धार के कुक्षी से सुनिए 32 जिलों के आदिवासियों की आवाज़
यह सिर्फ 32 जिलों की लड़ाई नहीं है। दरअसल, इसी साल 29 जुलाई को शुरू हुई जय आदिवासी युवा शक्ति संगठन (जयस) के युवाओं की चेतना रैली का 2 सितंबर को मध्यप्रदेश में धार के समापन हो रहा है जिसमें हजारों आदिवासी समाज के कार्यकर्ताओं के शरीक होने की संभावना है। संगठन ने कहा है कि उसे लगता है कि सरकार सीधे वार्ता को तैयार नहीं है इसलिए वह राज्य की 80 विधानसभाओं में अपने प्रत्याशी खड़े करने को विवश है। ये महासभा धार जिले के कुक्षी तहसील की कृषि उपज मंडी में बुलाई गई है।
प्रमुख आयोजक और जयस के संरक्षक हीरालाल अलावा ने फारवर्ड प्रेस को बताया कि समापन सभा में 25 हजार से अधिक लोग शामिल हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह समय मध्यप्रदेश के लोगों के भविष्य की संभावनाओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है।
बताते चलें कि आदिवासियों में राजनीतिक-सामाजिक चेतना के विकास और नये युवा आदिवासी नेतृत्व पैदा करने के उद्देश्य से निकाली गयी ‘आदिवासी अधिकार महारैली’ का 31 अगस्त, 2018 को जबलपुर में सफलतापूर्वक संपन्न करके एक नया इतिहास रच चुकी है। ये पहली बार हुआ जब आदिवासी बहुल 20 जिलों के गाँव-जंगल होते हुए इतने बड़े भूभाग में कोई महारैली निकाली गई। महारैली में आत्मसम्मान एवं संवैधानिक अधिकार के मुद्दे पर आदिवासियों को एकजुट होने का आह्वान किया गया।

जयस ने 29 जुलाई, 2018 को मध्यप्रदेश के रतलाम जिले के सातरुण्डा से चेतना रैली शुरू की थी जो– झाबुआ, आलीराजपुर, धार, बड़वानी, खरगोन, बुरहानपुर, खंडवा, देवास होते हुए हरदा तक कुल 10 जिलों में होकर निकली और जमकर सभा गोष्ठियों में आगामी रणनीति को तैयार किया गया। इसका दूसरा चरण 16 अगस्त, 2018 को होशंगाबाद से शुरू होकर बैतूल होते हुए रायसेन के अब्दुल्लागंज में 18 अगस्त, 2018 को सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। तीसरे चरण में 28 अगस्त, 2018 को शहडोल जिले से शुरू होकर अनूपपुर, सीधी, उमरिया, डिंडोरी, मंडला होते हुए 31 अगस्त, 2018 को जबलपुर में रैली ने विराम लिया।

जयस का दावा है कि इस आदिवासी अधिकार महारैली में उसने ‘अबकी बार आदिवासी सरकार’ का नया नारा दिया, जो अब गांव-गांव में जन-जन तक इतना व्यापक रूप से फ़ैल चुका है कि बच्चे से लेकर बूढ़े तक गर्व के साथ ‘अबकी बार आदिवासी सरकार’ के नारे लगाने लगे हैं।
आजादी के 70 साल के इतिहास में संभवतः यह आदिवासियों की पहली यात्रा थी जो किसी आदिवासी युवा के नेतृत्व में आदिवासी झंडे और आदिवासी डंडे के साथ निकली। जयस ने आदिवासी अधिकार महारैली के माध्यम से मध्यप्रदेश के 20 जिलों में आदिवासियों के गांव-गांव में जाकर उनके ज़मीनी मुद्दे– शिक्षा, स्वास्थ्य, कुपोषण, बेरोजगारी, पलायन, बिजली और खराब सड़कें जैसे मुलभूत मुद्दों पर भी चर्चा की और समस्याएं करीब से जानी- समझी। जयस ने कहा, सरकार बनने पर इन सभी मुलभूत मुद्दों पर ईमानदारी से अमल लाएंगे।

जयस की मुद्दे
- धार जिले के पांचवीं अनुसूचित क्षेत्र मनावर, गंधवानी तहसली के 32 गांवों के प्रस्तावित विस्थापन प्रक्रिया,बड़वानी खरगोन और खंडवा के 244 गांवो को वाइल्ड लाइफ प्रोजेक्ट सेंचुरी, होशंगाबाद जिले के तिलक सिंदूर इलाके के 27 आदिवासी गांवो को टाइगर रिजर्व के नाम पर प्रस्तावित विस्तान प्रक्रिया को रद्द करना व धामनोद के 12 गांव का विस्थापन रद्द कर उचित कार्यवाही करना
