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जानें, कैसे द्विजों के वर्चस्व को बरकरार रखने के लिए बनाया गया है सीएए-एनआरसी?

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वैसे तो संघ और भाजपा का भारत को ‘हिन्दू राष्ट्र’ बनाने का सपना बहुत पुराना है और इसके लिए वे जी जान से लगे भी हुए हैं। लेकिन अनुकूल राजनीतिक परिस्थितियां न मिलने के कारण वे अभी तक अपने सपने को साकार करने में सफल नहीं हो पा रहे थे। अब जबकि राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री संघ के स्वयंसेवक हैं, तथा लोकसभा में प्रचण्ड बहुमत और राज्यसभा में तकनीकी बहुमत प्राप्त हो गया है तो भाजपा अपने सपने को सरकार करने में जरा सी भी देरी  नहीं करना चाहती है। इसी क्रम में भाजपा ने अनुच्छेद 370 व 35ए को निष्प्रभावी बनाया तथा नागरिकता संशोधन बिल 2019 पास करवाया। यह कदम भाजपा द्वारा भारत को सवर्ण-पुरुष वर्चस्व वाला ‘हिन्दू राष्ट्र’ बनाने की दिशा में उठाये गये कदमों में अति महत्वपूर्ण एवं खतरनाक हैं, इसलिए इसका विरोध होना ही चाहिए। इस बिल का विरोध और इसका समर्थन यह स्पष्ट करेगा कि भारत की जनता लोकतांत्रिक भारत को बचाने में सक्षम है या सवर्ण-पुरुष वर्चस्व वाले हिन्दू राष्ट्र को झेलने के लिए अभिशप्त है। अभी तक भाजपा ने लिखित तौर पर मुस्लिमों के विरोध में ऐसा कोई कार्य नहीं किया था, जिससे यह प्रमाणित हो सके कि भाजपा मुस्लिम विरोधी है। नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 से भाजपा का असली चेहरा दस्तावेजी सबूत के रूप में लोगों के सामने आ गया। इस बिल का विरोध इसलिए भी आवश्यक है कि जिस मंशा के साथ यह सब किया जा रहा है, उसके केंद्र में केवल मुसलमानों को अलग-थलग करना नहीं बल्कि द्विजवादी वर्चस्व के खिलाफ उठ रहे विरोधों का दमन करना है।

 

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लेखक के बारे में

अलख निरंजन

अलख निरंजन दलित विमर्शकार हैं और नियमित तौर पर विविध पत्र-पत्रिकाओं में लिखते हैं। इनकी एक महत्वपूर्ण किताब ‘नई राह की खोज में : दलित चिन्तक’ पेंग्विन प्रकाशन से प्रकाशित है।

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