कुमार व सुपर-30 की प्रशंसा की और उनके पक्ष में अपना समर्थन भी जताया। आंनद कुमार के जातीय पक्ष को भी फोकस करते हुए सामंती शक्तियों की साजिश भी ठहराया।

आईआईटी की परीक्षा के लिए तैयारी कराने वाले सुपर-30 के समर्थन में नेताओं के उतरने के बाद इस विवाद के और गहराने की उम्मीद बढ़ गयी है। इसे जातीय आकार देकर सुपर-30 की छवि धूमिल करने का प्रयास किया जाएगा। इससे बचाव के लिए भी आनंद कुमार को सचेत रहने की जरूरत है।
(कॉपी एडिटर : नवल)
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