जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सतपाल मलिक ने गरीबों व जनजाति के लिए शुरू की गई रोशनी अधिनियम को यह कह कर निरस्त कर दिया है कि यह अपने उद्देश्य में खरे नहीं उतर पायी है और मौजूदा संदर्भ में यह प्रासांगिक भी नहीं है। लेकिन इस निर्णय से बड़े पैमाने पर मुस्लिम समाज के गुज्जर और बकरवाल जनजातियों को अपने सदियों पुराने पेशे पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। क्योंकि इससे इनके पास मवेशियों को चराने के लिए जमीन नहीं रहेगी।
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