मानववादी संगठन अर्जक संघ ने एक बार फिर 10 सूत्री शिक्षा संबंधी मांगों को लेकर पूरे देश भर में आंदोलन तेज कर दिया है। इस कड़ी में गत 15 नवंबर, 2024 को दिल्ली के जंतर-मंतर पर एकदिवसीय धरना दिया। इसमें बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, पश्चिम बंगाल आदि से अर्जक संघ के सैकड़ों सदस्य शामिल हुए। इस मौके पर दर्जनों वक्ताओं ने संघ के आंदोलन और नीति सिद्धांत की विस्तार से चर्चा करते हुए संघ की शिक्षा संबंधी 10 सूत्री मांगों को अमल में लाने की मांग सरकार से की और कहा कि मांगें माने जाने तक आंदोलन संवैधानिक तरीके से चलता रहेगा।
संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिव कुमार भारती की अध्यक्षता में आयोजित इस धरना का संचालन सांस्कृतिक समिति के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र पथिक ने की। धरना का आरंभ संविधान की उद्देशिका के पाठ से हुआ। उपेंद्र पथिक ने इसका आगाज करते हुए अपने संबोधन में संघ के संस्थापक महामना राम स्वरूप वर्मा के कथन को दोहराया कि यदि सरकार अर्जक संघ की मांगों पर अमल करना शुरू कर दे तो देश में जेलों की संख्या में बेहद कमी आ जाएगी, क्योंकि शिक्षा से अपराध, अशिक्षा, बेरोजगारी, नशाखोरी, आतंक, भ्रटाचार, अंधविश्वास, दंगा फसाद, आदि में भारी कमी आ जाएगी।
धरना में वक्ताओं ने 10 सूत्री शिक्षा संबंधी मांगों का विश्लेषण विस्तार से करते हुए कहा कि देश में एक समान, पाठ्यक्रम हो और एक जैसा स्कूल भी हो जो साधन संपन्न हो, और सारी शिक्षा निःशुल्क हो। शिक्षा मानववादी और वैज्ञानिक हो, जिसमें चाहे राष्ट्रपति का बेटा हो या चपरासी का बेटा हो, सभी को एक जैसी शिक्षा मिले। स्कूल और कालेजों में किसी के साथ भेदभाव नहीं हो। इन वक्ताओं में संघ के राष्ट्रीय संयुक्त मंत्री रामजी वर्मा, कोषाध्यक्ष शिवनंदन प्रभाकर, सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता डॉ. ओमकार सिंह के अलावा राम निवास वर्मा, रमेश चंद्र, शोभा राम, गीता शाह, टुन्ना साह, राम सागर यादव, देव रंजन दास आंबेडकर, रामफल पंडित, राम तिलक, ज्ञांति गुप्ता, कमलेश आरन, किसान नेता इकबाल सिंह तोमर, राम कृष्ण प्रसाद, शोषित समाज दल के आद्या शरण चौधरी, अवधेश कुमार सिंह आदि शामिल रहे।
अपने अध्यक्षीय भाषण में राष्ट्रीय अध्यक्ष शिव कुमार भारती ने मांगों पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि इसके पूर्व भी संघ के संस्थापक महामना राम स्वरूप वर्मा, भूतपूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष रघुनाथ सिंह यादव और शिवराज सिंह के नेतृत्व में भी प्रखंड से लेकर दिल्ली तक आंदोलन चलाया गया था। इसी कारण अनिवार्य शिक्षा अधिनियम 2009 मजबूर होकर सरकार को लागू करना पड़ा। लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। देश में विषमतामूलक, अंधविश्वास वर्धक और अवैज्ञानिक शिक्षा चलाई जा रही है, जिसका आजतक कोई उद्देश्य तय नहीं किया गया है। ऐसा कर देश के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है, जिसे तुरंत बदलने की जरूरत है।
शिव कुमार भारती ने कहा कि देश में कोई और ऐसा संगठन नहीं है जो शिक्षा के लिए लड़ाई लड़े। लेकिन अर्जक संघ अकेला ऐसा मानववादी संगठन है, जो पढ़ाई के लिए लड़ाई लड़ रहा है। यह आम आदमी के हित में है। लेकिन आम लोग इसे समझ नहीं पा रहे हैं। इन्हें सही शिक्षा के लिए जागृत्व करने की जरूरत है, तभी हमारा देश तरक्की कर सकेगा।
अंत में राष्ट्रपति को संबोधित 10 सूत्री मांगों वाला ज्ञापन राष्ट्रपति के प्रतिनिधि को समर्पित किया गया, जिसमें पहली मांग शिक्षा का उद्देश्य राष्ट्रीय स्वाभिमान और एकता कायम करना निर्धारित करने, राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा में एकरूपता लाने के लिए संविधान में संशोधन करके शिक्षा को केंद्रीय सूची में शामिल करने, सारी शिक्षा निःशुल्क करने, राष्ट्रीयकृत करने, वैज्ञानिक व मानववादी बनाने तथा दसवीं तक अनिवार्य करने आदि मांगें शामिल हैं। इन सबके अलावा यह मांग भी की गई कि प्राथमिक शिक्षा में राष्ट्रीयता, नागरिकता, गणित, भूगोल, वैज्ञानिक उपलब्धियां, पढ़ाई जाए। साथ ही, किसी भी स्तर पर पाखंड, पुनर्जन्म, भाग्यवाद, जाति-पांति, ऊंच-नीच का भेदभाव और चमत्कार की शिक्षा न दी जाए।
(प्रस्तुति सहयोग : उपेंद्र पथिक, संपादन : राजन/नवल/अनिल)
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