- धार जिले के पांचवीं अनुसूचित क्षेत्र में सरदार सरोवर परियोजना से प्रभावित सभी किसानों, आदिवासियों, मछुआरों, पीड़ितों एवं गंधवानी तहसील के बैल बाबा डेम से प्रभावित 12 आदिवासी गांवों के किसानों को स्थायी पट्टा देकर उनको पर्याप्त पुनर्वास एवं उचित मुआवजा की व्यवस्था करना।
- संविधान की पांचवीं अनुसूची, पेसा कानून, वन अधिकार कानून 2006 के सभी प्रावधानों को सख्ती से अविलम्ब धरातल पर लागू करना।
- प्रदेश में रिक्त सभी विभागों के बैकलॉग पदों पर चुनावी आचार संहिता से पहले अतिशीघ्र भर्ती करना।
- संविधान की पांचवीं अनुसूची के अंतर्गत जनजातीय सलाहकार परिषद (टीएसी) का मुखिया/ अध्यक्ष और राज्य के राज्यपाल पद पर आदिवासी समुदाय के व्यक्ति की नियुक्ति। जनजातीय सलाहकार परिषद के सभी सदस्य आदिवासी समुदाय से हों।
- प्रदेश के सभी 89 ट्राइबल ब्लाकों में बनकर तैयार लेकिन बंद पड़े छात्रावासों को शीघ्र चालू करवाना। ब्लाक स्तर पर 200 छात्र-छात्राओं, तहसील स्तर पर 400 छात्र-छात्राओं, जिला स्तर पर 1000 छात्र-छात्राओं एवं संभाग स्तर पर 2000 छात्र-छात्राओं के लिए नये छात्रावास बनवाना जिसमें लाइब्रेरी, मेस, वाइफाई की सुविधा हो। मेधावी एवं असंगठित श्रमिक कर्मकार लाभ आरक्षित वर्ग के विद्यार्थियों को भी आवास योजना व छात्रवृत्ति के साथ दिया जाए।
- संविधान की पांचवीं अनुसूचित क्षेत्र धार, झाबुआ, अलीराजपुर, बड़वानी, खरगोन, बैतूल, जबलपुर, मंडला, रायसेन, उमरिया, सीधी, खंडवा, शहडोल और होशंगाबाद में मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज, एग्रीकल्चर कॉलेज, नर्सिंग कॉलेज, आईटीआई कॉलेज खोलना तथा सरकार द्वारा सीबीएससी स्तर के आवासीय स्कूल खोलना।
- प्रदेश के सभी एसटी-एससी कर्मचारी अधिकारियों के प्रमोशन में आरक्षण का लाभ देने के लिए नई नियमावली जल्द से जल्द बनाकर प्रदेश के सभी विभागों में पदस्थ कर्मचारी अधिकारियों का प्रमोशन में आरक्षण का लाभ दिया जाना।
- प्रदेश के आदिवासियों की संस्कृति, भाषा, रीति-रिवाजों, परंपराओं को संरक्षित करने के लिए सभी 89 ट्राइबल ब्लाकों में आदिवासी संग्रहालय खोलना एवं आदिवासी हाट लगाने की व्यवस्था करना।
- प्रदेश की शिक्षा प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए संविदा शिक्षकों के स्थान पर स्थायी/ नियमित शिक्षकों की भर्ती कर एसटी, एससी के छात्र-छात्राओं की भर्ती प्रक्रिया के दौरान बीएड, डीएड में छूट देना एवं अनुसूचित क्षेत्र में प्रोफेसर के रिक्त पड़े पदों की भर्ती करना।
- प्रदेश के पांच एकड़ तक के सभी भूमिस्वामी किसानों का पूर्ण कर्जा माफ कर खेती के लिए 24 घंटे नि:शुल्क बिजली एवं फसलों के उचित दाम सुनिश्चित करने के साथ-साथ स्वेच्छिक बीमा किया जाना।
- प्रदेश में होने वाली समस्त ऑनलाइन परीक्षा प्रणाली को बंद कर पुरानी एक दिवसीय एक प्रश्न पत्र परीक्षा प्रणाली को लागू करना।
- प्रदेश के सभी 89 ट्राइबल ब्लाकों में आधुनिक स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स खोलने के साथ-साथ आधुनिक तीरंदाजी प्रशिक्षण केंद्र एवं जीमखाना खोलना।
- प्रदेश के सभी ट्राइबल ब्लाकों के प्रत्येक ग्रामों में 10 नवीन तालाबों का निर्माण कर पानी संग्रहण को बढ़ावा देकर मछली पालन के लिए सरकार द्वारा विशेष फंड दिया जाना और साथ ही पुराने तालाबों का गहरीकरण एवं मरम्मत की प्रक्रिया को जल्द से जल्द आदेश जारी करना।
- प्रदेश के सभी बेरोजगार आदिवासी युवाओं को शिक्षा एवं रोजगार के लिए ऋण देने की प्रक्रिया का सरलीकरण कर सभी बेरोजगारों के लोन की बैंक गारंटी मिले।
- अनुसूचित क्षेत्रों से निकलने वाली खनिज संपदा से अर्जित आय का 30 प्रतिशत हिस्सा क्षेत्रीय ग्रामसभा को गांव के विकास व मूलभूत ढांचे को मजबूत करने के लिए दिया जाना।
- आदिवासी विकास के लिए आर्टिकल 275 के अंतर्गत ट्राइबल सब प्लान का पैसा आदिवासियों के शिक्षा, स्वास्थ्य, बेरोजगारी, कुपोषण जैसी मूलभूत समस्याओं को दूर करने के लिए ही इस्तेमाल किया जाना।
- विश्व आदिवासी दिवस 9 अगस्त पर पूरे प्रदेश में सरकारी अवकाश घोषित कर आदिवासियों के क्रांतिकारी योद्धाओं बिरसामुंडा, टंट्या मामा, जयपाल सिंह मुंडा, भीमानायक, वीर गुंडाधुर, ख्वाजा नाइक की प्रतिमा सभी ट्राइबल ब्लाकों में स्थापित किया जाना एवं सभी क्रांतिकारियों के इतिहास को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना।
- धार जिले की कुक्षी तहसील को चुनावी आचार संहिता से पहले जिला घोषित किया जाना।
- आदिवासी क्षेत्रों में फ्लोराइड युक्त जोन में फ्लोराइड फ्री पानी उपलब्ध कराने के लिए विशेष फिल्टर प्लांट लगाना एवं सिकल सेल एनीमिया से पीड़ित ट्राइबल ब्लाकों में आधुनिक ब्लड बैंक एवं सिकल सेल स्क्रीनींग सेंटर खोलना एवं इलाज की व्यस्था करना।
- प्रदेश के सभी पांचवीं अनुसूचित क्षेत्रों में अवैध साहूकारिता को जल्द से जल्द प्रतिबंधित कर एवं सभी ट्राइबल ब्लाकों में शराब (देशी-विदेशी) पर पूर्णत: प्रतिबंधित किया जाना।
- प्रदेश की राजधानी भोपाल में आदिवासियों के लिए अलग से विश्राम गृह बनाया जाना एवं संभागीय स्तर पर एवं सभी ट्राइबल ब्लाकों के विकास संबंधी समीक्षा बैठक प्रतिमाह कमिश्नर कार्यालय पर रखा जाना।
- मध्य प्रदेश में ऐसे क्षेत्र जो आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र हैं लेकिन अनुसूचित क्षेत्र में शामिल नहीं है, उनकी समीक्षा कर उन्हें भी अनुसूचित क्षेत्र में शामिल किया जाये जैसे धार जिले की बदनावर तहसील एवं जबलपुर की कुन्डम तहसील, इत्यादि।
- छठवीं अनुसूचित क्षेत्रों की भांति प्रदेश के सभी पांचवीं अनुसूचित क्षेत्रों में भी स्वशासी जिला, स्वशासी तहसील, स्वशासी ब्लाकों को मान्यता देकर सभी जिला स्तर पर आदिवासी वित्त कोष बनाकर आदिवासी समिति की निगरानी में उस कोष को आदिवासी विकास में इस्तेमाल के लिए अधिकार दिया जाना।
- सभी ट्राइबल ब्लाक स्तर, तहसील स्तर, जिला स्तर एवं संभाग स्तर पर आदिवासी सामूहिक भवन का निर्माण करना एवं आदिवासी संगठनों द्वारा संचालित की जा रही सभी नि:शुल्क कोचिंग के लिए सरकार द्वारा फंड उपलब्ध कराना एवं सभी ट्राइबल ब्लाकों में गिट्टी मशीन, पेट्रोल पंप और परिवहन के लिए आदिवासियों को ही लाइसेंस दिया जाना।
- जबलपुर ज़िले के सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी रानीदुर्गावती विश्वविद्यालय के परिसर में रानी दुर्गावती की मूर्ति लगाना। कालेज में ही आदिवासी छात्र-छात्राओं के लिए आवासीय हास्टल बनवाना।
- मध्यप्रदेश में तेंदू पत्ता संग्राहकों को घातक केमिकल एजेडीयू मिलाकर जिन जिन आदिवासियों को जूते चप्पल बांटे गए, संबंधित अधिकारियों के ऊपर एफआईआर कर क़ानूनी कार्यवाही की जाए और केमिकल के प्रभाव से पीड़ित मजदूरों के उचित स्वास्थ्य के इंतजाम किया जाए।
- मध्यप्रदेश के रतलाम झाबुआ में नेशनल एक्सप्रेस वे के नाम पर आदिवासी गांवों के विस्थापन ना किया जाए।
- मध्यप्रदेश के 70 हजार अथिति शिक्षको को स्थायी कर उन्हें रोजगार मिले।
- मध्यप्रदेश के अनुसूचित जाति क्षेत्रों/ सामान्य क्षेत्रों में सेवाएं दे रहे एसटी एससी शिक्षकों के मेचुअल ट्रांसफर प्रक्रिया पर लगी रोक तुंरन्त हटाकर उन्हें अपने अपने क्षेत्रों में सेवाएं देने में प्राथमिकता मिले।
(कॉपी संपादन : एफपी डेस्क)
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